9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

छत्तीसगढ़ का पहला जेनेटिक सेंटर, DNA टेस्ट से अब जन्म से पहले जान सकेंगे बच्चे की बीमारी…

CG Genetic Center: बिलासपुर स्थित सिस (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) में प्रदेश का पहला ‘जेनेटिक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ स्थापित होने जा रहा है।

2 min read
Google source verification
छत्तीसगढ़ का पहला जेनेटिक सेंटर, DNA टेस्ट से अब जन्म से पहले जान सकेंगे बच्चे की बीमारी...(photo-patrika)

छत्तीसगढ़ का पहला जेनेटिक सेंटर, DNA टेस्ट से अब जन्म से पहले जान सकेंगे बच्चे की बीमारी...(photo-patrika)

CG Genetic Center: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में छत्तीसगढ़ के लिए एक बड़ी स्वास्थ्य सुविधा की सौगात मिलने जा रही है। बिलासपुर स्थित सिस (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) में प्रदेश का पहला ‘जेनेटिक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ स्थापित होने जा रहा है। यह सेंटर देश की शीर्ष शोध संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के सहयोग से शुरू होगा। जल्द ही आईसीएमआर की विशेषज्ञ टीम बिलासपुर पहुंचकर मॉलीक्यूलर लैब का निरीक्षण करेगी।

CG Genetic Center: दिल्ली की टीम जल्द जायजा लेने आ रही

यह सेंटर अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होगा, जहां डीएनए, आरएनए, जीन यूटेशन, ब्लाटिंग, पीसीआर, एलसीआर, इलेक्ट्रोफोरेसिस जैसी जांचें की जा सकेंगी। खास बात यह है कि यहां गर्भ में पल रहे भ्रूण की जन्म से पहले ही अनुवांशिक बीमारियों की जांच संभव होगी।

इससे गंभीर बीमारियों की समय पर पहचान और निदान में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में सिकलसेल बीमारी व्यापक रूप से फैली हुई है, खासकर जनजातीय इलाकों में। सिस में बनने वाला यह जेनेटिक सेंटर इस बीमारी की समय पर और सटीक जांच में निर्णायक भूमिका निभाएगा।

कैंसर व अन्य जटिल बीमारियों में भी मददगार

यह जेनेटिक लैब केवल सिकलसेल ही नहीं, बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के लिए भी अहम साबित होगी। मरीजों की जेनेटिक प्रोफाइल के आधार पर उन्हें सबसे उपयुक्त इलाज उपलब्ध कराया जा सकेगा। यह तकनीक समाज के सभी वर्गों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगी, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए।

इस लैब के लिए हमारे पास जगह व सारे संसाधन मौजूद हैं, बस इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की स्वीकृति मिलनी बाकी है। यह टीम जल्द मॉलीक्यूलर जांच के लिए आने वाली है। इस लैब के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को भी अत्याधुनिक जीन जांच की सुविधा मिल सकेगी। समय पर निदान से अनुवांशिक बीमारियों की रोकथाम और प्रबंधन संभव होगा।

डीएनए टेस्ट से होगा सटीक इलाज

जेनेटिक डायग्नोसिस पारंपरिक जांच विधियों से एक कदम आगे है। इसमें बीमारी की जड़ तक पहुंचा जा सकता है। क्यों और कैसे हुआ, यह डीएनए या जीन के स्तर पर समझा जा सकता है। इससे न केवल रोग की गंभीरता का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, बल्कि मरीज को पर्सनलाइज्ड और टार्गेटेड थैरेपी देने में भी मदद मिलेगी।

छग में कुल आबादी के लगभग 2.5% लोग सिकलसेल से पीड़ित

सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के एमएस डॉ. बीपी सिंह के अनुसार, प्रदेश की कुल आबादी में लगभग 2.5 प्रतिशत लोग सिकलसेल से पीड़ित हैं।