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साइलेंट हार्ट अटैक आने से पहले ही मिलने लगते हैं ये संकेत, पहचान कर बचा सकते हैं जिंदगी

locationभोपालPublished: Jun 23, 2019 04:26:54 pm

Submitted by:

Faiz

जब किसी व्यक्ति को साइलेंट हार्ट अटैक की प्रॉबल्म होती है, तो उसे सीने में किसी प्रकार का कोई दर्द नहीं होता, जिससे समस्या का निदान किया जा सके। यही कारण है कि, साइलेंट अटैक आने पर व्यक्ति को बचाना असंभव हो जाता है।

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साइलेंट हार्ट अटैक आने से पहले ही मिलने लगते हैं ये संकेत, पहचान कर बचा सकते हैं जिंदगी

भोपालः आमतौर पर किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक ( Heart Atteck ) आने पर पीड़ित या उसके परिजन को पहले ही अनुमान हो जाता है कि, शायद पीड़ित को हार्ट अटैक आया है। क्योंकि, इसके लक्षणों से बहुत हद तक इसकी पहचान हो जाती है, जिसपर सतर्कता दिखाते हुए लोग पीड़ित को उपचार के लिए ले जाते हैं। लेकिन, हार्ट अटैक की एक और किस्म है साइलेंट हार्ट अटैक, जिसमें पीड़ित को पता भी नहीं हो पाता कि, उसकी मृत्यु का क्या कारण था। क्योंकि, जब किसी व्यक्ति को साइलेंट हार्ट अटैक की प्रॉबल्म ( Attack problem ) होती है, तो उसे सीने में किसी प्रकार का कोई दर्द नहीं होता, जिससे समस्या का निदान किया जा सके। यही कारण है कि, साइलेंट अटैक आने पर व्यक्ति को बचाना असंभव हो जाता है। लेकिन, अगर कुछ संकेतों को पहचान लिया जाए तो साइलेंट हार्ट अटैक की पहचान की जा सकती है और पीड़ित को सही उपचार दिलाया जा सकता है।

हो सकता है इस गंभीर समस्या से रोकथाम

साइलेंट अटैक से ग्रस्त व्यक्ति को 100 में से 99 बार में सिर्फ इसलिए भी बचाना संभव नहीं हो पाता, क्योंकि जांच होने से पहले पता ही नहीं लगता कि, पीड़ित को आखिर हुआ क्या। लेकिन, साइलेंट हार्ट अटैक आने से पहले व्यक्ति में कुछ खास संकेत दिखाई देने लगते हैं, जिन्हें पहचानकर सही समय पर इसका इलाज किये जाने से ये गंभीर परेशानी का निदान हो सकता है, साथ ही किसी का अनमोल जीवन बच सकता है।

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पीड़ित को लगता है कि आ गई नींद

साइलेंट हार्ट अटैक को मेडिकल भाषा में कार्डिक अरेस्ट भी कहा जाता है। साइलेंट अटैक आने पर व्यक्ति को सिर्फ ये लग पाता होगा कि, उसे नींद आ गई। यहां तक की पहली नज़र में देखने पर तो सामने वाले को भी यही समझ आता है कि, सामने वाला व्यक्ति सो रहा है। क्योंकि, अटैक आने से पहले पीड़ित को किसी तरह की तकलीफ भी नहीं होती। हालही में हुई एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि, हार्ट अटैक के मामलों में 45 फीसदी मामले साइलेंट अटैक के होते हैं। विशेषज्ञों ने ये भी माना कि, साइलेंट अटैक उन ही लोगों को नहीं आता जो दिल के रोगी हों। कई बार हार्ट डिसीज न होने पर भी साइलेंट अटैक के कई मामले सामने आ चुके हैं। गालांकि, महिलाओं की तुलना में साइलेंट अटैक के ज्यादा मामले पुरुषों में देखे गए हैं।


साइलेंट हार्ट अटैक के बारे में खास बातें

राजधानी भोपाल के निजी अस्पताल में कार्यरत हार्ट विशेषज्ञ डॉ. राम राजावत के मुताबिक, साइलेंट हार्टअटैक को साइलेंट मायोकार्डियल इंफ्रेक्शन कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को हार्ट अटैक आने पर सीने में दर्द महसूस नहीं होता। हालांकि, उन्होंने बताया कि, कार्डियक अरैस्ट आने से पहले कुछ ऐसे संकेत जरूर मिलते हैं, जिन्हें पहचानकर पता लगाया जा सकता है कि, पीड़ित को अटैक आ सकता है।

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अटैक में दर्द ना होने का कारण

साइलेंट अटैक में सीने में दर्द न होने की वजह न्यरोपैथी से जुड़ी है। अटैक आने स पहले अकसर दिमाग तक दर्द का अहसास कराने वाली नस ही ब्लॉक हो जाती है, जिसमें प्रवाहित खून दिमाग को किसी भी तकलीफ का संकेत देने में असफल हो जाता है और पीड़ित को पता भी नहीं चल पाता कि, आखिर उसे हुआ क्या? इसके अलावा ज्यादा उम्र के लोगों में ऑटोनाूमिक न्यूरोपैथी के कारण भी दर्द का अहसास नहीं हो पाता। लेकि, इन खास संकेतों की पहचान करके आप किसी विपदा को आने से पहले रोक सकते हैं। डॉ. राजावत ने बताया कि, साइलेंट अटैक आने से पहले व्यक्ति को पांच तरह के संकेत मिलने लगते हैं, ये संकेत इतने कारगर हैं कि, इन्हें मेहसूस करके मौत को बहुत हद तक रोका जा सकता है।


इन संकेतों को पहचानें

– गैस्ट्रिक प्रॉब्लम या पेट की खराबी

– बिना वजह हो रही कमजोरी और सुस्ती

– थोड़ी सी मेहनत में थकान लगना।

– अचानक ठंडा पसीना आना।

– बार-बार सांस फूलना।


साइलेंट अटैक आने का बड़ा कारण

जो लोग ज्यादा ऑयली, फैटी और प्रोसेस्ड फूड खाते हैं, उन्हें साइलेंट किलर की समस्या आती हैं। साथ ही जो लोग फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते , उन्हें भी ये बीमारी घेर लेती है। शराब और सिगरेट पीने वाले, डायबिटीज और मोटापे से ग्रसित लोगों के साथ जो लोग टेंशन और स्ट्रेस के शिकार होते हैं उन्हें साइलेंट अटैक आने की संभावना ज्यादा रहती है।

 

 

साइलेंट अटैक से बचने के लिए करें ये उपाय

जिन लोगों को ये सब परेशानी रहती हैं, उन्हें अपनी डाइट में सलाद और सब्जियां शामिल करनी चाहिए। रैग्यूलर वॉक, योगासन और व्यायाम भी इसके लिए बहुत जरूरी है। ऐसे लोगों को स्ट्रेस और टेंशन से दूर रहना चाहिए।

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