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फटा शतरंज देते हुए शाहरुख खान के पिता ने दी थी सीख, दिए जिंदगी के 4 अनमोल तोहफे

सुपरस्टार शाहरुख खान के पिता ने उन्हें कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बातें बताई थीं। जिन पर वो अमल कर सफलता की ओर तेजी से बढ़ सकें। शाहरुख खान आज भी अपने पिता के तोहफों को संभालकर और उनकी बातों पर अपनी रियल लाइफ में फॉलो करते हैं।

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Shahrukh Khan

Shahrukh Khan

नई दिल्ली। सुपरस्टार शाहरुख खान आज बॉलीवुड इंडस्ट्री के बादशाह बन चुके हैं। शाहरुख खान एक बेहतरीन अभिनेता तो हैं ही, लेकिन वो एक अच्छे पति और पिता भी हैं। शाहरुख खान ने गौरी खान से शादी की थी। जिसके बाद गौरी और शाहरुख तीन बच्चों के माता-पिता बनें। शाहरुख अपने परिवार को लेकर काफी पजेसिव हैं। वो अपने बच्चों और पत्नी के लिए सबसे भिड़ भी जाते हैं। जिसका एक नमूना हम एक खेल के स्टेडियम में देख ही चुके हैं। शाहरुख अगर आज इतने नेक इंसान हैं। तो उसकी वजह उनकी परवरिश है। शाहरुख के पिता ने बचपन ने कई ऐसी बातें सिखाई हैं। जिन पर आज भी वो अमल करते हैं।

शाहरुख खान के पिता के नाम मीर ताज मोहम्मद खान था। वे एक स्वतंत्रता सेनानी थे। शाहरुख और उनका परिवार दिल्ली शहर से ही ताल्लुक रखता है। शाहरुख की पढ़ाई लिखाई भी दिल्ली से हुई है। वहीं शाहरुख अपने पिता के काफी करीब थे। एक इंटरव्यू में शाहरुख ने अपने पिता के बारें में बात करते हुए बताया था कि उनके पिता छोटी-छोटी चीज़ों से उन्हें बहुत कुछ सीखाते थे। उनके पास पिता की दी हुईं 4 निशानियां आज भी मौजूद हैं।

शतरंज

शाहरुख खान के पिता ने बेटे के जन्मदिन पर उन्हें एक फटा हुआ शतरंज का बोर्ड तोहफे में दिया था। शतरंज के बोर्ड को देते हुए किंग खान के अब्बा ने कहा था कि "आप शतरंज से बहुत सी चीज़ें सीख सकते हैं। शतरंज के ज़रिए आप सीख सकते हैं कि साथ मिल जुलकर काम कैसे करना है। ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए कभी-कभी पीछे भी हटना पड़ता है। शतरंज से आप सबसे बड़ा सबक ये भी सीख सकते हैं कि जिंदगी में कोई इंसान छोटा नहीं होता है, इसलिए सबकी इज्जत करनी चाहिए। जैसे की शतरंज के खेल में प्यादे भी काम आते हैं। ऐसे ही जिंदगी में कभी भी कोई काम आ सकता है।

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टाइपराइटर

एक कॉलेज के इवेंट में शाहरुख खान पहुंचे थे। जहां उन्होंने स्पीच देते हुए बताया था कि उनके पिता ने उन्हें एक टाइपराइटर भी गिफ्ट में दिया था। जब वो टाइपराइटर को दे रहे थे। तब अबू ने कहा था कि टाइपराइटर पर जब भी शख्स गलत लिखता है तो उसे मिटाना काफी मुश्किल हो जाता है। इसलिए इस पर लिखते हुए बहुत ध्यान देना चाहिए ताकि आप कोई गलती ना करो। ये काम करने का मौका आपको फिर ना मिले और ये आपका आखिरी काम है।

कैमरा

कैमरा भी शाहरुख के पिता ने उन्हें तोहफे में दिया था। कैमरे के व्यूफाइंडर से सब कुछ दिखता था। लेकिन फोटो नहीं क्लिक होती थी। जब शाहरुख को कैमरा दिया जा रहा था तब उनके पिता ने कहा था कि 'जैसे इस कैमरे से आप सब देख तो सकते हैं, लेकिन तस्वीर नहीं खींच सकते, वैसे ही जीवन में ये ज़रूरी नहीं की आपकी हॉबी फिर चाहे वो सिंगिंग हो, पेंटिंग हो या फिर डांसिंग हर किसी को पसंद आए। मगर फिर भी तुम्हें अपनी हॉबी को तराशना होगा क्योंकि जब तुम अवसाद में होगे तब ये तुम्हारे बहुत काम आएगी। ये तुम्हारी दोस्त बन जाएगी।'

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सेंस ऑफ ह्यूमर

शाहरुख खान ने बताया था कि उनके पिता कहते थे कि एक अच्छे इंसान में अच्छा सेंस ऑफ ह्यूमर और बच्चे की तरह मासूमियत होनी बेहद ही जरूरी होता है। शाहरुख आज भी अपने पिता की दी इन नसीहतों को दिल से मानते हैं।