29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राजस्थान: मिट्टी-पानी से उग रहा सोना, हर किसान के लिए वरदान साबित हो सकती है इसकी खेती

कल्पना कीजिए...अगर एक छोटे-से गड्ढे से रोजाना इतना चारा मिल जाए कि गाय, भैंस, बकरी और मुर्गियों की सेहत निखर जाए और किसान की जेब भी भरी रहे, तो क्या कहेंगे। यही चमत्कार कर रही है एजोला फार्मिंग।

2 min read
Google source verification
Azolla-Farming

स्वामी केशवानंद कृषि विवि में लगी यूनिट में एजोला फार्मिंग। फोटो पत्रिका

बीकानेर। कल्पना कीजिए…अगर एक छोटे-से गड्ढे से रोजाना इतना चारा मिल जाए कि गाय, भैंस, बकरी और मुर्गियों की सेहत निखर जाए और किसान की जेब भी भरी रहे, तो क्या कहेंगे। यही चमत्कार कर रही है एजोला फार्मिंग।

कम लागत और कम जगह में तैयार होने वाला यह हरा फर्न अब पशुपालकों के लिए वरदान बनकर उभर रहा है। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय (एसकेआरएयू) की समन्वित कृषि प्रणाली इकाई में एजोला यूनिट संचालित है, जहां इसका डेमो भी दिखाया जा रहा है और पशुओं पर प्रायोगिक तौर पर सफल प्रयोग हो रहे हैं।

खास बात यह है कि पशुपालन में क्रांति ला सकने वाला यह हरा खजाना अब किसानों की पहुंच में है। भेड़-बकरी, गाय-भैंस, मुर्गी या सूकर…हर पशु के लिए पोषण का यह सुपरफूड साबित हो रहा है एजोला। खास बात यह कि इसे उगाने में न तो बड़ी जमीन चाहिए, न ही ज्यादा खर्च।

बकरियों और मुर्गियों पर सफल रहा है प्रयोग

यूनिट प्रभारी डॉ. शंकरलाल बताते हैं कि यहां सिरोही नस्ल की 35 बकरियों को नियमित रूप से एजोला खिलाया जा रहा है। सामान्य आहार के साथ यह पूरक चारा उनकी सेहत, उत्पादन और प्रजनन क्षमता पर अच्छा असर डाल रहा है। यूनिट में पाली जा रही मुर्गियों को भी एजोला दिया जाता है, जिससे उनकी उत्पादकता और प्रतिरोधक क्षमता में सुधार देखा गया है।

एजोला क्यों है खास

एजोला एक जलीय फर्न है, जो प्रोटीन, खनिज लवण, अमीनो एसिड, विटामिन ए, विटामिन बी 12 और बीटा-कैरोटीन से भरपूर है। यह धान की खेती में जैव-उर्वरक के रूप में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करता है और उपज बढ़ाता है। पशुओं के लिए यह आदर्श जैविक पूरक आहार है, जो सेहत सुधारने के साथ उनकी उत्पादन क्षमता भी बढ़ाता है।

किसानों के लिए उपलब्ध है बीज

विश्वविद्यालय 100 रुपए प्रति किलो की दर से किसानों को एजोला बीज उपलब्ध करा रहा है। कोई भी किसान समन्वित कृषि प्रणाली इकाई से बीज लेकर इसे आसानी से उगा सकता है। डॉ. शंकरलाल का कहना है कि एजोला किसानों के लिए पशु पोषण का सस्ता व असरदार साधन है। वहीं, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. देवाराम सैनी ने किसानों से इस प्रायोगिक यूनिट का अधिकतम लाभ लेने की अपील की है। कुल मिला कर एजोला फार्मिंग गांव-गांव के पशुपालकों के लिए कम लागत, ज्यादा पोषण और अतिरिक्त आमदनी का रास्ता खोल सकती है। यही कारण है कि इसे पशुओं का सुपरफूड कहा जाने लगा है।

कैसे होती है खेती

1.5 से 2 फीट गहरे गड्ढे में पानी भरकर उस पर प्लास्टिक शीट डाल दी जाती है।

7-10 दिन में एजोला पूरे गड्ढे को भर देता है।

चार वर्ग मीटर का गड्ढा रोजाना करीब 2 किलो एजोला देता है।

नम और गर्म जलवायु में यह तेजी से फैलता है और सालभर उपलब्ध रहता है।