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कला सिर्फ मनोरंजन नहीं, आत्म-अभिव्यक्ति का जरिया… 8 किलो रंगोली से 18 घंटे में बनाई मां शेरावाली की ‘दिव्य’ तस्वीर

Bilaspur News: बिलासपुर की नारियल कोठी दयालबंद निवासी दिव्या कश्यप ने रिवर व्यू स्थित आदर्श दुर्गात्सव समिति के पंडाल में मां दुर्गा की अनोखी रंगोली बनाकर सबका ध्यान खींचा है।

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18 घंटे में बनाई मां शेरावाली की ‘दिव्य’ तस्वीर (फोटो सोर्स- पत्रिका)

18 घंटे में बनाई मां शेरावाली की ‘दिव्य’ तस्वीर (फोटो सोर्स- पत्रिका)

CG News: बिलासपुर की नारियल कोठी दयालबंद निवासी दिव्या कश्यप ने रिवर व्यू स्थित आदर्श दुर्गात्सव समिति के पंडाल में मां दुर्गा की अनोखी रंगोली बनाकर सबका ध्यान खींचा है। दिव्या ने 6 फीट लंबी और 7 फीट चौड़ी रंगोली में मां दुर्गा की तस्वीर उकेरी है। इसे बनाने में उन्हें 8 किलो रंगोली और 18 घंटे का समय लगा।

कला सिर्फ रंगों और आकृतियों का मेल नहीं, बल्कि भावनाओं की भाषा है। शहर की प्रतिभाशाली कलाकार दिव्या कश्यप ने रंगोली और पेंटिंग को अपने जीवन का अहम हिस्सा बना लिया है। अपनी रचनात्मकता से वह न केवल परिवार और समाज को गौरवान्वित कर रही हैं, बल्कि नई पीढ़ी को भी प्रेरित कर रही हैं।

पत्रिका दफ्तर पहुंचीं दिव्या ने बताया कि मुझे याद है, 5वीं क्लास में रंगोली प्रतियोगिता में टीचर ने बिना पूछे मेरा नाम लिख दिया था। जब पता चला तो 15 दिन में आनन-फानन में रंगोली सीखनी पड़ी। मेरे चाचा आर्टिस्ट है, उन्होंने मुझे सिखाया। उस दौरान मैंने पहली बार रंगोली बनाई थी, और उस दिन मेरे टीचर, पैरेंट्स सहित सभी ने मेरी रचनात्मकता की बहुत सराहना की। उसी समय लगा कि कला मेरे जीवन का अहम हिस्सा बनेगी। अब तक जिला व संभाग स्तरीय रंगोली प्रतियोगिता में एक दर्जन से ज्यादा ईनाम जीत चुकी हूं।

पेंसिल स्कैच से लेकर ऑइल पेस्टल तक

दिव्या न केवल आकर्षक रंगोली बनाती है बल्कि पेंसिल स्कैच और ऑइल पेंट के रंगों के मिश्रण से भी बेहतरीन आकृतियां बनाती हैं। दिव्या ने इसके लिए कोई ट्रेनिंग नहीं ली है। उनके चाचा कलाकार है, जो इन्हें मार्गदर्शन देते हैं। उनके लिए महाकाल उज्जैन का कॉरिडोर की आकृति सबसे ज्यादा चैलेंजिंग रहा। अब तक उन्होंने दो हजार से ज्यादा रंगोली, पेटिंग बना ली है, जिनकी मांग दूसरे राज्यों में भी हैं। पोस्ट ग्रेजुएट दिव्या का सपना है कि वह इस विधा में राज्य और देश में अपनी प्रतिभा दिखाएं। इसके लिए वह अवसर भी तलाश रही है।

दिव्या का कहना है कि कला सिर्फ मनोरंजननहीं, बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति का जरिया है। युवा अगर अपनी रुचि और लगन के साथ कला में समय लगाएं, तो यह उन्हें आत्मविश्वास और नई संभावनाएं देगा।


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