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RTI में बड़ा फैसला, परीक्षा की कॉपी जांचने वालों की जानकारी नहीं दे सकते

मध्यप्रदेश में स्कूली बच्चों की कॉपी जांचने वाले शिक्षकों की जानकारी सार्वजनिक करने को लेकर राज्य सूचना आयुक्त ने अहम फैसले में कहा है कि इससे शिक्षकों को खतरा है...।

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भोपाल

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Manish Geete

May 25, 2019

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भोपाल। मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के मामले में बड़ा फैसला दिया है। उन्होंने कहा है कि यदि उत्तर पुस्तिका जांचने वालों की सूची जारी कर दी जाएगी, तो असफल परीक्षार्थी बदले की भावना से कोई गलत कदम उठा सकते हैं। इसलिए परीक्षकों की जानकारी नहीं दी जा सकती।

मध्यप्रदेश के सतना जिले के अधिवक्ता योगेंद्र प्रताप सिंह ने वर्ष 2017 में कक्षा 9 और 11 की परीक्षा में सभी परीक्षकों की विषयवार लिस्ट मांगी थी। योगेंद्र ने दलील दी थी कि जानकारी सामने आने से परीक्षाफल में फर्जीवाड़ा उज़ागर होगा।

सूचना आयुक्त के फैसले

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सूचना आयोग में आई अपील पर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि किसी उत्तरपुस्तिका में अनिमितताओं की जांच के लिए पहले से ही सूचना के अधिकार के अंतर्गत छात्र को उत्तर-पुस्तिकाओं के निरीक्षण करने का प्रावधान किया गया है। आयुक्त ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अपीलार्थी आयोग को यह बताने में असमर्थ रहे कि मांगी गई जानकारी से किस तरह से और कौन-सी अनिमितताओं का खुलासा होगा।

अराजकता का माहौल न बनें
राज्य के सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा है कि पारदर्शिता के नाम पर आयोग ऐसी स्थिति का निर्माण नहीं करना चाहता, जिससे शिक्षा जगत में अराजकता का माहौल उत्पन्न हो। सिंह ने यह भी कहा कि यदि परीक्षकों के नाम को सार्वजनिक कर दिया जाए तो शिक्षा के क्षेत्र में बुरा प्रभाव पड़ेगा और दबंक तत्वों की ओर से परीक्षा के नतीजों को प्रभावित करने की चेष्टा भी की जा सकती है।

परीक्षकों को हो सकता है खतरा
सूचना आयुक्त ने अपील पर आपत्ति भी जताई। सिंह ने कहा कि आयोग परीक्षकों की सुरक्षा को खतरे में नही डालना चाहता है। एक बार यदि परीक्षकों के नाम सार्वजनिक हो गए तो हो सकता है कि आने वाली परीक्षाओं के दौरान परीक्षार्थी इन परीक्षकों से संपर्क कर सकते हैं या दबाव भी बना सकते हैं।

केरल में भी हुआ था ऐसा
सूचना आयुक्त ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के सिविल अपील क्रमांक 824-2016 के केस का भी हवाला दिया। केरल सर्विस कमीशन विरुद्ध केरल सूचना आयोग के फैसले में भी कहा था कि इस तरह की जानकारी नही दी जानी चाहिए। साथ ही आयोग ने इस मामले में सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 8 (1) की उपधारा-e, जिसमें वैश्विक नातेदारी का जिक्र है तथा धारा 8 (1) की उपधारा j, जिसमें तीसरे पक्ष से संबंधित व्यक्तिगत जानकारी का उल्लेख है, को प्रभावी मानते हुए अपीलार्थी की अपील को ख़ारिज कर दिया।

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