
बिजनौर. सहकारी बैंक के चुनाव में भाजपा के नेताओं का हाईवोल्टेज ड्रामा सामने आया है। दरअसल बिजनौर में कल जिला सहकारी बैंक के डायरेक्टर्स का चुनाव था। राजनीतिक नजरिये से यह जिले का एक महत्तवपूर्ण पद होता है और आमतौर पर सत्ताधारी दल का व्यक्ति ही इस पर काबिज होता है। बिजनौर में भी भाजपा के दो गुट अपने अपने कैंडिडेट को इस प्रतिष्ठित सीट पर बैठाना चाहते थे। इसके लिए वे हर तरह का हथकंडा अपना रहे थे, लेकिन इससे पहले कि वे अपने मकसद में कामयाब हो पाते पुलिस कप्तान उमेश कुमार सिंह ने इन नेताओं के मंसूबों पर पानी फेर दिया। इस बात से नाराज सूबे के पंचायत राज्य मंत्री भूपेंद्र सिंह ने एसपी को फोन पर जमकर धमकाया।
बिजनौर में जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन के चुनाव में बीजेपी में टकराव पैदा हो गया है। जिसका नतीजा ये हुआ कि जिले के भाजपा नेता 2 गुटों में बटकर आमने—सामने आ गए हैं। पहले गुट में मुरादाबाद सांसद सर्वेश कुमार सिंह, बिजनौर सांसद राजा भारतेंद्र सिंह, नगीना के सांसद डॉक्टर यशवन्त सिंह, बढ़ापुर विधायक सुशान्त सिंह, धामपुर विधायक अशोक राणा, जिला पंचायत अध्यक्ष सकेंद्र चौधरी यानी तीन सांसद, चार विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष शामिल हैं। भाजपा का ये गुट धामपुर विधायक अशोक राणा की मां शांति देवी को भी कॉओपरेटिव बैंक की चेयरमैन बनाना चाहता है।
जबकि बीजेपी का दूसरे गुट में भी कई दिग्ज नेता शामिल हैं। इस गुट में सूबे के कद्दावर पंचायत राज्य मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी, बिजनौर विधायक सूचि चौधरी, भाजपा के महामंत्री व एमएलसी अशोक कटारिया, भाजपा के जिलाध्यक्ष राजीव सिसौदिया शामिल हैं। ये गुट राज्यमंत्री भूपेंद्र सिंह के रिश्तेदार दिनेश कुमार को कोऑपरेटिव बैंक का चेयरमैन बनाना चाहता है।
इसी वजह से दोनों पक्षों के नेता और समर्थक मतगणना स्थल के गेट के दोनों तरफ इस लिए खड़े हो गए कि जैसे ही कोई डायरेक्टर जीतकर बाहर आता है उसे जबरन उठाकर ले जाएं। अब एक तरफ सत्तारूढ दल के ही दो गुट आमने—सामने थे तो दूसरी तरफ जिले के पुलिस अधीक्षक उमेश कुमार सिंह अपनी फ़ोर्स को लेकर खड़े थे। उमेश कुमार सिंह के कंधों पर इस चुनाव को शांति से सम्पन्न कराने की ज़िम्मेदारी थी। इसलिए जब उन्होंने सभी सांसदों और विधायकों को मतगणना स्थल पर लगी बेरिकेटिंग के बाहर रोका तो मुरादाबाद सांसद सर्वेश कुमार सिंह एसपी सिटी दिनेश कुमार से उलझ बैठे और रोब ग़ालिब करते हुए कहा कि मंत्री की मां में भी दम नहीं है जो किसी डायरेक्टर को उठा ले जाए।
उधर एसपी उमेश कुमार को लगा कि हालात काबू से बाहर जा रहे हैं तो उन्होंने निर्णय लिया कि जो भी डायरेक्टर जीत कर आएगा उसे पुलिस की गाड़ी से पुलिस लाइन भेजा जाएगा। इसके लिए उन्होंने एक वज्र वाहन बुलाकर बैंक के अंदर खड़ा कर दिया। इस पर दोनों गुट भड़क गए। इसी बीच मंत्री भूपेन्द्र चौधरी का फोन एसपी के मोबाइल पर आया और वे एसपी को धमकाने लगे। लेकिन, एसपी ने मंत्री भूपेन्द्र सिंह को सबके सामने खरी—खरी सुनाते हुए कहा कि यहां मीडिया है और कैमरे चल रहे हैं, जो जीतकर आएगा उसकी मर्जी है कि वह कहां जाता है और अगर आप मुझे पार्टी बनाना चाहते तो मुझे पार्टी बना लें। मैं ऐसी धमकी में आने वाला नहीं हूं। उसके बाद उन्होंने इस पूरे मामले से अपने आलाधिकारियों को जानकारी देते हुए कहा कि सर ये लोग यहां पर कैंडिडेट उठाने की होड़ लगाए हैं। अभी मंत्री भूपेन्द्र सिंह का फोन आया है और वे मुझे हड़का रहे हैं कि आप पार्टी बन रहे हो। आखिर में पुलिस कप्तान दोनों तरफ के दो—दो आदमी को लेकर कुर्सी डालकर बैंक के गेट के सामने बैठ जाते हैं और जैसे ही कोई कैंडिडेट जीतकर बाहर निकलता तो सबके सामने उससे पूछा जाता कि वह कहां जाना चाहता है। वह जहां भी कहता पुलिस उसको उधर भेज देती। साथ में उसकी सुरक्षा के लिए दो सुरक्षा गार्ड भी उसके साथ भेजे गऐ। इस तरह से पुलिस कप्तान की सूझबूझ से यह चुनाव सम्पन्न हुआ।
इस दौरान पुलिस को कानून व्यवस्था को संभालने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। एसपी सिटी दिनेश सिंह लगातार हाथों में माइक लेकर धारा 144 लगी होने के बावजूद हथियार लेकर आए लोगों को नसीहत देते नजर आए। चुनाव के बाद एसपी ने मीडिया को बताया कि आज मेरे लिए सब सामान्य नागरिक थे। ना मेरे लिए आज कोई मंत्री था ना विधायक था। सब कुछ शान्ति से निबट गया। जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन पद के इस चुनाव के लिये कुल 12 डारेक्टर चुने गये हैं। जिसमें 2 डायरेक्टर शासन से नामित किए गए हैं। आज सभी डायरेक्टर चेयरमैन के चुनाव में वोट डालेंगे।
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Published on:
11 May 2018 10:48 am
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