बेटा अपने आंख के सामने मां को तड़पते हुए देख रहा था अस्पताल के स्टाफ से मदद की गुहार लगाई लेकिन कोई नहीं आया। तीन दिन में यह तीसरी घटना है इससे पहले एक महिला और पुरुष ने सिम्स के दहलीज पर दम तोड़ा और आज एक महिला ने इलाज के अभाव में काविड अस्पताल के दहलीज पर दम तोड़ दिया।
READ MORE : यहां आज से 16 मई तक बढ़ाई गई लॉकडाउन अवधि, इन दुकानों को सिर्फ 4 घंटे खोलने की मिली छूट बिल्हा के गांव भंवरा भाठा निवासी श्याम बाई (55) की तबीयत बुधवार को अचानक बिगड़ गई। बेटा धीरज मानिकपुरी उन्हें लेकर बिल्हा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गए थे। वहां महिला में कोविड के लक्षण देख डॉक्टरों ने उन्हें जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी। एंबुलेंस से परिजन श्यामा बाई को
कोविड अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन गार्ड ने गेट ही नहीं खोला। करीब आधे घंटे तक यह सब चलता रहा। इसके बाद उनके बेटे ने एसडीएम को कॉल किया। एसडीएम ऑफिस से अस्पताल को निर्देश मिलने के बाद गार्ड ने गेट खोला और ऊपर बनाए गए कोविड वार्ड में सूचना दी।
READ MORE : किंधा है रामभक्त हनुमान की असली जन्मस्थली, जानिए क्या है सच्चाई इसके बाद करीब एक घंटे तक अंदर दरवाजे पर एंबुलेंस खड़ी रहीं, लेकिन कोई भी मरीज को लेने व देखने के लिए नहीं आया। अंदर महिला दर्द से तड़प रही थी। इस बीच जानकारी मिलने पर पत्रकारों ने अस्पताल के
कोविड इंचार्ज डॉ. अनिल गुप्ता को सूचना दी। वह स्टाफ के साथ नीचे आए, लेकिन तब तक महिला की मौत हो चुकी थी।
– बेटा बोला- पता है कोरोना के चलते दिक्कतें हैं, लेकिन गाइड तो करते
मृतक श्यामा बाई के बेटे धीरज मानिकपुरी ने बताया कि उनकी मां एंबुलेंस के अंदर ही तड़पती रहीं थी। लेकिन अस्पताल का कोई स्टाफ मदद के लिए नहीं आया। जिससे बात कर रहा वह यह कह रहा था कि सिविल सर्जन या फिर कोरोना वार्ड के प्रभारी आएंगे वे आदेश देगें तब भर्ती किया जाएगा। कोरोना वार्ड प्रभारी सेफाली कुमावत और प्रभारी सिविल सर्जन अनिल गुप्ता का पीडि़तों को उपलब्ध नहीं कराया गया और न ही किसी स्टाफ ने फोन लगाकर सूचना दी।
हर जगह लगाई फरीयाद समय पर इलाज होता तो मां साथ होती
धीजर मानिकपुरी ने बताया जिला अस्पताल पहुंचे के बाद एक पल को लगा की अब मां का इलाज शुरु हो जाएगा उसे राहत मिलेगी लेकिन पहले गार्ड ने दरवाजा नहीं खोला बाद में अंदर आए तो कोई डॉक्टर नहीं आए ऐसे में बिल्हा स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर को फोन किया उन्होने बताया कि अस्पताल में बात करो यहां भी न कोई सुनने वाला था न कोई देखने आए फिर एसडीएम से बात हुई लेकिन कही से भी कोई मदद नहीं मिली लापरवाह डॉक्टर और अधिकारी के कारण मेरी मां की मौत हो गई।
READ MORE : दुर्ग जिले में कोरोना संक्रमण का घटने लगा ग्राफ, जानिए निजी और सरकारी अस्पताल में बेड और वेंटिलेटर की उपलब्धता डॉक्टर बोले- मुझे कोई जानकारी नहीं है कि मरीज कब आयासंभागीय कोविड अस्पताल के कोविड इंचार्ज डॉ. अनिल गुप्ता कहा कि गार्ड की ओर से ऊपर अस्पताल स्टाफ को सूचना दी जाती है। कहां दिक्कत हुई यह जांच का विषय है। मुझे कोई जानकारी नहीं है कि मरीज कब लाया गया। पत्रकारों से सूचना मिली तो 10 मिनट में पहुंचा, पर उनकी मौत हो चुकी थी।
सुपरवाइजर को भी नहीं पता था कि कोई गंभीर मरीज लाया जा रहा है। नियमानुसार, सीएचसी और पीएचसी को मरीज भेजते समय सूचना देनी चाहिए थी। ऊपर बेड खाली नहीं था। क्रिटिकल मरीज के लिए हाउसकीपिग स्टाफ तैयारी कर रहे था। सीरियस मरीज को गेट पर लाकर खड़े हो जाएंगे तो उनकी गलती है।