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बाघों के घर MP में खतरे में Tiger, बाल, मूंछ नहीं अब ‘बोन ग्लो’ के लिए भी की जा रही तस्करी

Tiger Trafficking in MP: बाघ के खुख्यात शिकारियों के पकड़े जाने पर हुआ खुलासा, टाइगर बोन ग्लो के लिए की जा रही बाघों की तस्करी

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Tiger in Danger

Tiger in Danger in MP: बाघ की हड्डियों से तैयार होने वाली दवा बोनग्लो के लिए की जा री बाघों की तस्करी

Tiger Smuggling in MP: टाइगर की हड्डियों से बनने वाले बोन ग्लो के लिए टाइगर का शिकार किया जा रहा है। यह आशंका टाइगर के कुख्यात शिकारियों की गिरफ्तारी के बाद लगाई गई है। दरअसल चीन, वियतनाम, दक्षिण पूर्व एशिया कामोत्तजक दवाओं के लिए इसकी डिमांड है। इसे पूरा करने के लिए तस्कर देश में शिकारियों से संपर्क साध रहे हैं। करोड़ों के कारोबार के लिए शिकारियों का गिरोह सक्रिय हो गया। वन विभाग इसका अलर्ट जारी कर चुका है।

बाघ के कुख्यात शिकारियों के पकड़े जाने के बाद तस्करी के मामले सामने आए। अब तक टाइगर के शिकार के पीछे बाल और इसकी मूंछ को कारण बताया जाता था। अब बोन ग्लो की तस्करी की बात भी सामने आई। तेजी से पनप रहे कारोबार ने शिकारियों के गिरोह को सक्रिय कर दिया।

क्या है टाइगर बोन ग्लो

टाइगर बोन ग्लू बाघों की हड्डियों से बनाया जाता है। इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है। चीन, वियतनाम और दक्षिण पूर्व एशिया में इसकी बहुत मांग है। जंगली बाघों से बने ग्लू को ज्यादा असरदार माना जाता है, इसलिए इसकी कीमत भी ज्यादा होती है।

विलुप्त होने का खतरा

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि बाघों और तेंदुओं के शिकार का मुख्य कारण 'बोन ग्लू' ही है। विदेशों में बाघों की संख्या में कमी आने के पीछे इसे मुख्य कारण बताया गया। शिकार के मामले बढ़े हैं।

शिकारियों की सर्चिंग तेज

जंगल के आसपास घुमक्कड़ प्रजातियों के डेरों की जांच कर रहे हैं। चार स्थानों को चिन्हित कर वहां लोगों के दस्तावेज देखें गए। कोई संदिग्ध नहीं मिला है। अलर्ट के बाद बाघ भ्रमण क्षेत्र में अलर्ट भी है।

-लोकप्रिय भारती, जिला वन अधिकारी

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