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Bilaspur High Court: एमडी-एमएस प्रवेश में शत-प्रतिशत लोकल कोटा असंवैधानिक? हाईकोर्ट करेगा फैसला, जानें पूरा मामला

CG High Court: मेडिकल पीजी 2025 के एडमिशन में छात्रों के प्रवेश में शत प्रतिशत स्थानीय आरक्षण को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने राज्य शासन को जवाब देने के निर्देश दिए हैं।

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CG High Court: प्राध्यापक भर्ती मामले में गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी को शपथपत्र देने के निर्देश, हाईकोर्ट ने दिए आदेश

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Photo Patrika)

Bilaspur High Court: मेडिकल पीजी 2025 के एडमिशन में छात्रों के प्रवेश में शत प्रतिशत स्थानीय आरक्षण को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने राज्य शासन को जवाब देने के निर्देश दिए हैं। डॉक्टर ने याचिका में छत्तीसगढ़ चिकित्सा स्नातकोत्तर प्रवेश नियम 2021 के नियम 11 (अ) और 11 (ब) को चुनौती दी है।

बिलासपुर निवासी डॉ समृद्धि दुबे ने चिकित्सा स्नातक की प्रवेश परीक्षा में 2018 में भाग लिया, जिसमें उन्हे राष्ट्रीय स्तर पर अन्य राज्य के चिकित्सा महाविद्यालय में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए सीट प्राप्त हुई। पढ़ाई सफलता पूर्वक पूरी करने के पश्चात डॉ. समृद्धि ने बिलासपुर वापस आकर छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद् में अपना रजिस्ट्रेशन कराया। आगे की प?ाई जारी रखने के उद्देश्य से उन्होंने चिकित्सास्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा 2025 में भाग लिया। उक्त परीक्षा राष्ट्रीय स्तर पर 3 अगस्त 2025 को आयेजित हुई।

Bilaspur High Court: आरक्षण का प्रावधान किया है शासन ने

चिकित्सा स्नातकोत्तर में प्रवेश लेने के दौरान याचिकाकर्ता को पता चला कि छत्तीसगढ़ चिकित्सा स्नातकोत्तर प्रवेश नियम 2021 के नियम 11 (अ) और 11 (ब) के अनुसार राज्य सरकार ऐसे छात्रों को प्रवेश में प्राथमिकता देगी, जिन्होंने चिकित्सा स्नातक की उपाधि छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित चिकित्सा महाविद्यालय से ही प्राप्त की है। उसके पश्चात यदि कोई सीट शेष रही तब उक्त सीट ऐसे छात्रों को मिलेगी, जो कि छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासी हैं, लेकिन अन्य राज्य से पढ़ाई की है।

आरक्षण नियम समानता के अधिकार के विरुद्ध

डॉ. समृद्धि की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने उक्त नियम के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 14 का हनन किया है, जो कि देश के समस्त नागरिकों को समानता का अधिकार प्रदान करता है। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2025 में इसी प्रकार के मामले की सुनवाई करते हुए डॉ. तन्वी बहल विरुद्ध श्रेय गोयल व अन्य में चिकित्सा स्नातकोत्तर के प्रवेश में शत् प्रतिशत स्थानीय आरक्षण को असंवैधानिक करार देते हुए चिकित्सा स्नातकोत्तर की कुछ प्रतिशत सीटों में स्थानीय आरक्षण दिए जाने की जरूरत बताई है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं के तर्क सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने राज्य शासन को इस मुद्दे पर जवाब देने के निर्देश दिए।


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