27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अजब-गजब: उत्‍तर प्रदेश के इस शहर में भी है एक ताज महल

बुलंदशहर के रिटायर क्‍लर्क फैजुल हसन कादरी ने अपनी बेगम की याद में बनवाया प्‍यार का महल

3 min read
Google source verification
Bulandshahr

बुलंदशहर. यूं तो प्‍यार करने वालों की सदियों पुरानी कई कहानियां हैं, जो आज भी लाेगों के जेहन में ताजा हैं, लेकिन आज के इस दौर में ऐसे किस्‍से कम ही होते हैं। ऐसी ही एक कहानी है बुलंदशहर के रिटायर क्‍लर्क फैजुल हसन कादरी और उनकी बेगम तजुम्मली की। बता दें कि बेगम तजुम्मली का निधन हो चुका है, लेकिन 85 वर्षीय कादरी अब भी उनकी यादों में डूबे रहते हैं और इसी याद को ताजा रखने के लिए उन्‍होंने आगरा के ताजमहल की तर्ज पर बुलंदशहर के कसेर कलां गांव में एक शानदार प्‍यार का महल बनवाया है, जिसमें उन्‍होंने अपनी बेगम का मकबरा भी बनाया है। इसके लिए उन्‍होंने अपनी जिंदगीभर की पूरी गाढ़ी कमाई लगा दी है। हालांकि अभी ये नायाब इमारत अधूरी है, लेकिन इसके बावजूद भी इस प्रेम के प्रतीक को देखने के लिए लोगों का तांता लगा रहता है। लोग यहां वीकेंड पर अक्‍सर ताजमहल की तरह फोटोग्राफी के लिए पहुंचते हैं।

कादरी बताते हैं कि 2012 में उन्‍होंने अपने घर के पास स्थित खेत में ताजमहल बनवाने की शुरुआत की थी। उन्‍होंने इस इमारत के निर्माण में स्थानीय राजमिस्त्रियों से काम कराया। ताजमहल की तस्वीर से प्रेरणा लेकर कादरी ने अपनी पत्नी तजुम्मली बेगम के मकबरे को शक्ल दी तो लोग इसे ताजमहल कहने लगे, लेकिन दो वर्ष बाद यानी 2014 में उनकी जिंदगीभर की गाढ़ी कमाई यानी 23 लाख रूपये खत्‍म हो गए। उन्‍होंने बताया कि वैसे तो यह पूरी तरह तैयार है, लेकिन अभी संगमरमर पत्‍थर का कार्य होना शेष है। इसमें करीब 10 लाख रूपये का खर्चा आएगा, लेकिन वे इसे पूरा करके ही रहेंगे। कादरी के मुताबिक अभी उन्‍हें 10 हजार रूपये प्रति माह पेंशन मिलती है। जिसमें से वे अपने घरेलू खर्चे के अलावा पूरी राशि महल के लिए ही जोड़ रहे हैं। उन्‍होंने अब तक कुल 74 हजार रूपये की राशि जुटा ली है। वे कहते हैं कि एक न एक दिन वे पूरी राशि जुटा लेंगे और अपने सपने को जरूर पूरा करेंगे।

यहां बता दें कि यह महल ताजनगरी आगरा से मात्र 130 किलोमीटर दूर बुलंदशहर के कसेर कलां गांव में स्थित है। इस महल की चर्चाऐं देश-प्रदेश से लेकर सात समंदर पार तक है। यहां भी ताजमहल की तरह विदेशी सैलानी और पत्रकार आते रहते हैं। इधर सैलानियों के आने से इस महल के दीदार को सहेजने के लिए यहां फोटोग्राफर्स की डिमांड भी बढ़ी है। इलाके में फोटोग्राफी करने वाले बिट्टू ठाकुर बीते चार-पांच महीने से यहां सैलानियों के फोटो खींच रहे हैं। बिट्टू बताते हैं कि लोग उनकी दुकान तक पहुंच जाते हैं। कोई इस महल के साथ खड़े होकर फोटो खिंचाता है तो कोई ताज की तरह गुम्मद छूते हुए फोटो की डिमांड करता है। उन्‍होंने कहा कि सरकार अगर इस ताजमहल को पूरा कराती है तो यहां रोटी-रोजगार के बेहतरीन विकल्प मौजूद होंगे।

450 गजलें लिख चुके हैं फैजुल

उर्दू, हिंदी और फारसी के जानकार फैजुल हसन कादरी अपनी बेगम के लिए अब तक 450 से ज्यादा गजलें लिख चुके हैं। अब वह इन गजलों का प्रकाशन ऊर्दू और फारसी के अलावा हिंदी में भी कराना चाहते हैं। पेश है उनकी गजल की कुछ पंक्ति-

"न ये शीशमहल है न कोई ताजमहल
है यादगार-ए-मुहब्बत.. ये प्यार का है महल
यहां पर चैन से सोया है दिलनशीं मेरा
उड़ाके लायी है गुलशन से मेरा फूल अजर..."

यह भी पढ़ें- बाल सुधारगृह में सुबह उठते ही बच्चों की डंडों से करता था पिटाई, सरकार ने किया सस्पैंड

यह भी पढ़ें- गोहत्या के आरोप में पुलिस ने दो नाबालिग लड़कियों को भेजा जेल, कई क्विंटल मीट भी बरामद

यह भी पढ़ें- अब महिला और बच्चों के साथ सड़क पर उतरकर अपना दर्द बयां कर रहे बायर्स