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काम मांगने को लेकर मनरेगा मजदूरों के साथ ग्राम प्रधान ने किया ऐसा काम, देखकर सहम गए लोग

मनरेगा मजदूरों को ग्राम प्रधान की कार गुजारियों की शिकायत शासन और प्रशासन से करना भारी पड़ गया है।

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काम मांगने को लेकर मनरेगा मजदूरों के साथ ग्राम प्रधान ने किया ऐसा काम, देखकर सहम गए लोग

बिजनौर। एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश में योगी की पुलिस प्रदेश में क्राइम को कंट्रोल करने और अपराधियों पर अंकुश लगाने में लगी है। तो वहीं दूसरी यही पुलिस लोकतंत्र में अपने हक के लिए आवाज उठाने वाली आम जनता से भी अपराधियों जैसा सलूक करने से बाज नहीं आ रही है। ऐसा ही एक मामला यूपी के बिजनौर में सामने आया है। जहां कुछ मनरेगा मजदूरों को ग्राम प्रधान की कार गुजारियों की शिकायत शासन और प्रशासन से करना भारी पड़ गया है।

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पीड़ितों का आरोप है कि शिकायत करने पर ग्राम प्रधान ने पुलिस से मिली भगत करके उलटे शिकायतकर्ताओ को ही गांव से उठवा कर थाने भिजवा दिया। जहां उनके साथ मारपीट की गई। उधर, अभी भी एक मजदूर निजी नर्सिंग होम में अपने एक हाथ को कटने से बचाने की जिद्दोजहद कर रहा है।

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बिजनौर के अफजलगढ़ थाना क्षेत्र के गांव रसूलाबाद के मनरेगा मजदूर काम के इंतजार में अपना जॉबकार्ड लिए खड़े हुए थे। इनका कहना है कि उनके गांव में सरकारी योजना के द्वारा एक तालाब की सफाई और खुदाई होनी थी। जिसे ग्राम प्रधान मनरेगा मजदूरों से न कराकर अपनी निजी जेसीबी मशीन से खुदवा कर करा रहा था और तालाब की मिट्टी को बेच कर अवैध धन उगाही कर रहा था।

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गांव के ग्रामीण विशाल ठाकुर ने बताया कि इस काम को कराये जाने की बात प्रधान से की गई, तो प्रधान ने उनकी एक नहीं सुनी और लगातार अपनी जेसीबी मशीन से तालाब की खुदाई कराता रहा। वहीं जब सभी मनरेगा मजदूरों ने प्रधान की कारगुजारियों की शिकायत जिलाधिकारी बिजनौर और लखनऊ सचिवालय पोर्टल पर की तो प्रधान को यह बात नागवार गुजरी और वो हमसे रंजिश रखने लगा। काम देने की बजाय उल्टे उसने ही हमें पुलिस से गिरफ्तार कराकर थाने भिजवा दिया।

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वहां हमारे साथ पुलिस ने मारपीट की और डराया धमकाया। हमारा एक साथी तो अभी भी पुलिस की मारपीट के कारण अस्पताल में भर्ती है। जिसके हाथ मे गंभीर चोट आई है। डॉक्टर सेप्टिक बता रहे है हो सकता है कि कहीं हाथ ही ना कटवाना पड़े।

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एसपी बिजनौर उमेश कुमार सिंह का कहना है कि ये मजदूर तालाब की सफाई में अवरोध कर रहे थे। इन्होंने वहां एक पौधा और झंडा लगाकर पूजा शुरू कर दी थी। धर्म की आड़ में विकास के कार्य को नहीं होने दे रहे थे। जिसको लेकर इनका दफा 151 में चालान किया गया था। थाने में इनके साथ मारपीट की बात गलत है। हो सकता है मजदूर को किसी कीड़े ने काट लिया हो या कहीं और बाद में चोट लगी हो। अगर पीड़ित के साथ मारपीट की गई थी तो उन्हें मजिस्ट्रेट को बताना चाहिए था और ना ही उनके मेडिकल में कोई चोट आई है।