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30 से 45 साल के लोगों को आ रहा Heart Attack, ये हैं 3 बड़े कारण

World Heart Day: जीएमसी, एम्स और शहर के निजी अस्पतालों के कार्डियोलॉजिस्ट बताते हैं कि अब 30-45 वर्ष आयु वर्ग के 25-30 प्रतिशत मरीज हार्ट अटैक के शिकार हैं।

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फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

World Heart Day: इस बार विश्व हार्ट़ दिवस का थीम 'धड़कन को न छोड़ें' है। राजधानी सहित मध्यप्रदेश में हार्ट अटैक का खतरा अब बुजुर्गों तक सीमित नहीं रहा। 30 से 45 वर्ष के युवा इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। हजारों युवा असमय हृदय रोगों का शिकार हो रहे हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार, बदलती जीवनशैली, धूम्रपान, नींद की कमी और वायु प्रदूषण इस संकट को गहरा रहे हैं। प्रतिदिन अस्पतालों में इस आयु वर्ग के मरीज अधिक पहुंच रहे हैं।

पांच साल में 10 फीसदी बढ़े केस

जीएमसी, एम्स और शहर के निजी अस्पतालों के कार्डियोलॉजिस्ट बताते हैं कि अब 30-45 वर्ष आयु वर्ग के 25-30 प्रतिशत मरीज हार्ट अटैक के शिकार हैं। बीते पांच साल में इस आयु वर्ग में हृदय रोगों के मामले 10 प्रतिशत तक बढ़े हैं। वहीं 20 से 25 वर्ष के युवाओं में हार्ट अटैक के मामले सामने आए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि तनाव, धूम्रपान और मोटापा युवाओं में तेजी से हृदय रोग को जन्म दे रहे हैं।

ये केस आए सामने

-जनवरी 2024 में पिपलानी के विवेक सोनी खाना बनाते समय अचानक गिर पड़े। हमीदिया ले जाने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित किया। शुरुआती जांच में हार्ट अटैक की संभावना जताई गई।

-मार्च 2024 में बैरागढ़ के अमित मालवीया की सोते समय मौत हो गई। डॉक्टरों ने आशंका जताई कि ‘‘साइलेंट हार्ट अटैक’’ था, जिसके लक्षण स्पष्ट नजर नहीं आए।

-अप्रेल 2023 मे 34 वर्षीय युवक क्रिकेट खेलते समय अचानक सीने में दर्द और सांस फूलने से वह मैदान पर गिर पड़ा। अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो गई।

इऩ 3 चीजों से मामले बढ़े

पांच साल में शहर के युवाओं में हार्ट अटैक और कार्डियक अटैक के मामले बढ़े हैं। 30-45 वर्ष के 30 प्रतिशत लोग इसके शिकार हो रहे हैं और 25 से 30 वर्ष की आयु युवा 12 प्रतिशत इस बीमारी की चपेट में हैं। यह बदलती जीवन शैली, आहार और वायु प्रदूषण से हो रहा है।- प्रो. डॉ. राजीव गुप्ता, हृदय रोग विभागाध्यक्ष, जीएमसी

फास्ट फूड की आदत हृदय को कमजोर कर रही

विशेषज्ञ बताया कि मोबाइल और सोशल मीडिया की लत, रातभर जागना, केवल 4-5 घंटे की नींद और फास्ट फूड की बढ़ती आदत हृदय को कमजोर कर रही है। दोपहिया वाहन चालकों और बस ड्राइवरों में प्रदूषण भी बड़ा जोखिम बनकर सामने आ रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, ट्रैफिक के दौरान प्रदूषण का असर दिनभर कई सिगरेट पीने जितना खतरनाक है।

15 हजार से अधिक कार्डियक के मामले सामने आए

108 एंबुलेंस सेवा के आंकड़े के अनुसार पिछले एक साल में 15 हजार कार्डियक के केस सामने आए। विशेषज्ञ का कहना है कि यदि युवाओं ने नींद, खानपान और तनाव पर ध्यान नहीं दिया तो में यह संख्या दोगुनी हो सकती है।