हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की दोबारा जांच शुरू हुई थी। जांच में पुलिस ने बिजनौर जिले के कई सपा नेताओं को आरोपी बनाया था, सभी से उत्तराखंड पुलिस को पूर्व सपा के मंत्री मूलचंद चौहान सहित कई नेताओं की तलाश थी, लेकिन सभी नेता भूमिगत हो गए थे । इस मामले में पौड़ी जिला अदालत ने सभी 9 आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिए थे। इसका नतीजा ये हुआ कि 3 से 4 माह पहले सपा के चार नेताओं ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया और पौड़ी कोर्ट ने यूपी के पूर्व सपा मंत्री मूलचंद चौहान, बिजनौर जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन मंत्री पुत्र अमित चौहान, सपा बिजनौर के पूर्व जिलाध्यक्ष राशिद हुसैन और जिला पंचायत सदस्य कपिल गुर्जर को पौड़ी जिला अदालत ने जेल भेजा दिया था। बाद में इन लोगों ने अपनी जमानत करा ली। अब ये सभी जेल से बाहर है। अब तारीख पर कोर्ट आते-जाते रहते हैं।
इसी केस में वंचित चल रहे मौजूदा नगीना सपा विधायक ने पौड़ी कोर्ट में पहुंचकर मंगलवार को सरेंडर किया है। दरअसल, उत्तराखंड पुलिस इनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार अभियान चला रही थी। पुलिस इनके निजी मकान पर छापा मारकर विधायक को पकड़ना चाहती थी। इसी को लेकर सपा विधायक ने मंगलवार को पौढ़ी कोर्ट में पहुंचकर सरंडर कर दिया।
गौरतलब है कि ये मामला पंचायत अध्यक्ष पद चुनाव से जुड़ा है। साल 2013 में बिजनोर जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ था, जिसमें दो प्रतियाशियों ने नामांकन कराया था, जिसमें एक प्रतियाशी निर्दलीय विजयविरी और दूसरी प्रतियाशी सपा समर्थित नसरीन सैफी थी । सपा समर्थित नसरीन सैफी के पति रफ़ी सैफी बिजनौर जिले के दो पूर्व मंत्रियों मूलचंद चोहान पर्यटन मंत्री और पूर्व मनोज पारस स्टाम्प मंत्री और नगीना के पूर्व सांसद यशवीर धोबी व जिले के पुलिस के अधिकारिओं पर आरोप था की इन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार विजयविरी और उनको समर्थन दे रहे 18 समर्थकों का भी अपहरण कर लिया था और उतराखंड के ऋषिकेश के लक्ष्मणझुला के निकट एक होटल में रखा था । इसी मामले को लेकर पहले सपा के 4 लोगों ने कोर्ट में सरेंडर किया था और अब एक बार फिर से इस प्रकरण में मौजूदा नगीना सपा विधायक मनोज पारस ने भी पौड़ी कोर्ट में सरेंडर कर दिया है।