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ममता कुलकर्णी ने अब कहां जाने की जताई इच्छा, बोलीं- ‘1 महीनें की अंदर मैं…’

ममता कुलकर्णी की भगवान श्रीरामचंद्र में गहरी श्रद्धा है। उन्होंने बताया कि वह अभी तक अयोध्या धाम नहीं जा पाई हैं, लेकिन बहुत जल्द रामलला का आशीर्वाद लेने श्रीराम नगरी जाने की योजना बना रही हैं।

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मुंबई

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Saurabh Mall

Jun 05, 2025

Mamta Kulkarni

ममता कुलकर्णी की फोटो (सोर्स: ममता कुलकर्णी इंस्टाग्राम)

Mamta Kulkarni: ममता कुलकर्णी की भगवान श्रीरामचंद्र में विशेष आस्था है। उन्होंने बताया कि वह अयोध्या धाम नहीं जा सकी हैं। लेकिन, जल्द ही रामलला का आशीर्वाद लेने श्रीराम नगरी जाएंगी।

अयोध्या में श्रीराम दरबार सहित सभी देवालयों की सामूहिक प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। इस समारोह में माता जानकी के साथ सिंहासन पर विराजमान भगवान श्रीराम, उनके साथ खड़े भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के विग्रहों के साथ-साथ भगवान बजरंगबली के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा वैदिक विधि-विधान से संपन्न हुई।

श्रीराम दरबार के साथ मंदिर परिसर के सभी नवनिर्मित देवालयों में एक साथ सामूहिक मंत्रोच्चार के साथ देवी-देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा हुई।

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साहित हैं ममता कुलकर्णी

ममता कुलकर्णी ने बताया कि वह अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साहित हैं। उन्होंने बताया, “मैं अयोध्या धाम नहीं जा सकी हूं। लेकिन, जल्द ही जरूर जाऊंगी। उम्मीद है कि एक महीने के अंदर ही मैं वहां जाऊंगी और रामलला के दर्शन करूंगी और आशीर्वाद लूंगी।”

नरेंद्र मोदी सरकार की तारीफ करते हुए उन्होंने आगे बताया, “भारत, ऋषियों मुनियों की धरती है और यहां हमें जो भी ज्ञान मिले, चाहे वह वेदों के ज्ञान क्यों ना हों, सब उन्हीं से मिले। सरकार तो पहले भी रही है, मगर सनातन धर्म को लेकर आज के समय में सरकार बेहतर काम कर रही है।”

ममता कुलकर्णी ने बचपन से जुड़ा किस्सा किया था शेयर

इससे पहले ममता कुलकर्णी ने बचपन से जुड़े किस्से को साझा किया था, जिसमें उन्होंने बताया कि ऋषि जमदग्नि की पत्नी रेणुका उनकी दादी के सपने में आई थीं और उन्हें लेकर विशेष बात रखी थी। ममता ने बताया कि उनका जन्म जमदग्नि गोत्र में हुआ और उनकी दादी के सपने में ऋषि जमदग्नि की पत्नी रेणुका आई थीं। इसी आधार पर उनका नाम यमाई पड़ा था।

ममता कुलकर्णी ने बताया कि उन्होंने 12 साल कठोर तपस्या की, जिससे उनकी 12 कुंडली जागृत हो गई थीं। प्रत्येक चक्र पर भगवान स्थापित होते हैं। अंतिम सूर्य चक्र होता है। जब भगवान परीक्षा लेते हैं, तब जाकर आप सूर्य चक्र तक पहुंच पाते हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि उनका मानना है कि ईश्वर हर किसी को एक खास प्रयोजन के साथ धरती पर भेजते हैं। जगत जननी ने उन्हें भी पुण्य कर्मों के लिए भेजा है और वह अपना सब कुछ ईश्वर पर छोड़ चुकी हैं।

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