
आजादी की लड़ाई लड़ने वालें इन सेनानियों के नाम हो चुके हैं गुम
Independence Day 2023 बिलासपुर पत्रिका@ आलोक मिश्रा/ चूड़ामणि साहू। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा। रायगढ़ जिले के सिराज सिंह, धिराज सिंह और बिलासपुर जिले के कुंज बिहारी लाल अग्निहोत्री पर ये पंक्तियां सटीक नहीं बैठती है। इन लोगों की कहानी, फोटो तो दूर उनका नाम तक गुम हो चुका है। बहुत खंगालने पर केवल सरकार का गजेटियर ही इसकी गवाही देता है कि इन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी थी।
जमींदार सिराज सिंह को हुई थी फांसी, धिराज सिंह को कालापानी
Independence Day 2023: रायगढ़ जिले के तत्कालीन धरमजयगढ़ रियासत में अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले सिराज सिंह व धिराज सिंह का नाम गजेटियर में दर्ज है पर यही इकलौती स्मृति और सबूत है। 1857 के पहले धरमजयगढ़ रियासत के जमींदार सिराज सिंह और धिराज सिंह थे।
जब ईस्ट इंडिया कंपनी अपने पांव इस तरफ पसारने शुरू किए और जमींदारों से लगान वसूली की बात की गई तब इस रियासत ने अंग्रेजों का विरोध किया। इस विरोध (Freedom Fighter's) को दबाने के लिए अंग्रेजों ने रियासत पर कब्जे की नियत से हमला कर दिया।
जमकर लड़ाई हुई, अंग्रेज सेना के सामने उदयपुर रियासत की हार हुई और सिराज सिंह को फांसी की सजा दी गई और धिराज सिंह को कालापानी की सजा हुई। लेकिन वे वहां से फरार हो गए और कंद मूल खाते हुए जंगलों में जीवन व्यतीत किया। आज भी धिराज सिंह का परिवार जमरगीडीह में फांकाकशरी में अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। इस परिवार के द्वारा कई बार पीएम आवास के लिए आवेदन किया गया, लेकिन वो भी उन्हें नहीं मिल सका है।
बापू भी ठहरे थे इनके घर, सारी संपत्ति कर दिया था दान
Independence Day 2023: बिलासपुर के एक महान देशभक्त, साहसी व स्वाभिवानी व्यक्ति कुंज बिहारी लाल अग्निहोत्री जिन्होंने देश की आज़ादी के आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और भारत आजाद होने के बाद भी समाज सुधार के कामों में लगे रहे। यहां तक कि उन्होंने अपनी सारी संपत्ति दान कर दी। आज आलम यह है कि केवल गजेटियर में ही उनका नाम है।
शहर के ही एक और स्वतंत्रता सेनानी परिवारी के सदस्य ई रामेंद्र राव कुंज बिहारी लाल को याद करते हुए कहते हैं कि अग्निहोत्रीजी एक कुशल वकील व कांग्रेस के (Independence Day 2023) दिग्गज नेताओं में से एक थे। गांधी जब छुआछूत उन्मूलन और पिछड़ी जाति के उत्थान के लिए 25 नवंबर 1933 को जब बिलासपुर आए थे तो अग्निहोत्रीजी के घर पर ही रुके हुए थे।
Published on:
14 Aug 2023 05:33 pm
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