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Naxal Encounter: 21 दिनों तक चला ऑपरेशन, 31 इनामी नक्सली मारे गए, पौने दो करोड़ का था ईनाम

Naxal Encounter:छत्तीसगढ़ के डीजीपी अरुण देव गौतम ने पूरे ऑपरेशन की डिटेल वीडियो प्रजेंटेंशन के माध्यम से साझा की। अफसरों ने बताया कि इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी चुनौती पहाड़ पर मिली 450 आईईडी थी।

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Naxal Encounter: 21 दिनों तक चला ऑपरेशन, 31 इनामी नक्सली मारे गए, पौने दो करोड़ का था ईनाम

Naxal Encounter: तेलंगाना-छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ पर पिछले 21 दिन से देश का सबसे बड़ा ऑपरेशन चल रहा था। यह ऑपरेशन 11 मई को खत्म हो गया। इसके बाद बुधवार को बीजापुर जिला मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सीआरपीएफ के डीजी जीपी सिंह और छत्तीसगढ़ के डीजीपी अरुण देव गौतम ने पूरे ऑपरेशन की डिटेल वीडियो प्रजेंटेंशन के माध्यम से साझा की। अफसरों ने बताया कि इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी चुनौती पहाड़ पर मिली 450 आईईडी थी। जवानों ने इसे डिफ्यूज कर पहाड़ को फतह किया।

यह भी पढ़ें: Naxal Encounter: मुठभेड़ में मारे गए 22 से ज्यादा नक्सलियों के शव बरामद, CM साय ने दी जानकारी

इसके बाद पहाड़ पर नक्सलियों के बनाए चार हथियार फैक्ट्री, अस्पताल और 250 से ज्यादा बंकर को नष्ट किया गया। इस दौरान 60 किमी के दायरे में फैली पहाड़ी पर 21 जगह मुठभेड़ हुई जिसमें 31 नक्सली मारे गए। मारे गए नक्सलियों में 17 महिला और 14 पुरुष नक्सली हैं। सभी पर 1 करोड़ 92 लाख का इनाम था। डीजीपी अरुण देव गौतम ने कहा कि नक्सलियों को आभास नहीं था कि 450 आईईडी को पार कर कोई हम तक पहुंच सकेगा, लेकिन हमने कर दिखाया। अजेय किले तक नहीं पहुंच सकने का नक्सलियों को कॉन्फिडेंस था, जिसे जवानों ने तोड़ दिया है।

पहले पहाड़ को समझा फिर ऑपरेशन किया लांच

अफसरों ने बताया कि पहाड़ के टेक्निकल फील्ड इनपुट कलेक्ट कर एक टीम का गठन किया गया था। इनपुट मिलने के बाद 24 घंटे इस पर अध्ययन किया गया। इसके बाद ऑपरेशन लॉन्च किया गया। पहाड़ी पर चढऩे, उतरने, रास्ते पर लगाई गई आईईडी को डिफ्यूज किया गया। पहले जवानों को जानकारी दी गई फिर ऑपरेशन लॉन्च किया गया। हिल टॉप पर बेस बनाया गया। साथ ही हेलीपेड भी बनाया गया है।

450 में 15 आईईडी ब्लास्ट, 18 जवान घायल

डीजीपी अरुण देव गौतम ने बताया कि ऑपरेशन की सबसे बड़ी चुनौती पहाड़ पर जगह-जगह लगाई गई 450 आईईडी थी। इस चुनौती को जवानों ने बखूबी पार किया। 450 में से सिर्फ 15 आईईडी ही ब्लास्ट हुई। ऑपरेशन में 21 दिनों में 18 जवान घायल हुए। डीजीपी ने बताया कि जवानों को नए टेक्निक के मेटल डिटेक्टर दिए जा रहे हैं। इस वजह से अब आईईडी तलाशने में ज्यादा आसानी हो रही है।

दो साल के लिए हथियार जमा कर रखा था नक्सलियों ने

पहाड़ी पर ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों के पास से जो हथियार मिले हैं। वह दो साल के लिए इकट्ठा किए गए थे। नक्सली पहाड़ी पर ही देसी हथियार तैयार किया करते थे। इसके लिए चार जगह पर यूनिट डाल रखी थी। नक्सलियों की लेथ मशीन भी मिली है जिसे वहीं नष्ट कर दिया गया। पहाड़ से एसएलआर, इंसास, मजल लोडिंग रायफल, 315 बोर रायफल, सिंगल शॉट, 303 रायफल, मेगा स्नाइपर, शॉर्ट स्नाइपर, बीजीएल लांचर, सैकड़ों बीजीएल जैसे हथियार मिले हैं।

पहाड़ पर 250 गुफाएं, 300 से 400 नक्सलियों की मौजूदगी

कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर 250 से ज़्यादा गुफाएं मिली हैं। यह नक्सलियों के छिपने के लिए सबसे सेफ जगह थी। पहाड़ी पर हर वक्त 300 से 400 नक्सलियों का मूवमेंट रहता था। इस पूरे ऑपरेशन में डीआरजी, एसटीएफ और सीआरपीएफ कोबरा के जवानों की अहम भूमिका रही।

ऐसा पहली बार, पूरे ऑपरेशन की डॉक्यूमेंट्री बनाई गई

बस्तर समेत देश में जहां भी नक्सलवाद है वहां पर कभी भी इस तरह का ऑपरेशन लांच नहीं किया गया था। इस ऑपरेशन से जुड़ी कई खास बातें थीं लेकिन बुधवार को जिस तरह से सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस के अफसरों ने पूरे ऑपरेशन को प्रजेंट किया वह खास रहा। ऐसा पहली बार हुआ जब ऑपरेशन से जुुड़ी एक वीडियो डॉक्यूमेंट्री रिलीज की गई। इस डॉक्यूमेंट्री में नक्सलियों से ज़ुड़ी अहम जानकारी दी गई।