
फोटो सोर्स: पत्रिका
MP News: शिक्षा विभाग में डीएड (डिप्लोमा इन एजुकेशन) की फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी कर रहे नकली शिक्षकों के खिलाफ एसटीएफ की पड़ताल लगातार जारी है। अब इस मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है। एसटीएफ की जांच में खुलासा हुआ है कि फर्जी डिग्री लगाकर नकली शिक्षक बनाने का खेल कोई नया नहीं है।
यह तो साल 1996 से लगातार चलता आ रहा है। जांच टीम का दावा है कि प्रदेश में सबसे ज्यादा नटवरलाल शिक्षकों की भर्तियां साल 1998, 2001, 2003 और 2006 में की गई हैं। एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक सबसे ज्यादा धांधली इन्हीं चार सालों में हुई हैं।
एसटीएफ ने 34 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने की पुख्ता तैयारी कर ली है। जिला शिक्षा अधिकारियों से उनके दस्तावेजों की एक गोपनीय रिपोर्ट तैयार करा ली है। उन दस्तावेजों का परीक्षण भी कर लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक अब जल्द शिक्षकों की गिरफ्तारी की जाएगी। लेकिन उससे पहले एक बार पूछताछ का उन्हें मौका दिया जाएगा।
फर्जी शिक्षकों की गैंग का भंडाफोड़ होने के बाद एसटीएफ के पास 5 गोपनीय शिकायतें पहुंची है। जिसमें फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी करने की कुछ शिक्षकों की प्रमाण के साथ जानकारी एसटीएफ को भेजी गई है। शिकायतें मिलने के बाद एसटीएफ के द्वारा इनकी प्राथमिक पड़ताल शुरू कर दी गई है। अगर शिकायतें तथ्यात्मक रूप से सही पाई गईं तो इन शिक्षकों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
एसटीएफ के एसपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया कि ऐसी गड़बड़ियां लंबे समय से चली आ रही हैं। अब तक की पड़ताल में यह सामने आया है कि करीब 50 प्रतिशत से ज्यादा भर्तियां साल 1998, 2001, 2003 और 2006 के अवधि के दौरान ही हुई हैं। इस अवधि में प्रदेशभर में भर्ती होने वाले शिक्षकों की जांच की जा रही है।
Published on:
20 Nov 2025 04:32 pm
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