
Bilaspur High Court: हाईकोर्ट ने आर्य समाज के नाम पर संचालित कुछ गैर-संबद्ध संस्थानों को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस उन संस्थानों को जारी किया गया है जो बिना किसी संबद्धता के आर्य समाज के नाम का उपयोग कर रहे हैं और अवैध रूप से विवाह संपन्न करा रहे हैं।
स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा 10 अप्रैल, 1875 को स्थापित आर्य समाज, सामाजिक सुधार और जागरुकता के उद्देश्य से स्थापित एक प्रमुख संगठन है। आर्य समाज अपने मूल्यों और सिद्धांतों के प्रति समर्पित है। इसके संचालन के लिए त्रिस्तरीय संरचना है, जिसमें केंद्रीय स्तर पर सार्वादेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, प्रांतीय स्तर पर सार्वादेशिक प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा और जिला स्तर पर संबद्ध आर्य समाज शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा राज्य में आर्य समाज मंदिरों की देखरेख और उन्हें मान्यता प्रदान करने वाली एक पंजीकृत संस्था है। हाल के वर्षों में यह पाया गया है कि कुछ संस्थाएं बिना संबद्धता के आर्य समाज के नाम पर अवैध रूप से विवाह संपन्न करा रही हैं, जो कि स्वामी दयानंद सरस्वती के नियमों के खिलाफ है। छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
छत्तीसगढ़ शासन, रजिस्ट्रार, फर्म एवं सोसायटी के साथ-साथ प्रदेश भर के इन संस्थानों को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
Bilaspur High Court: याचिका में छत्तीसगढ़ शासन, रजिस्ट्रार, फर्म एवं सोसायटी को प्रतिवादी बनाते हुए कहा गया है कि रजिस्ट्रार, फर्म एवं सोसायटी ने छत्तीसगढ़ सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1973 के विपरीत जाकर कई संस्थाओं का पंजीकरण किया है। इनमें आर्य समाज शब्द का अवैध रूप से उपयोग किया गया है।
इन संस्थाओं का उद्देश्य केवल विवाह के व्यापार में शामिल होकर अवैध रूप से धन कमाना है। इसके अतिरिक्त ये अवैध आर्य समाज न तो आर्य समाज के नियमों और सिद्धांतों का पालन कर रही हैं और ना ही इनमें हवन सत्संग आदि के कार्य₹म होते हैं, ना ही इनमें गुरुकुल से उपाधि प्राप्त कोई पुरोहित होता है।
Published on:
22 Feb 2025 11:52 am
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