MBBS in Hindi: छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई कराने वाला पहला मेडिकल कॉलेज तो बन गया। लेकिन छात्रों को हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई करने में रुचि नजर नहीं आ रही है। सिम्स प्रबंधन ने हिंदी में मेडिकल पढ़ाई कराने के लिए करीब 8 लाख रुपए खर्च कर किताबें खरीदी थीं। इन किताबों को सेंट्रल लाइब्रेरी में रखा गया।
उम्मीद थी कि दर्जनों छात्र अब हिंदी की किताबों से मेडिकल की पढ़ाई करेंगे। लेकिन महीनों गुजरने के बावजूद एमबीबीएस के एक भी छात्र ने इन किताबों को हाथ नहीं लगाया है। इससे साफ नजर आता है कि छात्रों को हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई करने में रुचि नहीं है। ऐसे में यह पुस्तकें लाइब्रेरी में बेकार पड़ी हुई हैं।
छात्रों के अनुसार हिंदी के शब्द बहुत कठिन हैं। अंग्रेजी में जहां किसी के लिए एक शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं हिंदी में उसके लिए कई पर्यायवाची शब्द हैं। इसके अलावा कई मामलों में तो हिंदी समझ ही नहीं आती है। वहीं पीजी व आगे की पढ़ाई सिर्फ अंग्रेजी में होगी। ऐसे कई कारण हैं, जिसकी वजह से छात्र हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई नहीं करना चाहते हैं। लिहाजा शासन की यह योजना खटाई में पड़ती नजर आ रही है।
एमबीबीएस के एक छात्र ने बताया कि मैं खुद हिंदी मीडियम का छात्र रहा हूं। इसके बावजूद अंग्रेजी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा हूं। हिंदी की एमबीबीएस पुस्तक में क्या लिखा है, यह समझ में ही नहीं आता है। वहीं हिंदी में एक ही चीज का कई शब्द हैं।
एमबीबीएस प्रथम वर्ष की एक छात्रा ने बताया कि हिंदी में एमबीबीएस पढ़ना बहुत कठिन है। कई शब्द तो समझ ही नहीं आते हैं। वहीं हिंदी में पढ़ने से कंफ्यूजन बढ़ने लगता है। इसलिए मैं अंग्रेजी में ही पढ़ाई कर रही हूं।
डीन सिम्स डॉ. रमणेश मूर्ति ने बताया कि शासन के आदेश के बाद एमबीबीएस की पढ़ाई करने हिंदी की पुस्तकों की खरीदी की गई थी। इससे छात्रों को काफी मदद मिलेगी। परीक्षा नजदीक आने पर इसका उपयोग ज्यादा होगा।
Updated on:
22 Jun 2025 12:54 pm
Published on:
22 Jun 2025 12:50 pm