
shubh yog of nov2019
भोपाल। हमारे जीवन में योगों का अत्यधिक महत्व माना जाता है। इसके अनुसार वास्तव में दो खास योग होते हैं, जिनमें एक शुभ व एक अशुभ माना जाता है। शुभ योगों के समय किए जाने वाले कार्यों के संबंध में मान्यता है कि ये शुभ फल देते हैं। वहीं इसके विपरीत अशुभ योगों के समय किए गए कार्यों के संबंध में माना जाता है कि ये अशुभ फल प्रदान करते हैं।
ज्योतिष में शुभ समय का निर्धारण तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण के आधार पर किया जाता है, इसके बाद इसकी ही मदद से मुहूर्तों ( Astrology Yoga ) का निर्धारण होता है। वर्ष 2019 का नवंबर माह शुरू हो चुका है। ऐसे में इस माह पड़ने वाले शुभ योगों की जानकारी को देखते हुए, आज हम आपको नवंबर में पड़ने वाले शुभ योगों की जानकारी दे रहे हैं।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार वैदिक ज्योतिष शास्त्र ( vedic jyotish ) में 27 नक्षत्र हैं। इनमें 8वें स्थान पर पुष्य नक्षत्र आता है, जो बेहद ही शुभ एवं कल्याणकारी नक्षत्र है, इसलिए इसे नक्षत्रों का सम्राट भी कहा जाता है।
जब यह नक्षत्र रविवार के दिन होता है तो इस नक्षत्र एवं वार के संयोग से रवि पुष्य योग बनता है। मान्यता के अनुसार इस योग में ग्रहों की सभी बुरी दशाएं अनुकूल हो जाती हैं, जिसका परिणाम सदैव आपके लिए शुभकारी होता है। रवि पुष्य योग को रवि पुष्य नक्षत्र योग भी कहा जाता है।
रवि पुष्य योग नवंबर 2019 तारीखें...
| दिनांक | आरंभ काल | समाप्ति काल |
| 17 नवंबर 2019, रविवार | 22:59:19 | 30:45:42 |
रवि पुष्य योग समस्त शुभ और मांगलिक कार्यों के शुभारंभ के लिए उत्तम माना गया है। यदि ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल हो अथवा कोई अच्छा मुहूर्त नहीं भी हो, ऐसी स्थिति में भी रवि पुष्य योग सभी कार्यों के लिए परम लाभकारी होता है लेकिन विवाह को छोड़कर।
इस योग में सोने के आभूषण, प्रॉपर्टी और वाहन आदि की खरीददारी करना लाभदायक होता है। रवि पुष्य योग में नए व्यापार और व्यवसाय की शुरुआत करना भी श्रेष्ठ बताया जाता है। इसके अलावा यह योग तंत्र-मंत्र की सिद्धि एवं जड़ी-बूटी ग्रहण करने में विशेष रूप से उपयोगी होता है।
ऐसे होता है शुभ या अशुभ समय का ज्ञान...
दरअसल शुभ समय का निर्धारण तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण के आधार पर किया जाता है, इसके बाद इसकी ही मदद से मुहूर्तों ( Astrology Yoga ) का निर्धारण होता है।
इसके लिए ज्योतिष शास्त्र में पंचांग से इन सारी स्थितियों का विश्लेषण करने के बाद ही निश्चित समय पर निश्चित शुभ या अशुभ समय का ज्ञान होता है।
अमृत सिद्धि योग नवंबर 2019 तारीख...
| दिनांक | आरंभ काल | समाप्ति काल |
| 27 नवंबर 2019, बुधवार | 06:52:52 | 08:13:05 |
पंडित शर्मा कहते हैं कि वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अमृत सिद्धि योग को अत्यंत शुभ योग माना गया है। यह योग नक्षत्र एवं वार के संयोग से बनता है। ऐसा कहा जाता है कि इस योग में किए गए सभी कार्य पूर्ण रूप से सफल होते हैं, इसलिए समस्त मांगलिक कार्य के शुभ मुहूर्त के लिए इस योग को प्राथमिकता दी जाती है।
इस योग में किसी नए कार्य को प्रारंभ करना भी शुभ माना जाता है। जैसे- व्यापार संबंधी समझौता, नौकरी के लिए आवेदन, ज़मीन, वाहन और स्वर्ण की ख़रीदारी, विदेशगमन आदि।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन कारणों से अमृत सिद्धि योग बनता है-
1. हस्त नक्षत्र यदि रविवार के दिन हो तो अमृत सिद्धि योग बनता है।
2. मृगशिरा नक्षत्र यदि सोमवार के दिन पड़े तो अमृत सिद्धि योग बनता है।
3. अश्विनी नक्षत्र मंगलवार के दिन हो तो अमृत सिद्धि योग बनता है।
4. अनुराधा नक्षत्र बुधवार के दिन हो तो अमृत सिद्धि योग बनता है।
5. पुष्य नक्षत्र यदि गुरुवार के दिन हो तो अमृत सिद्धि योग बनता है।
6. रेवती नक्षत्र यदि शुक्रवार के दिन पड़े तो अमृत सिद्धि योग बनता है।
7. शनिवार के दिन रोहिणी नक्षत्र हो तो अमृत सिद्धि योग बनता है।
इन बातों का भी रखें खास ध्यान :
अमृत सिद्धि योग मंगलवार के दिन पड़े तो गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों को करना अशुभ माना गया है। इसी प्रकार यदि यह योग बृहस्पतिवार के दिन पड़े तो शादी-विवाह करना वर्जित माना गया है और शनिवार के दिन इस योग में यात्रा करना उपयुक्त नहीं माना गया है।
सर्वार्थ सिद्धि योग नवंबर 2019 तारीखें...
| दिनांक | आरंभ काल | समाप्ति काल |
| 12 नवंबर 2019, मंगलवार | 20:51:41 | 30:41:44 |
| 13 नवंबर 2019, बुधवार | 06:41:44 | 22:01:20 |
| 13 नवंबर 2019, बुधवार | 22:01:20 | 30:42:32 |
| 17 नवंबर 2019, रविवार | 22:59:19 | 30:45:42 |
| 18 नवंबर 2019,सोमवार | 06:45:42 | 22:21:24 |
| 19 नवंबर 2019,मंगलवार | 06:46:30 | 21:22:58 |
| 27 नवंबर 2019,बुधवार | 06:52:52 | 08:13:05 |
सर्वार्थ सिद्धि योग अत्यंत शुभ योग माना जाता है। यह तीन शब्दों से मिलकर बना है। सर्वार्थ यानि सभी, सिद्धि यानि लाभ व प्राप्ति एवं योग से तात्पर्य संयोजन, अत: हर प्रकार से लाभ की प्राप्ति को ही सर्वार्थ सिद्धि योग कहा गया है। यह एक शुभ योग है इसलिए इस योग में संपन्न होने वाले कार्यों से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
सर्वार्थ सिद्धि योग एक निश्चित वार और निश्चित नक्षत्र के संयोग से बनता है। यह योग शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए विशेष फलदायी होता है और समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है।
वार और नक्षत्र के ये संयोग हमेशा निर्धारित रहते हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग सभी शुभ कार्यों के शुभारंभ के लिए उपयुक्त समय होता है।
नक्षत्र और वार के संयोग जिनमें सर्वार्थ सिद्धि योग निर्मित होते हैं:
1. रविवार- अश्विनी, हस्त, पुष्य, मूल, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपद
2. सोमवार- श्रवण, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा
3. मंगलवार- अश्विनी, उत्तरा भाद्रपद, कृतिका, अश्लेषा
4. बुधवार- रोहिणी, अनुराधा, हस्त, कृतिका, मृगशिरा
5. गुरुवार- रेवती, अनुराधा, अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य
6. शुक्रवार- रेवती, अनुराधा, अश्विनी, पुनर्वसु, श्रवण
7. शनिवार- श्रवण, रोहिणी, स्वाति
सर्वार्थ सिद्धि योग किसी भी नए तरह का करार करने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। इस योग के प्रभाव से नौकरी, परीक्षा, चुनाव, खरीदी-बिक्री से जुड़े कार्यों में सफलता मिलती है।
भूमि, गहने और कपड़ों की ख़रीददारी में सर्वार्थ सिद्धि योग अत्यंत लाभकारी है। इसके प्रभाव से मृत्यु योग जैसे कष्टकारी योग के दुष्प्रभाव भी नष्ट हो जाते हैं।
सर्वार्थ सिद्धि योग में हर वस्तु की खरीददारी शुभ मानी जाती है लेकिन मंगलवार के दिन नए वाहन और शनिवार के दिन इस योग में लोहे का सामान खरीदना अशुभ माना जाता है। सर्वार्थ सिद्धि योग को एक शुभ योग की संज्ञा दी गई है। यह योग एक ऐसा सुनहरा अवसर लेकर आता है जिसके प्रभाव से आपकी समस्त इच्छा और सपने पूर्ण होते हैं।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार मुहूर्त किसी कार्य के लिए शुभ व अशुभ समय की अवधि को कहा जाता है। मुहूर्त शास्त्र ( Muhurat ) के अनुसार तिथि, वार, नक्षत्र, योग आदि के संयोग से शुभ या अशुभ योगों ( good and bad yog ) का निर्माण होता है।
जिन मुहूर्तों में शुभ कार्य किए जाते हैं उन्हें शुभ मुहूर्त ( good Muhurat ) कहते हैं। इसके विपरीत अशुभ योगों में किए गए कार्य असफल होते हैं और उनका फल भी अशुभ होता है।
इन सभी शुभ व अशुभ योगों ( good and bad yog ) का निर्माण तिथियों, वारों व नक्षत्रों के संयोग से होता है और इसके लिए ग्रह दशा भी जिम्मेदार होती है।
Published on:
03 Nov 2019 02:53 pm
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