
दिनेश कुमार स्वामी
बीकानेर। राजस्थान के एकेडमिक विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे 35 लाख से अधिक विद्यार्थियों के लिए अच्छी खबर है। उन्हें प्रदेश के विश्वविद्यालयों के अलग-अलग पाठ्यक्रम, परीक्षा और माइग्रेशन संबंधी परेशानियों से निजात दिलाने व विश्वविद्यालय पोर्टेबिलिटी जैसी सुविधा दिलाने पर मंथन चल रहा है।
दरअसल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए गठित कमेटी ने भी विश्वविद्यालयों के लिए नियम-नियामवली वाले ऐसे एक्ट की सिफारिश की है। इस पर राजभवन के स्तर पर राज्य सरकार के साथ बातचीत भी की गई है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में कई विरोधाभासों को दूर करने की परिकल्पना की गई है। इनमें पाठ्यक्रम से लेकर परीक्षा तक में एकरूपता नहीं होना, एक बार प्रवेश लेने के बाद उसी विश्वविद्यालय के अधीन होना और विश्वविद्यालय बदलने के लिए माइग्रेशन जैसे झंझट शामिल हैं। दरअसल, प्रदेश में एनईपी की अवधारणा को लागू करने में परेशानी का सबसे बड़ा कारण यहां अन्य राज्यों की तरह स्टेट यूनिवर्सिटी यूनिफाइड एक्ट का न होना है।
लिहाजा अब सभी विश्वविद्यालयों में एक जैसा पाठ्यक्रम और पढ़ाई का पैटर्न तैयार करने पर कार्य हो रहा है। राजभवन और राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने एक कमेटी का गठन कर उसे जिम्मेदारी सौंपी है।
प्रदेश में हर संभाग पर सरकारी एकेडमिक विश्वविद्यालय हैं। राजस्थान यूनिवर्सिटी जयपुर, एमजीएसयू बीकानेर, एमडीएस अजमेर, कोटा विश्वविद्यालय, सुखाड़िया विवि उदयपुर समेत सभी सरकारी विवि में आय का सबसे बड़ा स्रोत्र स्वयंपाठी विद्यार्थी हैं। करीब 35 लाख विद्यार्थियों में से 15-20 लाख स्वयंपाठी हैं। अकेले बीकानेर के एमजीएसयू विवि में पांच लाख में से ढाई से तीन लाख स्वयंपाठी हैं। एनईपी से बाहर स्वयंपाठी के लिए व्यवस्था बनाना चुनौती होगी।
कुछ निजी विवि पढ़ाई की जगह डिग्री जारी करने का काम कर रहे हैं। नई व्यवस्था से इस पर अंकुश लगेगा। अभी डिग्री-डिप्लोमा करने के बाद विद्यार्थी वेरीफिकेशन, डुप्लीकेट मार्कशीट, माइग्रेशन, रुके परीक्षा परिणाम को जारी कराने आदि के लिए चक्कर लगाते रहते हैं। जिससे छुटकारा दिलाया जाएगा।
नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप उच्च शिक्षा में प्रदेश में ज्यादा काम नहीं हो पाया है। यूजीसी ने राज्य सरकार को इसके लिए नोटिस भी दिया। इसके बाद कुलपति समन्वय समिति की बैठक में कई तरह की परेशानियां और व्यावहारिक दिक्कतों पर चर्चा हुई।
इस पर एक समान पाठ्यक्रम और नेटवर्क का प्रारूप तैयार करने और एनईपी को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई। इसमें बीकानेर के महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित भी शामिल हैं।
एनईपी के मूल में विद्यार्थी को उसकी रुचि के अनुसार पढ़ने की आजादी, क्रेडिट अर्न करने, माइग्रेट छोड़ने और ज्वाइन करने, एक से दूसरे विषय में शिफ्ट होने जैसे विकल्प देता है। इसके लिए प्रदेश में विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम, परीक्षा पैटर्न, डिग्री, क्रेडिट में समानता और समरूपता लानी होगी। इनके नियम और नियमावली बनाने पर कमेटी काम कर रही है।
1. डिग्री-डिप्लोमा कोर्स का पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न भी एक जैसा। यहां तक कि जो डिग्री और मार्कशीट जारी करेंगे, वह भी एक ही प्रारूप में होगी।
2. तीन-चार साल की डिग्री की पढ़ाई की एंट्री (प्रवेश) और एग्जिट (प्रस्थान) एक जैसे होंगे। साथ ही एक या दो साल की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई विवि बदलकर करने की भी आजादी होगी। वह जहां से पढ़ाई छोड़ेगा, वहां से आगे की पढ़ाई को दूसरे विवि के अधीन कर सकेगा।
3. अभी एक समय में एक डिग्री ही करने की व्यवस्था है। इसके लिए ही विवि बदलने पर माइग्रेशन सर्टिफिकेट देना पड़ता है। माइग्रेशन के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी। सभी विद्यार्थियों का डेटा अपार आइडी और डिजी लॉकर पर रहेगा।
4. रुचि के अनुसार पढ़ाई की आजादी मिलेगी। मसलन साइंस के विषयों के साथ कोई संगीत या कला विषय पढ़ना चाहे, तो कोई बाध्यता नहीं रहेगी।
स्टेट यूनिवर्सिटी एक्ट बनाने जैसे सुझाव भी दिए हैं। जल्द ही कमेटी की अगली बैठक होगी।
-आचार्य मनोज दीक्षित, कुलपति एमजीएसयू बीकानेर (कमेटी सदस्य)
Updated on:
20 Jan 2025 07:21 am
Published on:
20 Jan 2025 07:20 am
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