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एक गलती की वजह से चोपट हो सकता था कॅरियर: गुलशन देवैया

exclusive interview of bollywood actor gulshan devaiah

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 Gulshan Devaiah

Gulshan Devaiah

बॉलीवुड अभिनेता गुलशन देवैया के पैर में गंभीर चोट लग गई थी। सर्जरी के बाद डॉक्टर्स ने उन्हें करीब 10 महीने तक पूरी तरह आराम करने की सलाह दी थी। इस दौरान उनके पास फिल्मों के ऑफर आए लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसी बीच उनके पास फिल्म 'मर्द को दर्द नहीं होता' का ऑफर आया। फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद गुलशन इसके लिए मना नहीं कर पाए। उन्हें फिल्म में खतरनाक स्टंट करने थे। इसके बावजूद उन्होंने अपने पैर की सर्जरी की चिंता नहीं की और फिल्म के लिए हामी भर दी। 21 मार्च को रिलीज हुई इस फिल्म को लेकर गुलशन गुलशन देवैया ने पत्रिका एंटरटेनमेंट से खास बातचीत में अपने अनुभव साझा किए।

पहली बार किया डबल रोल :
गुलशन देवैया पहली बार डबल रोल में नजर आए हैं। उन्होंने बताया, 'इस फिल्म में जुड़वा भाईयों का किरदार निभा रहा हूं, कराटे मणी और जिम्मी। कराटे मणी एक कराटे मास्टर है, इसकी एक टांग नहीं है। और जिम्मी लोकल गुंडा है जो अपने आप को बिजनेसमैन कहता है। दोनों भाईयों के बीच अनबन है।

काफी चैलेजिंग रहा कराटे सीखना:
उन्होंने बताया, फिल्म में स्टंट करने थे और इसके लिए उन्होंने कराटे भी सीखे। पैर में चोट की वजह से शारीरिक तैयारी ज्यादा करनी पड़ी और कराटे करना भी काफी मुश्किल था। इसके लिए करीब चार महीने की ट्रेनिंग की। शुरुआत को खराब रही क्योंकि मैं मार्शल आर्ट से नहीं हूं। शून्य से शुरूआत करनी पड़ी।

तीन दिन ट्रेनिंग और तीन दिन थैरेपी:
गुलशन ने बताया कि स्टंट प्रैक्टिस करते समय उनको डर लगा रहा था कि एक गलती की वजह से कॅरियर खतरे में पड सकता था। उन्होंने बताया, 'इसके लिए मैंने अपने डॉक्टर से सलाह ली कि क्या-क्या कर सकते है। ट्रेनिंग के दौरान थैरेपी भी चल रही थी। तीन दिन ट्रेनिंग और तीन दिन थैरेपी होती थी। हालांकि स्टंट के दौरान सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता था।

वसन बाला बहुत ही शांत और टैलेंटेड व्यक्ति है:
गुलशन का कहना है कि फिल्म के डायरेक्टर वसन बाला बहुत प्रतिभाशाली और बहुत शांत है। कहानियां अलग हैं किरदार अलग हैं और डायरेक्टर का शूट करने का अंदाज भी अलग है। बाला के साथ यह मेरी दूसरी फिल्म है। गुलशन ने बताया कि यह बहुत शांत स्वभाव के हैं और सेट पर बिल्कुल भी नहीं चिल्लाते। उनको देखकर हम भी शांत हो जाते हैं और अपने काम में लग जाते हैं।

कंटेट पढ़ने में हुई थोड़ी परेशानी:
'कंटेट को पढने में थोड़ा आसान रहा... तमिल फिल्में हमारे बैंगलोर में देखते हैं। मैं थोड़ी बहुत तमिल भी बोल लेता हूं चेन्नई में मैंने पढ़ाई की है। मुंबई में कुछ लोग तमिल बोलते है लेकिन तमिलनाडु की थोडी अलग है। दोनों में थोड़ा अंतर है। मैंने थोड़ा सीखा कि इनका बोलने का अंदाज कैसा है, ये लोग शब्दों का किस प्रकार उच्चारण करते है।