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आजकल के songs में हिट की मारामारी, भावनात्मक जुड़ाव नहीं: हरिहरन

म्यूजिक इंडस्ट्री (Music Industry) में पिछले कुछ वर्षों में गानों को रीक्रिएट (Recreate) कर नए ढंग से पेश करने का चलन बढ़ गया है। हालांकि इंडस्ट्री के बहुत से म्यूजिक कंपोजर (composer) और सिंगर (Singer) गानों के रीक्रिएशन के पक्ष में नहीं हैं। दिग्गज गायिका लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) और आशा भोसले ()Asha Bhosle) भी इस पर अपनी नराजगी जाहिर कर चुकी हैं।

Jul 02, 2020 / 10:51 am

Mahendra Yadav

Hariharan

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म्यूजिक इंडस्ट्री (Music Industry) में पिछले कुछ वर्षों में गानों को रीक्रिएट (Recreate) कर नए ढंग से पेश करने का चलन बढ़ गया है। हालांकि इंडस्ट्री के बहुत से म्यूजिक कंपोजर (composer) और सिंगर (Singer) गानों के रीक्रिएशन के पक्ष में नहीं हैं। दिग्गज गायिका लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) और आशा भोसले ()Asha Bhosle) भी इस पर अपनी नराजगी जाहिर कर चुकी हैं। इनके अलावा ए.आर. रहमान, गीतकार प्रसून जोशी सहित कई दिग्गजों का कहना है कि रीकिएशन से मूल गाने की आत्मा खत्म हो जाती है। अपने तीन दशक लंबे कॅरियर में सुरीली आवाज से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन करने वाले हरिहरन ने इस मामले पर अपने विचार व्यक्त किए। उनका कहना है कि अब गानों में पहले की तरह भावनात्मक जुड़ाव नहीं है, बल्कि हिट की महामारी है।

पहले गीत ज्यादा मायने रखते थे

संगीत की दुनिया में आए बदलावों पर हरिहरन ने कहा, ‘मैं व्यक्तिगत रूप से किसी की बात नहीं करना चाहूंगा, लेकिन मैं उस ट्रेंड के बारे में बात करना चाहूंगा जो काफी लंबे समय से जारी है और व्यवसायिक रूप से लाभ प्राप्त कर रहा है। पहले गीत ज्यादा मायने रखते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। यही वजह है कि कम्पोजर पुराने गीतों को उठाकर उसे नए इंस्ट्रूमेशन के साथ पेश कर रहे हैं। पुराने गीत ही क्यों? क्योंकि इनकी अपनी एक प्रतिष्ठा होती थी।

मेरे गानों का रीक्रिएशन नहीं प्लीज

हरिहरन ने आगे कहा,’पिछले कुछ सालों से जब गाने रिलीज होते हैं, तो इसमें श्रोताओं के साथ भावनात्मक जुड़ाव की बात नहीं की जाती है। इसे कितने हिट और क्लिक मिल रहे हैं अब यह ज्यादा जरूरी हो गया है। उनके किसी सॉन्ग के रीक्रिएशन के सवाल पर सिंगर ने कहा,’नहीं, प्लीज नहीं। मेरे गाने मेरे दिल के बहुत करीब है और यह मेरे प्रशंसकों के दिलों के भी बहुत करीब है, तो प्लीज नहीं।’
आजकल के songs में हिट की महामारी, भावनात्मक जुड़ाव नहीं: हरिहरन
किसी और से लिखवाते हैं गाने

जाने—माने गीतकार समीर वाजिब का कहना है कि मजरूह सुल्तानपुरी, हरसत जयपुरी और भी कई बड़े लोग आखिरी सांस तक लिखते रहे लेकिन आज जब मौका ही नहीं दिया जाएगा तो काम कैसे करेंगे? ये लोग मेरे कई गाने उठा कर रीक्रिएट कर रहे हैं, ‘अंखियों से गोली मारे’ या ‘दिलबर दिलबर’, दुर्भाग्य ये है कि अभी हम हैं, उसके बाद भी हमसे ना लिखवाकर हमारे ही गाने को किसी और से लिखवाया जा रहा है। जिस आदमी ने पूरा गाना लिखा तो क्या रीक्रिएट करते वक्त वो और नई चार लाइन नहीं लिख सकता क्या?
आजकल के songs में हिट की महामारी, भावनात्मक जुड़ाव नहीं: हरिहरन
रहमान भी जता चुके हैं नाराजगी

पिछले दिनों ए.आर. रहमान भी के उनके गाने ‘मसकली’ के रीक्रिएशन पर नाराजगी जता चुके हैं। उन्होंने कहा था कि ओरिजनल गाने को बनाने में बहुूत समय लगता है। बहुत सारे लोगों का योगदान होता है। उन्होंने फैंस से ओरिजनल ट्रैक सुनने की अपील की थी। ‘मसकली’ गाने के रीक्रिएशन पर सिंगर सोनू निगम ने भी नाराजगी जताई थी।
ऑरिजनल गाने ही इंडस्ट्री की पहचान

सिंगर मोनाली ठाकुर ने हाल ही गानों के रीक्रिएशन पर कहा था कि ऑरिजनल मेलोडी ही हमारे संगीत उद्योग को परिभाषित करेंगी न कि पिछले कुछ वर्षों में होने वाले रीमिक्स और रिक्रिएशन। जब एक कलाकार एक ऑरिजनल गीत बनाता है तो उसमें बहुत मेहनत की जाती है, क्योंकि वह प्रतिभा ही होती है जो गाने में नजर आती है।

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