
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (फोटो सोर्स- X)
Bilaspur News: विश्व के लिए प्रेम और कल्याण को प्राथमिकता में रखने वाला एक सच्चा स्वयंसेवक होता है। संघ की शाखा में बिताए 1 घंटे के समय जो सीख मिलती है उसे दिन के 23 घंटे में स्मरण कर व्यक्तित्व में लाने वाला स्वयंसेवक होता है। ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बिलासपुर के सिम्स ऑडिटोरियम में आयोजित लोकहितकारी काशीनाथ गोरे के स्मारिका विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहीं।
उन्होंने 19 मिनट के उद्बोधन में संघ के शताब्दी वर्ष पूर्ण होने और एक स्वयंसेवक के कर्तव्यों के बारे में प्रकाश डाला। डॉ. केशव राव बलीराम हेडगेवार को याद करते हुए कहा कि यदि संघ की स्थापना के समय हेडगेवार लोगों के साथ मिलकर काम नहीं करते, सभी को साथ लेकर नहीं चलते और स्वयं को अलौकिक मानते हुए लोगों से दूरी बना लेते तो आज संघ का परिवार इतना बड़ा नहीं होता। उनके व्यक्तित्व से सीखने की जरूरत है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने कहा, काशीनाथ जी ने जीवन का एक-एक क्षण राष्ट्र के लिए समर्पित किया। उन्होंने स्वयंसेवक, गृहस्थ, शासकीय सेवक हर भूमिका में आदर्श स्थापित किया। उनका पूरा परिवार राष्ट्र कार्य में जुटा रहा। वह परंपरा आज भी जारी है। काशीनाथ जी ने मेरे जीवन में समाज के प्रति दायित्व का बोध का वह भाव जगाया जिसने मेरे जीवन को दिशा दी।
बिलासपुर के स्वयंसेवक रहे स्व. काशीनाथ गोरे के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसा एक भी बार नहीं हुआ जब मैं बिलासपुर आया और उनसे और बात करने का अवसर न मिला हो। लेकिन प्रथम बार है कि वो हमारे मिलने बीच शारीरिक रूप से मौजूद नहीं हैं। लेकिन उनकी कीर्ति सदैव बनी रहेगी। वो एक ऐसे स्वयंसेवक थे जिन्होंने संघ के विस्तार को लेकर हमेशा कार्य किया। शासकीय सेवा में रहते हुए भी संघ को पूरा समय दिया।
Published on:
31 Aug 2025 11:19 am
बड़ी खबरें
View Allबिलासपुर
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
