scriptविचित्र है शिवजी की ये गुफा, शिवलिंग को चढ़ता है सिंदूर का चोला | shivratri 2018 maha Shivaratri Date and Shivaratri Muhurt | Patrika News

विचित्र है शिवजी की ये गुफा, शिवलिंग को चढ़ता है सिंदूर का चोला

locationभोपालPublished: Feb 03, 2018 07:06:57 pm

Submitted by:

Manish Gite

mp.patrika.com महाशिवरात्रि के मौके पर आपको बताने जा रहा है मध्यप्रदेश के शिवालयों के बारे में, जहां भक्तों की मुराद पूरी होती है…।

shivratri 2018

 

 

भोपाल। मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में में इटारसी से 18 किलोमीटर दूर है यह स्थान, जिसे लोग तिलक सिंदूर के नाम से जानते हैं। यहां प्राचीन शिवालय है जो एक गुफा में है। विश्व में एक यही शिवलिंग ऐसा है जहां जल, दूध, बिलपत्र आदि तो चढ़ता ही है, यहां सिंदूर चढ़ाने की भी परंपरा है। शिवलिंग पर सिंदूर तिलक लगाने की परंपरा के बाद इस स्थान का नाम तिलक सिंदूर हो गया।


महाशिवरात्रि पर हमेशा लगता है मेला
हर साल महाशिवरात्रि के मौके पर हजारों श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने और उन्हें सिंदूर चढ़ाने आते हैं। मान्यता है कि यह एकमात्र ऐसा स्थान है जहां भगवान शंकर को सिंदूर चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं। प्राचीनकाल से ही आदिवासियों के राजा-महाराजा इस स्थान परपूजन करते आए हैं।

 

mp.patrika.com महाशिवरात्रि के मौके पर आपको बताने जा रहा है मध्यप्रदेश के शिवालयों के बारे में, जहां भक्तों की मुराद पूरी होती है…।

 

 

भस्मासुर से बचने यहीं छिपे थे शिवजी
ऐसी मान्यता है कि जब भस्मासुर भगवान शंकरजी के पीछे पड़ गया था, उससे पीछा छुड़ाने के लिए शिवजी ने इन्हीं पहाड़ियों में शरण ली थी। यहां कई दिनों तक छुपने के बाद उन्होंने पचमढ़ी जाने के लिए सुरंग तैयार की थी।
-प्राचीन मान्यताओं के मुताबिक यह सुरंग आज भी यहां मौजूद है, जो पचमढ़ी में खुलती है। शिवजी इसी रास्ते से पचमढ़ी गए थे। जहां वे जटाशंकर में भी छुपकर रहे थे।

tilak sindoor

यह है पौराणिक महत्व
सतपुड़ा पर्वत श्रंखला में मौजूद इस स्थान का पौराणिक महत्व है। इसके पुख्ता प्रणाण तो नहीं मिलते हैं, लेकिन तपस्वी ब्रह्मलीन कलिकानंद के मुताबिक यह ओंकारेश्वर स्थित महादेव मंदिर के समकालीन शिवलिंग है। यहां शिवलिंग पर स्थित जलहरी का आकार चतुष्कोणीय है, जबकि सामान्य तौर पर जलहरी त्रिकोणात्मक होती है। ओंकारेश्वर के महादेव के समान ही यहां का जल पश्चिम दिशा की ओर जाता है, जबकि अन्य सभी शिवालयों में जल उत्तर की ओर प्रवाहित होता है। ग्रंथों में भी भारतीय उपमहाद्वीप में इस स्थान अनूठा माना गया है।

 

 

tilak sindoor
सतपुड़ा के पहाड़ों में है यह मंदिर
खटामा के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। तिलक सिंदूर ग्राम जमानी में है जो इटारसी से किलोमीटर दूर है। यह मंदिर ढाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर मौजूद है। उत्तरमुखी शिवालय सतपुड़ा के पहाड़ों में है। इस क्षेत्र में सागौन, साल, महुआ, खैर आदि के पेड़ अधिक हैं। यहां छोटी धार वाली नदीं हंसगंगा नदी बहती है।
महाशिवरात्रि पर लगता है मेला
यहां बरसों स शिवरात्रि ?ि पर मेला लगता है। यहां आदिवासी अंचल और दूरदराज से लोग मंदिर में दर्शन करने आते हैं। मेले के दौरान यहां लाखों लोग शामिल होते हैं।

ट्रेंडिंग वीडियो