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राजस्थान में खेजड़ी कटाई मामलाः हाईकोर्ट ने सरकार समेत 10 पक्षकारों से मांगा जवाब, प्रकृति प्रेमियों में खुशी

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में बताया कि पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में 26 लाख पेड़ काटे जा चुके हैं, अभी 38 लाख पेड़ काटने की योजना प्रस्तावित है। उनका कहना है कि विकास के नाम पर प्रकृति का विनाश चरम पर है।

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जिला एवं सत्र न्यायालय बिलासपुर (फोटो-पत्रिका)

जिला एवं सत्र न्यायालय बिलासपुर (फोटो-पत्रिका)

बीकानेर। श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीव रक्षा प्रदेश संस्था की ओर से जोधपुर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद राज्य सरकार सहित 10 पक्षकारों से विस्तृत जवाब मांगा गया है। याचिकाकर्ताओं ने सोलर प्लांट लगाने के लिए काटी जा रही हजारों खेजड़ी की जानकारी देते हुए कोर्ट से कार्रवाई की मांग की थी।

पर्यावरण संघर्ष समिति के संयोजक रामगोपाल बिश्नोई ने बताया कि ग्राम पीपासर की पंजीकृत संस्था के प्रदेश अध्यक्ष रामरतन बिश्नोई ने अधिवक्ता विजय बिश्नोई के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में राज्यवृक्ष खेजड़ी सहित पेड़ों की अवैध कटाई रोकने, राजस्थान में ट्री प्रोटेक्शन एक्ट बनाने और प्रकृति एवं जीव-जंतुओं के आशियाने बचाने की मांग की गई है।

पक्षकारों में कई जिलों के कलक्टर शामिल

राजस्थान सरकार के मुख्य शासन सचिव, वन मंडल राजस्थान के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के निदेशक, राजस्थान राजस्व विभाग जयपुर के प्रभारी अधिकारी, ऊर्जा विभाग के सचिव, राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के निदेशक, केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान काजरी जोधपुर, जिला कलक्टर बीकानेर, जयपुर, हनुमानगढ़, बाड़मेर, जोधपुर और फलोदी को पक्षकार बनाया गया है।

चार सप्ताह में जवाब देने का आदेश

न्यायाधीश बिपिन गुप्ता और डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की डबल बेंच ने सुनवाई के बाद अनुपस्थित 10 आरोपितों को चार सप्ताह में विस्तृत जवाब पेश करने के लिए नोटिस जारी किया। इससे प्रकृति प्रेमियों और आंदोलनकारियों में खुशी की लहर है। उनका मानना है कि अब पेड़ों और मूकप्राणियों को न्याय मिलेगा और उनका विनाश रुकेगा।

बड़े पैमाने पर पेड़ कटाई

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में बताया कि पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में 26 लाख पेड़ काटे जा चुके हैं और अभी 38 लाख पेड़ काटने की योजना प्रस्तावित है। उनका कहना है कि विकास के नाम पर प्रकृति का विनाश चरम पर है। सोलर प्लांट्स के लिए वनस्पति और जीव-जंतुओं का विनाश हो रहा है, जबकि किसानों और पशुपालक विरोध कर ज्ञापन देते हैं। आंदोलनकारियों ने सरकार से बिना पेड़ काटे सोलर प्लांट लगाने, ट्री प्रोटेक्शन एक्ट बनाने और खेजड़ी की कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की है।

धरना और आंदोलनः एक नजर

  • 18 जुलाई 2024 से खेजड़ला गांव में प्रकृति बचाओ अनिश्चितकालीन धरना।
  • 18 जुलाई 2025 से बीकानेर कलक्टर कार्यालय के समक्ष धरना।
  • बीकानेर, जोधपुर, सांचौर, बाड़मेर, जैसलमेर, फलौदी और श्रीगंगानगर में एक-एक दिन हड़ताल और ज्ञापन।
  • सांसद-विधायकों को पत्र लिखकर भी कटाई रोकने की मांग।