
Biopic on Fauja Singh By Omung Kumar
-दिनेश ठाकुर
सूरदास फरमाते हैं- 'जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, आंधर को सब कुछ दरसाई/ बहिरो सुनै, मूक पुनि बोलै, रंक चले सिर छत्र धराई।' यानी सर्वशक्तिमान की कृपा हो तो अपंग भी पहाड़ लांघ सकता है, नेत्रहीन को सब कुछ दिखाई दे सकता है, बधिर सुन सकता है, मूक बोल सकता है और निर्धन के सिर पर राजा का ताज हो सकता है। हॉलीवुड के सुपर सितारे टॉम हैंक्स के हाथों में ऑस्कर अवॉर्ड थमाने वाली 'फोरेस्ट गम्प' में इसी तरह का करिश्मा दिखाया गया था। कमजोर पैर लेकर पैदा हुआ बच्चा करिश्माई नायक के रूप में उभरता है। अमरीकी फौज के कई बड़े अभियान में उसे शामिल किया जाता है। 'फोरेस्ट गम्प' का भारतीय संस्करण आमिर खान 'लाल सिंह चड्ढा' नाम से बना रहे हैं। लंदन में बसे प्रवासी भारतीय फौजा सिंह की जिंदगी भी 'फोरेस्ट गम्प' से कम रोमांचक नहीं है। पंजाब के ब्यास पिंड (जालंधर) गांव में 1911 में कमजोर पैरों के साथ पैदा हुए फौजा सिंह ( Fauja Singh ) बचपन में ज्यादा चल-फिर नहीं पाते थे। लेकिन 104 साल की उम्र तक वह मैराथन में हिस्सा लेते रहे। दुनिया के सबसे बुजुर्ग धावक ( World's oldest Marathon Runner ) हैं। सारी दुनिया उनके हौसले को सलाम करती है। उन्हें 'टर्बेंड टॉर्नेडो' (पगड़ीधारी बवंडर), 'रनिंग बाबा' और 'सिख सुपरमैन' कहा जाता है।
मई में शुरू होगी शूटिंग
निर्देशक Omung Kumar ने फौजा सिंह पर बायोपिक बनाने का ऐलान किया है। 'मैरी कॉम', 'सरबजीत' और 'पीएम नरेंद्र मोदी' के बाद 'फौजा' उनकी चौथी बायोपिक होगी। फिलहाल खुलासा नहीं हुआ है कि फौजा सिंह का किरदार कौन अदा करेगा। ओम पुरी होते तो बेहतर विकल्प साबित हो सकते थे। कई फिल्मों के सिख किरदारों में उन्होंने जान फूंक दी थी। अमिताभ बच्चन या नसीरुद्दीन शाह पर भी गौर किया जा सकता है। 'गुलाबो सिताबो' में लखनऊ के लालची बुजुर्ग मिर्जा के किरदार में अमिताभ लाजवाब अदाकारी कर चुके हैं। बहरहाल, मई में बायोपिक की शूटिंग शुरू होने से पहले कलाकार का नाम सामने आ जाएगा।
अब 110 साल के हैं फौजा सिंह
बायोपिक खुशवंत सिंह की किताब 'टर्बेंड टॉर्नेडो' पर आधारित होगी। इसे फौजा सिंह की अधिकृत आत्मकथा माना जाता है। दरअसल, इससे पहले खुशवंत सिंह ने अपनी किताब 'सिख्स अनलिमिटेड' में फौजा सिंह का जिक्र कर दुनिया को उनके कारनामे से रू-ब-रू कराया था। फौजा सिंह ने 84 साल की उम्र में मैराथन में हिस्सा लेना शुरू किया। वह कई अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में हिस्सा ले चुके हैं। जब वह दौड़ते हैं तो जिंदगी मुस्कुराती है, जमीन नाज करती है और आसमान दुआएं देता है। अब 110 साल की उम्र में उन्होंने मुकाबलों में हिस्सा लेना बंद कर दिया है।
ब्रिटिश फिल्मकार ने बनाई थी शॉर्ट फिल्म
सिख भले लंदन में रहें या कनाडा में, पराठे और लस्सी उनसे जुदा नहीं होते। यह 'मेरा साया साथ होगा' वाला रिश्ता है। लंदन के जिन इलाकों में सिख रहते हैं, देशी घी के पराठों की खुशबू से महकते हैं। लेकिन फौजा सिंह के मकान से पराठों की खुशबू नहीं आती। इस उम्र में खुद को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए वह पराठे, चावल और तली हुई चीजों का सेवन नहीं करते। फौजा सिंह पर ब्रिटिश फिल्मकार नीना दत्त रॉय की शॉर्ट फिल्म 'नथिंग इज इम्पॉसिबल' (2009) ने इस हस्ती के बारे में जानने का मौका दिया था। असली सच यह जानना था कि ढलती उम्र में भी हौसला शरीर में नई उमंग और ऊर्जा का संचार करता है। आप सौ साल के पार जाकर भी फौजा सिंह की तरह दौड़ सकते हैं।
Published on:
21 Jan 2021 02:06 pm
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