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लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए बड़ी खबर, अब महिला को देना होगा गुजारा भत्ता, HC ने लिया बड़ा फैसला

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट ने महिला के आवेदन को स्वीकार करते हुए गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी किया।

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Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप में भी महिला को गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है। अपने शादीशुदा होने और तीन बेटियों की जानकारी छिपाकर महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले को कोर्ट ने भरण-पोषण देने का आदेश दिया है। इस रिश्ते के दौरान एक बेटी का जन्म हुआ, लेकिन बेटी के जन्म के बाद रिश्ते बिगड़ने लगे। महिला ने आरोप लगाया कि व्यक्ति शराब के नशे में उसके साथ मारपीट करता था। इसके बाद उसने कोर्ट में गुजारा भत्ता के लिए प्रकरण दायर किया।

यह है मामला

मनेंद्रगढ़ निवासी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने दावा किया कि 2015 में वन विभाग में कार्यरत राजेंद्र नामक व्यक्ति से उसने शादी की थी। उससे उनकी एक बेटी का जन्म हुआ। राजेन्द्र शराब पीकर उसके साथ मारपीट करता था। परेशान होकर उसने घरेलू हिंसा और भरण पोषण के लिए कोर्ट में आवेदन किया। अगस्त 2024 में सेशन कोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए राजेंद्र को हर महीने 6 हजार रुपए गुजारा भत्ता और 50 हजार रुपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया।

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आरोपी ने कहा- महिला के साथ रहता था, उससे शादी नहीं की

राजेंद्र ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर कर दावा किया कि वह पहले से शादीशुदा है और उसके तीन बच्चे हैं। उसने महिला से शादी नहीं की, बल्कि सिर्फ साथ में रहता था। इसलिए बच्ची के भरण पोषण की जिम्मेदारी उसकी नहीं है। महिला ने जवाब में कहा कि राजेंद्र ने अपनी पहली शादी और बच्चों की जानकारी छिपाई। उसका आंगनबाड़ी का वेतन इतना कम है कि वह अपना और बच्ची का भरण पोषण नहीं कर सकती।

अपील खारिज कर कोर्ट ने की महत्वपूर्ण टिप्पणी

हाईकोर्ट ने राजेंद्र की अपील को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और उसे महिला और बच्ची को गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी रखा। कोर्ट ने कहा कि दोनों व्यक्ति लिव-इन रिलेशनशिप में साथ रह रहे थे, जिससे बच्ची का जन्म हुआ। बच्ची के पिता के तौर पर राजेंद्र का नाम दर्ज है, और इसलिए भरण पोषण की जिम्मेदारी भी उसी की है।