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इस ऐक्ट्रेस ने दिए सबसे ज्यादा रेप सीन, कम उम्र में इस रोग से हुई मौत

70 और 80 के दशक में ज्यादातर फिल्में समाज और औरतों के साथ उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर बनाई जाती थीं। इस दौर की फिल्मों में असल जिंदगी में महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय को पर्दे पर उतारा गया था। और इसी दौर में एक ऐसी एक्ट्रेस थीं- जिन पर सबसे ज्यादा रेप सीन फिल्माए जाते थे

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Archana Keshri

Jan 15, 2022

इस ऐक्ट्रेस ने दिए सबसे ज्यादा रेप सीन, कम उम्र में इस रोग से हुई मौत

इस ऐक्ट्रेस ने दिए सबसे ज्यादा रेप सीन, कम उम्र में इस रोग से हुई मौत

फिल्म इंडस्ट्री में कई ऐसी अभिनेत्रियां हुई हैं, जिन्होंने अपना नाम तो बनाया लेकिन दुनिया को बेहद कम उम्र में ही अलविदा कह दिया। आज की पीढ़ी ने शायद ही अभिनेत्री नाजिमा का नाम सुना होगा। नाजिमा ने कई फिल्मों में सहायक रोल निभाया। इसके अलावा नाजिमा ने फिल्मों में सबसे ज्यादा रेप सीन भी किए। मगर बेहद ही कम उम्र में उन्हें जानलेवा बीमारी हो गई थी।

नाजिमा का जन्म नासिक में 1948 में हुआ था। शुरुआत से उनका फिल्मों की तरफ बड़ा रुझान था। उन्होंने बतौर बाल कलाकार बेबी चांद, हम पंछी एक डाल के जैसी फिल्मों में काम किया। नाजिमा ने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर फिल्म 'देवदास' में भी काम किया था। उन्होंने अपने करिअर की शुरुआत 1961 में आई फिल्म 'उमर कैद' से की थी। इसके बाद वह 1965 में फिल्म 'आरजू' में आईं, जिसे रामानंद सागर ने डायरेक्ट किया था। इस फिल्म के जरिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला था।

उस वक्त में सामाजिक उत्पीड़न व सेक्सुअल हैरासमेंट जैसे औरतों के साथ हो रहे अन्याय को दर्शाने के लिए पर्दे का सहारा लिया गया और एक्ट्रेस नजीमा ने कई बार ये रोल निभाए। नजीमा ने भी इस रोल को बखूबी निभाकर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी खास पहचान तो बनाई ही इसके अलावा उन्होंने औरतों के साथ हो रहे अत्याचार से लोगों को रूबरू भी करवाया।


नजीमा को फिल्म 'बेइमान' के लिए 1972 में बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस कैटेगरी में फिल्मफेयर के लिए नॉमिनेट किया गया था। बॉलीवुड में वह एक्टर्स की बहन और सहेली बनकर ही रह गईं, नतीजा यह हुआ कि नाजिमा को बॉलिवुड की 'रेज़िडेंट सिस्टर' कहा जाने लगा और उन्हें किसी भी फिल्म में लीड भूमिका नहीं मिली। नाजिमा ने उस दौर के हर बड़े स्टार के साथ काम किया।

मगर उन्हें हमेशा मलाला रहा कि उन्हें लीड एक्ट्रेस का रोल नहीं मिला। ये बात उन्हें अच्छी नहीं लगती थी, और उनकी ये हसरत अधूरी रह गई। उनको लगता था एक न एक दिन वो जरूर किसी फिल्म में लीड हिरोइन बनेंगी। इसी हसरत के कारण नाजिमा को जो भी फिल्म मिलती गई वो उसे करती गईं। बीतते वक्त के साथ नाजिमा के दिल में यह टीस भी गहराई से बैठती चली गई कि आखिर कोई भी फिल्ममेकर उन्हें लीड हिरोइन का रोल क्यों नहीं दे रहा? कोई उन्हें अपनी फिल्म की हीरोइन क्यों नहीं बनाना चाहता? नाजिमा का ये दर्द 'सिनेप्लॉट' को दिए एक इंटरव्यू में छलका था जो उन्होंने सालों पहले दिया था।

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उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा था,"जो मेरे डायरेक्टर मुझसे करने के लिए कहते हैं, मैं वैसा ही करती हूं। अब तक किसी भी डायरेक्टर को ऐसा नहीं लगा कि मैं लीड हिरोइन बन सकती हूं। अब तो बस यही कर सकती हूं कि मुझे लगातार काम करना होगा ताकि मैं फिल्मों में बनी रहूं, नहीं तो बेरोजगार हो जाऊंगी। जब आपके पास कोई न कोई नौकरी होती है तो एक उम्मीद भी रहती है कि एक दिन आपको मौका मिलेगा। अभी तो सफलता सिर्फ एक भ्रांति लगती है। पर एक दिन मैं जरूर सफल होऊंगी।"

मगर उनका ये खवाब अधूरा रह गया। नाजिमा ने अपने पूरे करियर में 30 फिल्मों में काम किया और फिर उन्हें कैंसर की बीमारी हो गई थी। साल 1975 में इसी बीमारी के चलते 27 साल की उम्र में ही नाजिमा ने दुनिया को अलविदा कह दिया। कम उम्र में ही उन्होंने बॉलीवुड में एक मुकाम हासिल कर लिया था। बात करें नाजिमा के फिल्मी करियर की तो उन्होंने फिल्म 'निशान', 'आरजू', 'दिल्लगी', 'तमन्ना', 'अनजाना' जैसी फिल्मों में सपोर्टिंग रोल किए।

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