11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राज कपूर क्यों करने लगे थे अंधविश्वास पर विश्वास

भारतीय सिनेमा के स्वर्णयुगीन फिल्मकार और शो-मैन राज कपूर ने बॉलीवुड में कई यादगार फिल्में दी हैं। उन्होंन करीब चार दशक तक बॉलीवुड इंडस्ट्री पर राज किया था। बाल कलाकार के रुप में उन्होंने महज ग्यारह साल की उम्र में फिल्म 'वाल्मीकि' में अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के साथ काम किया था।

2 min read
Google source verification

image

Archana Keshri

Jan 17, 2022

राज कपूर क्यों करने लगे थे अंधविश्वास पर विश्वास

राज कपूर क्यों करने लगे थे अंधविश्वास पर विश्वास

राज कपूर ने फिल्म इंडस्ट्री को 'श्री 420', 'आवारा', 'संगम', 'बॉबी' और 'सत्यम शिवम् सुन्दरम' जैसी कई फिल्में दी हैं। बाइस साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली फिल्म 'आग' बनाकर सिनेमा प्रेमियों का दिल जीत लिया था। उनकी फिल्मों की वजह से ही हिन्दी सिनेमा ने अपनी सीमाओं को लांघते हुए विदेशी जमीन पर भी पैर फैलाए थे।

एक अच्छा एक्टर होने के साथ-साथ वो एक फिल्मकार भी थे। वो अभिनय, निर्देशन, निर्माण के अलावा कहानी, पटकथा, संपादन, गीत, संगीत में भी अपनी रुचि रखते थे। कहा जाए तो वो मल्टी टैलेंटेड एक्टर थे। और आज हम उनकी फिल्मों के बारे में नहीं बल्कि उनके गानों के हिट होने की वजह के बारे में बताने जा रहे हैं। उनके गानें आज भी लोगों के जुबान पर रहतें हैं और कई बार लोगों को गुनगुनाते हुए भी सुना जा सकता है। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि उनके हिट गानों की वजह उनका किन्नर हुआ करते थे यानी कि एक अंधविश्वास जुड़ा होता था। आपको बता दें राज कपूर अच्छे फिल्मकार होने के साथ-साथ अंधविश्वासी भी थे।

आपको बता दें राज कपूर धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे। वो खुद एक रूढ़ीवादी सोच के शिकार थे, अपने इसी धार्मिक विश्वास के कारण उन्होंने किसी के कहने पर फिल्म 'सत्यम शिवम सुंदरम' से पहले नॉन-वेज खाना और शराब पीना बंद कर दिया था। और रही बात उनके गानों कि तो वो अपनी फिल्मों के गानों के लिए किन्नरों से सलाह-मशवरा किया करते थे। उन दिनों राज कपूर की पार्टियाम बॉलीवुड में काफी चर्चा का विषय हुआ करती थीं। उनके घर पर आए दिन कई पार्टियां हुआ करती थीं, जिनमें सबसे ज्यादा मशहूर होली की पार्टी होती थी।

यह भी पढ़े - जब अनिल कपूर के परिवार को रहना पड़ा था राज कपूर के गैराज में


होली वाले दिन पूरा बॉलीवुड राज कपूर की पार्टी में शामिल हो जाता था। ये बात आप शायद ही जानते होगें कि आर के स्टूडियों में होने वाली पार्टी में किन्नरों को खासतौर पर न्यौता दिया जाता था। उस पार्टी में किन्नर जमगर नाचते और गाते थे। उस दौरान राज कपूर अपनी फिल्मों के गाने सुनाया करते थे। अगर गाना किन्नरों को पसंद नहीं आता था तो वो उस गाने को रिजेक्ट कर देते थे।

गानों को लेकर एक ऐसा ही किस्सा फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' के साथ जुड़ा है। उस फिल्म का गाना राज कपूर ने किन्नरों को सुनाया, तो किन्नरों ने गाने को सुनते हीं रिजेक्ट कर दिया। फिर इस फिल्म के लिए दूसरे गाने बनाने की सलाह दी। जिसके बाद संगीतकार रविन्द्र द्वारा गाना 'सुन साहिबा सुन' बनाया गया, जिसे सुनकर किन्नर खुश हो गए। और देखिए इस फिल्म के गानों ने लोगों के दिलों दिमाग पर अपनी छाप छोड़ देते हैं, लोगों की जुबान पर ये गाने रहते हैं और अक्सर गुनगुनाते दिखाई दे जाते हैं।

यह भी पढ़े - खुदकुशी क्यों करना चाहते थे राजेश खन्ना?