राकेश 1999 में सेना में भर्ती हुए थे। उनके के दाे बच्चे हैं। शहीद का शव रात 11.30 बजे विशेष विमान से नाल एयरपाेर्ट लाया गया। यहां जिला कलेक्टर अनील गुप्ता, एसपी सवाई सिंह गोदारा ने शहीद पर पुष्पचक्र अर्पित किए। वहां से शव को सेना के अधिकारी आर्मी हॉस्पिटल ले गए।
पैतृक गांव में अंतिम संस्कार
शुक्रवार को सुबह सात बजे म्यूजियम सर्किल के पास शहीद कैप्टन चंद्र चौधरी पार्क में और उसके बाद श्रीडूंगरगढ़ के गांधी पार्क में सुबह नौ से 11 बजे तक शहीद का शव दर्शनार्थ रखा गया। शहीद की अंत्येष्टी राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में की जाएगी।
शुक्रवार को सुबह सात बजे म्यूजियम सर्किल के पास शहीद कैप्टन चंद्र चौधरी पार्क में और उसके बाद श्रीडूंगरगढ़ के गांधी पार्क में सुबह नौ से 11 बजे तक शहीद का शव दर्शनार्थ रखा गया। शहीद की अंत्येष्टी राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में की जाएगी।
अरुणाचल के नामसाई में तैनात थे
राकेश चोटिया सेना की 11 ग्रेनेडियर शाखा में लायंस नायक के पद पर कार्यरत थे। इन दिनों वह अरुणाचल के नामसाई में तैनात थे। नक्सलियों ने नामसाई क्षेत्र में आईडी माइन्स बिछा रखी थी। बुधवार को आईडी माइन्स में ब्लास्ट होने से राकेश गंभीर घायल हो गए, जिन्हें नजदीकी अस्पताल ले गया, जहां मृत घोषित कर दिया गया।
राकेश चोटिया सेना की 11 ग्रेनेडियर शाखा में लायंस नायक के पद पर कार्यरत थे। इन दिनों वह अरुणाचल के नामसाई में तैनात थे। नक्सलियों ने नामसाई क्षेत्र में आईडी माइन्स बिछा रखी थी। बुधवार को आईडी माइन्स में ब्लास्ट होने से राकेश गंभीर घायल हो गए, जिन्हें नजदीकी अस्पताल ले गया, जहां मृत घोषित कर दिया गया।
15 दिन पहले आए थे गांव
परिजनों के अनुसार राकेश 15 दिन पहले ही गांव आए थे। 31 जनवरी को वे सेवानिवृत होने वाला था। गांव आया तब वह सबको बोल कर गया था कि अब सेवानिवृत होकर ही घर आऊंगा। भगवान की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती। घर वाले उनके सेवानिवृत होने के बाद घर आने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
परिजनों के अनुसार राकेश 15 दिन पहले ही गांव आए थे। 31 जनवरी को वे सेवानिवृत होने वाला था। गांव आया तब वह सबको बोल कर गया था कि अब सेवानिवृत होकर ही घर आऊंगा। भगवान की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती। घर वाले उनके सेवानिवृत होने के बाद घर आने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
सबको बेसब्री से 31 जनवरी का इंतजार था लेकिन, विधाता को कुछ और ही मंजूर था। सेवानिवृति के छह दिन पहले ही उनकी मौत हो गई। ग्रामीणों के मुताबिक राकेश सेवानिवृत होने के बाद गांव में माता-पिता के साथ रहने की बातें करता था। राकेश के 11 साल का लड़का और 9 वर्ष की लड़की है।