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हाईकोर्ट ने दिखाया सख्त रवैया, कहा- सिर्फ दिखावे के लिए पेट्रोलिंग और मवेशी न हटाएं, समस्या का स्थायी समाधान करें

CG High Court: प्रदेश की खराब सड़कों और मवेशियों के जमावड़े पर हाईकोर्ट ने राज्य शासन, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और नगर निगम की विफलता पर सवाल उठाए हैं।

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हाईकोर्ट (photo Patrika)

हाईकोर्ट (photo Patrika)

CG High Court: प्रदेश की खराब सड़कों और मवेशियों के जमावड़े पर हाईकोर्ट ने राज्य शासन, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और नगर निगम की विफलता पर सवाल उठाए हैं।

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने कहा कि अधिकारी सिर्फ दिखाने के लिए पेट्रोलिंग और मवेशी हटाने की कार्रवाई न करें, बल्कि समस्या का स्थायी समाधान करें। कोर्ट ने पूछा- मवेशियों को गौठान या चारागाह में भेजने की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही? सभी चीजें सिर्फ कागजों में हो रही हैं, प्रैक्टिकली कुछ नहीं हो रहा। मवेशियों को हटाने के लिए जिस एसओपी की बात थी उसका भी पालन नहीं किया जा रहा है। मवेशियों को प्रदेश में बने चारागाह और गौठान भेजना चाहिए, पर ऐसा कुछ नहीं हो रहा। कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग, शासन, बिलासपुर कलेक्टर, नगर निगम को शपथपत्र पर जवाब देने के निर्देश दिए हैं।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शासन से पूछा कि सड़कों पर लगातार मवेशी नजर आते हैं। इसकी रोकथाम करने नगर निगम, पालिका परिषद वगैरह क्या कर रहे हैं? राजमार्ग प्राधिकरण ने कहा कि मवेशी हटाने और जिओ टैगिंग की शुरुआत चरणबद्ध तरीके से नगरपालिका स्तर से करनी पड़ेगी। यूपी, जम्मू- कश्मीर जैसे राज्यों में इसी तरीके से सड़कों से मवेशी हटाने की शुरुआत की गई थी। शासन की ओर से कहा गया कि रतनपुर से होकर एनएच-130 पर मवेशी मंच, शेड का निर्माण किया गया है। बिलासपुर-पथरापाली खंड के भीतर पेंड्रीडीह में मवेशी मंच बनाया गया है। इस मंच का उद्देश्य आवारा मवेशियों के लिए एक निर्दिष्ट क्षेत्र प्रदान करना है, जिससे उन्हें राजमार्गों पर भटकने से रोका जा सके।

मवेशी रखने की जानकारी शामिल हो आधार कार्ड में, प्राधिकरण ने दिए सुझाव

सुनवाई के दौरान शासन की ओर से बनाए गए प्राधिकरण ने यह सुझाव भी दिया कि आधार कार्ड में अन्य जानकारी की तरह मवेशी रखने की जानकारी भी शामिल की जाए। इससे पशुपालकों और मवेशियों के मालिक की पहचान हो सकेगी। साथ ही राज्य शासन ने प्रदेश में 63 निजी गोशालाएं और उन्हें अनुदान मिलने की जानकारी दी। इस पर कोर्ट ने गौशालाओं की भूमिका पर भी सवाल उठाए।

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि नेशनल हाइवे अथॉरिटी पर ही सडकों के सुधार का दायित्व है। नगरीय निकाय क्षेत्रों में बीच सड़क पर बैठे हुए मवेशियों से या अचानक हाईवे या दूसरे मुख्य मार्गों पर आ जाने से बड़े हादसे हो जाते हैं। कोर्ट ने आवारा मवेशियों की संख्या पूछते हुए यह निर्देश भी दिया कि शासन मवेशियों को हटाने के लिए चरवाहों का इंतजाम करें और जवाबदार मालिकों पर पेनाल्टी लगाएं।

अगली सुनवाई के पहले व्यवस्था करें कि सड़क पर एक भी मवेशी नजर न आए

कोर्ट ने इस संबंध में कलेक्टर को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने कहा है। कोर्ट ने कहा है कि अगली सुनवाई से पहले तय किया जाना चाहिए कि राजमार्गों या सार्वजनिक सड़कों पर मवेशियों सहित कोई भी आवारा जानवर न पाया जाए, ताकि सार्वजनिक सुरक्षा को किसी भी तरह का खतरा न हो। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।