
हीराकुद बांंध संबलपुर।
( भुवनेश्वर, महेश शर्मा )। मॉनसून में देरी के कारण संबलपुर में महानदी पर बना हीराकुद बांध ( Heerakud Bandh ) का पानी घटने लगा है। इस प्राकृतिक संकट से निकट भविष्य में बिजली और पानी का संकट ओडिशा में उत्पन्न हो सकता है। महानदी को ओडिशा और पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा ( Life Line Of Odisha And Chhattishgarh ) कहा जाता है। बताते हैं कि महानदी अपस्ट्रीम यानी छत्तीसगढ़ से भी बीते कुछ दिनों से महानदी में पानी आना बहुत कम हो गया है। मंगलवार को तो महानदी ( Mahanadi ) का बहाव शून्य हो गया है।
जुलाई में महज 175 मिमी बारिश
हीराकुद बांध अधिकारियों का कहना है कि इस जुलाई में अब तक 175 एमएम वर्षा ही रिकार्ड की गई है। बीते साल के मुकाबले यह 50 प्रतिशत कम है। हीराकुद बांध ( Heerkud Dam ) का जलस्तर 21 जुलाई 2018 में 607.42 फुट था। अब यह घटकर 598.67 फुट रहा गया है। क्षमता 630 फुट है। बांध से ओडिशा की केनालों में 4,559 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। स्पिलवे में शून्य, पावर केनाल में भी शून्य क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। बाकी दो केनालों में 4,389 क्यूसेक तथा उद्योगों के लिए 170 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है।
चहुंओर दिक्कत की आशंका
महानदी के डाउन स्ट्रीम में पानी जितना था, उतना ही है। ऊपर से बरसात ( monsoon in Oddisha ) का न होना भयंकर संकट का कारण बन सकता है। न केवल बिद्युत उत्पादन प्रभावित हुआ है बल्कि सिंचाई और पेयजल की भी भारी दिक्कत संभव है। हीराकुद बांध का जलस्तर 595 फुट तक आता है तो उद्योगों को पानी देना बिलकुल ठप हो जाएगा। और 590 फुट तक जलस्तर आता है तो कृषि और बिजली उत्पादन को पानी नहीं दिया जाएगा। यह बात हीराकुद बांध के मुख्यअभियंता सुनील कुमार नायक ने बतायी।
हालात की नजाकत को समझते हुए हीराकुद बांध के अधिकारियों ने ओडिशा हाइड्रो पावर कारपोरेशन और स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर के अधिकारियों संग बातचीत की है। ओडिशा हाईड्रो पावर कारपोरेशन से कहा गया है कि वो हीराकुद रिजर्वायर से 13 हजार क्यूसेक के बजाय तीन हजार क्यूसेक पानी का इस्तेमाल करें।
Published on:
23 Jul 2019 05:11 pm
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