9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

CG High Court: एक साथ दो डिग्रियों की परीक्षा की तारीख में बदलाव संभव नहीं, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

CG High Court: छत्तीसगढ़ सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 लागू करते हुए समावेशी शिक्षा पद्धति अपनाने का निर्देश दिया है।

less than 1 minute read
Google source verification
एक साथ दो कोर्स कर रहा था छात्र (Photo source- Patrika)

एक साथ दो कोर्स कर रहा था छात्र (Photo source- Patrika)

CG High Court: हाईकोर्ट ने परीक्षा की तारीख बढ़ाने के लिए दायर एक छात्र की याचिका खारिज की है। विद्यार्थी एक साथ दो शैक्षणिक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहा था और दोनों कोर्स के कुछ पेपर की परीक्षा तिथियां समान थीं। जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा ने कहा कि याचिका के आधार पर परीक्षा कार्यक्रम में संशोधन के लिए विश्वविद्यालयों को निर्देश देना उचित नहीं है।

CG High Court: दोनों परीक्षाओं में सम्मिलित होना मुश्किल

छात्र सत्येन्द्र प्रकाश सूर्यवंशी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वह एक साथ दो डिग्रियों पं. सुंदरलाल शर्मा (ओपन) विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ सोशल वर्क (एमएसडब्ल्यू.) और अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय से एलएलबी तृतीय वर्ष, द्वितीय सेमेस्टर की पढ़ाई कर रहा है। दोनों विश्वविद्यालयों द्वारा जारी अंतिम परीक्षा कार्यक्रम में चार विषयों की परीक्षा एक ही दिन और एक ही समय पर निर्धारित की गई है, जिससे उसे दोनों परीक्षाओं में सम्मिलित होना मुश्किल है।

यह भी पढ़ें: AI टूल्स से मिनटों में बन रही हैं नकली डिग्रियां, देखकर चकरा जाएगा सिर..

याचिका में यह भी उल्लेख किया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा एक संशोधित अधिसूचना जारी कर दो डिग्रियों को एक साथ पढ़ने की अनुमति दी गई है और छत्तीसगढ़ सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 लागू करते हुए समावेशी शिक्षा पद्धति अपनाने का निर्देश दिया है।

छात्र का तर्क- परीक्षा से वंचित करना संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन

CG High Court: छात्र ने तर्क दिया कि यदि वह परीक्षा देने से वंचित होता है तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। इसलिए कोर्ट को परीक्षा कार्यक्रमों पर स्थगन लगाना चाहिए। राज्य और संबंधित विश्वविद्यालयों के अधिवक्ताओं ने याचिका का विरोध किया।