
सतीश यादव/ बिलासपुर . इस बार प्रदेश के जंगलों में नई पद्धति से सीसीटीवी कैमरे के जरिए बाघों की गणना होगी। अफसरों को फुटेज के साथ फोटोग्राफ्स भी दिखाने होंगे। इसी आधार पर बाघों की संख्या तय की जाएगी। इसके लिए यहां एटीआर के आसपास 400 ट्रैप कैमरे लगाए जाएंगे। पहले 500 मीटर की दूरी पर कैमरे लगाए जाते थे, अबकी बार ये कैमरे 200 मीटर की दूरी पर लगाए जाएंगे। नई पद्धति से बाघों की गणना के लिए वन विभाग के अफसरों को कान्हा किसली में 19 दिसंबर से तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। देश में बाघों की गणना करने वाली नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के प्रस्तावित प्लान के तहत वन विभाग टाइगर रिजर्व एरिया पर रिपोर्ट तैयार करेगा। एनटीसीए ने साफ कर दिया है कि पारंपरिक तरीके से बाघों की गणना नहीं होगी। अफसरों को सीसीटीवी फुटेज दिखाने के साथ ही फोटोग्राफ्स भी प्रस्तुत करने होंगे। इसके आधार पर ही बाघों की असल मायने में संख्या तय हो पाएगी।
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19 से तीन दिवसीय ट्रेनिंग : फारेस्ट विभाग चरणबद्घ तरीके से तैयारी में जुटा है। इस बार वैज्ञानिक तरीके से जांच के लिए फारेस्ट विभाग से एक्सपर्ट मध्य प्रदेश कान्हा किसली जाकर स्पेशल ट्रेनिंग लेंगे। सर्वे के लिए इन्हें अत्याधुनिक उपकरणों और तरीकों के बारे में बताया जाएगा। जनवरी में गणना शुरू होगी। अत्याधुनिक तरीके से अफसर जंगलों में सर्वे करेंगे। तीन चरणों में रिपोर्ट तैयार होगी।
सटीक जानकारी नहीं मिलने के कारण बदले बाघों की गणना के तरीके : प्रदेश में अब तक पारंपरिक तरीके से ही बाघों की गणना होती रही है। बाघों के पंजे, पद चिन्ह, और मल के आधार पर संख्या तय होती रही है। प्रदेश में 46 बाघों की मौजूदगी होने का दावा किया जाता रहा है। अब फोटोग्राफी और फूटेेज के आधार पर बाघों की गणना होने से संख्या बदल सकती है। वाइल्ड लाइफ के एक्सपर्ट मानते हैं पद चिन्ह और मल से कई बार सटीक जानकारी नहीं मिल पाती।
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अब तक ये होता रहा : अब तक पद चिन्ह या फिर मल के आधार पर ही पारंपरिक तरीके से बाघों की गणना होती रही है। असल में इस तरह से बाघों की संख्या तय कर पाना मुश्किल हो जाता है। लिहाजा एक्सपर्ट तरीके से बाघों की गणना रिपोर्ट तैयार होगी। देशभर में बाघों की संख्या के लिए एनटीसीए ने दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।
टे्रनिंग कैम्प का होगा आयोजन : इस बार बाघों की गणना पारंपरिक तरीके से नहीं होगी। बल्कि सीसीटीवी फुटेज व फोटोग्राफ्स दिखाने होंगे। इस आधार पर ही बाघों की असल मायने में संख्या तय हो पाएगी। इसके लिए कान्हा में ट्रेनिंग कैम्प आयोजित किया गया है।
मनोज पांडेय, डीएफओ एटीआर
Published on:
10 Dec 2017 11:11 am
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