
भट्टीगुड़ा में थमी बंदूक की गूंज (Photo source- Patrika)
CG News: बीजापुर जिले के भट्टीगुड़ा वह इलाका है जहां कभी नक्सली अपना ट्रेनिंग कैंप चलाते थे। यहां नक्सली अपने लड़ाकों को तैयार किया करते थे। अब इसी भट्टीगुड़ा में बड़ा बदलाव नजर आया है। यहां आजाद भारत में पहला स्कूल खुला है। कभी नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले भट्टीगुड़ा में अब शिक्षा की अलख जग चुकी है।
स्कूल फिर चलो अभियान 2025 के तहत यहां एक नए प्राथमिक शाला की शुरुआत की गई है। नक्सलियों के ट्रेनिंग कैंप वाली ज़मीन पर ही बच्चे अब ‘क ख ग घ’ सीख रहे हैं। टीन की छत और लकड़ी की दीवारों से बनी अस्थायी कक्षा में जब पहली बार घंटी बजी, तो गांव के 65 मासूमों ने स्कूल में कदम रखकर इतिहास रच दिया। पहले ही दिन 75 बच्चों का नामांकन दर्ज हुआ। इन बच्चों का जिला प्रशासन ने वेलकम किट देकर स्वागत किया। यहां अब बंदूक की जगह बस्ता है, और डर की जगह उम्मीद है।
संबित मिश्रा, कलेक्टर, बीजापुर: जिले में ऐसे 16 स्कूलों की शुरुआत की गई है। इनमें भट्टीगुड़ा, कोरचोली, तोडक़ा, एड्समेटा, बड़ेकाककेलेड सहित 13 प्राथमिक और 2 माध्यमिक शालाएं शामिल हैं। अब तक 600 से अधिक बच्चों को प्रवेश दिया गया है। अधिकांश स्थानों पर झोपड़ीनुमा स्कूल बनाकर पढ़ाई शुरू की गई है। बारिश के बाद इन जगहों पर पक्के स्कूल भवन बनाए जाएंगे।
बीजापुर से लगभग 85 किमी दूर बसे भट्टीगुड़ा तक पहुंचना अपने आप में एक चुनौती है। नदियों, नालों और कीचड़ भरे रास्तों को पार कर एपीसी, बीईओ, बीआरसी, समेत अधिकारियों की टीम बाइक से गांव पहुंची। तरेम, चिन्नागेल्लूर, गुण्डम, छुड़वाई और कोंडापल्ली होते हुए टीम ने स्कूल के उद्घाटन में भाग लिया।
CG News: यह इलाका कभी नक्सलियों के टॉप लीडर्स का ट्रेनिंग ज़ोन माना जाता था। लेकिन अब यहां चिन्नागेल्लूर, छुड़वाई, गुण्डम, कोंडापल्ली, कवरगट्टा, जीड़पल्ली, धर्मारम और पामेड़ जैसे इलाकों में सुरक्षाबलों के 10 से ज्यादा कैंप स्थापित हो चुके हैं। इससे नक्सलियों की गतिविधियों में भारी गिरावट आई है और विकास कार्यों को नया जीवन मिला है। इन क्षेत्रों में सडक़ों का निर्माण हुआ है और अब तर्रेम से पामेड़ के बीच नियमित बस सेवा शुरू हो गई है, जिससे ग्रामीणों को आवागमन में सुविधा मिल रही है।
Published on:
19 Jul 2025 12:13 pm
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