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‘बथुकम्मा उत्सव’ अब बन चुका है बीजापुर की पहचान, विधायक ने 80 गांवों के पूजा स्थलों में पहुंचकर किया दर्शन, जानें…

Bathukamma Utsav: बीजापुर जिले में नवरात्रि पर मां बतुकमा उत्सव धूमधाम से मनाया गया। विधायक विक्रम मंडावी ने भोपालपटनम क्षेत्र के 80 गांवों में 250 से अधिक पूजा स्थलों का दौरा कर मां बथुकमा का आशीर्वाद लिया।

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मां बथुकम्मा उत्सव की धूम (Photo source- Patrika)

मां बथुकम्मा उत्सव की धूम (Photo source- Patrika)

Bathukamma Utsav: नवरात्रि के पावन अवसर पर बीजापुर जिले में मां बतुकमा उत्सव ने सांस्कृतिक रंग बिखेरे। इस बार उत्सव का खास आकर्षण रहे विधायक विक्रम मंडावी, जिन्होंने अपने दो दिवसीय भोपालपटनम दौरे में 80 गाँवों के 250 से अधिक माँ बथुकमा पूजा स्थलों का भ्रमण किया। उन्होंने माँ बथुकमा का आशीर्वाद लिया और समुदाय के साथ उत्सव की खुशियों में शरीक हुए।

Bathukamma Utsav: सामूहिक नृत्य ने उत्सव को बनाया जीवंत

गौरतलब है कि तेलंगाना की सांस्कृतिक धरोहर माने जाने वाला यह उत्सव अब बीजापुर की पहचान भी बन चुका है। महिलाएँ और युवतियाँ पारंपरिक परिधानों में सजकर गुनुगु, तंगेडु और चमंती जैसे रंग-बिरंगे फूलों से शंकु आकार की बतुकमा सजाती हैं और उसे प्रकृति व जीवन की देवी को समर्पित करती हैं। लोकगीतों और तालियों की थाप पर सामूहिक नृत्य ने उत्सव को जीवंत बना दिया। विधायक मंडावी ने गाँव-गाँव पहुँचकर माँ बथुकमा से क्षेत्र की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की।

इस दौरान ग्रामीणों ने आरती उतारकर उनका स्वागत किया। मंडावी ने कहा ‘‘माँ बथुकमा उत्सव हमारी संस्कृति और परंपराओं का जीवंत प्रतीक है। यह प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और समाज में महिलाओं की सशक्त भूमिका को दर्शाता है। बीजापुर में इस उत्सव का बढ़ता दायरा हमारी सांस्कृतिक एकता और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है।

इनकी रही मौजूदगी

इस अवसर पर लालू राठौर, शंकर कुड़ियम, बसंत राव ताटी, सुरेंद्र चापा, कामेश्वर गौतम, सरिता चापा, निर्मला मरपल्ली, मिच्चा मुतैया, रमेश पामभोई, तलांडी इस्तारी, के.जी. सत्यम, सुरेंद्र सोड़ी, मोहित चौहान, सुनील उद्दे, अरुण वासम सहित बड़ी संया में कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल रहे। बीजापुर में माँ बथुकमा का बढ़ता प्रभाव तेलंगाना और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक साझेदारी का जीवंत उदाहरण बन चुका है।

उत्सव को सभी ने मिलकर यादगार बनाया

Bathukamma Utsav: उत्सव में हर वर्ग के लोगों की भागीदारी रही। पुरुष, महिलाएँ, बच्चे और बुजुर्ग सभी ने मिलकर इसे यादगार बनाया। फूलों से सजी बथुकमा का जलाशयों में विसर्जन कर प्रकृति के प्रति समान व्यक्त किया गया। भोपालपटनम क्षेत्र के कई गाँवों में देर रात तक गीत-संगीत और नृत्य का दौर चलता रहा।