script800 साल पुरानी परंपरा चढ़ी परवान, दड़ा महोत्सव को देखने उमड़ पड़ा जन सैलाब | 800 Years Old Tradition Flourished, Villagers Crowd Gathered To See Sankrati Dada Mahotsav 2025 | Patrika News
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800 साल पुरानी परंपरा चढ़ी परवान, दड़ा महोत्सव को देखने उमड़ पड़ा जन सैलाब

Makar Sankranti Dada Mahotsav 2025: दड़े में खेल के दौरान धक्का मुक्की , खींच तान और तू तू मैं मैं चलती रही। दर्शकों से अटी पड़ी छतों से महिलाएं एवं युवतियां खिलाड़ियों पर फूल बरसाती हुई फब्तियां कसती रही। कुछ

बूंदीJan 15, 2025 / 09:52 am

Akshita Deora

Bundi News: बूंदी बरुन्धन के क़स्बे में मकर संक्रांति पर पतंगबाजी को छोड़ रियासत काल से चले आ रहे ऐतिहासिक खेल दड़ा महोत्सव को देखने मंगलवार को जन सैलाब उमड़ पड़ा। खेल ऐसा की इसमें न तो कोई एम्पायर होता है ना ही बल्ला।
परंपरा के अनुसार हाड़ा वंश के श्याम सिंह हाड़ा खेल प्रेमियों के साथ दड़े को लेकर मुख्य बाजार स्थित लक्ष्मीनाथ मन्दिर के सामने खेल स्थल पर पहुंचे। अपने परिवार सदस्यों के साथ श्याम सिंह हाड़ा ने दड़े की विधिवत पूजा अर्चना की। उसके बाद दड़े को बीच बाजार में रखकर खेल की शुरुआत की। जैसे ही दड़े को मैदान में खेल के लिए उतारा , युवाओं ने जोश दिखाते हुए हुंकार भरी। कुछ ही देर में हरिओम राव व भेरूलाल राव के ढोल की थाप पर खिलाड़ियों का जोश बढ़ता गया। खिलाड़ी बड़े जुनून के साथ दड़े को धकेलते हुए कभी गणेश मंदिर तो कभी लक्ष्मीनाथ मन्दिर की ओर ले जाते रहे।
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दड़े में खेल के दौरान धक्का मुक्की , खींच तान और तू तू मैं मैं चलती रही। दर्शकों से अटी पड़ी छतों से महिलाएं एवं युवतियां खिलाड़ियों पर फूल बरसाती हुई फब्तियां कसती रही। कुछ खिलाड़ियों को मामूली खरोंचे आने पर भी कोई परवाह किए बगैर बड़े उत्साह से खेल को खेल की भावना से खेलते रहे। इस दौरान युवाओं में खेल के प्रति जोश देखकर पुराने बुजुर्ग खिलाड़ी भी अपनी मूछों पर ताव देते नजर आए। करीब डेढ़ घंटे चले दड़ा महोत्सव की समापन की घोषणा करते हुए दड़ा को राजपूत निवास ले जाया गया। इस दौरान तालेड़ा, सीतापुरा, नावघाट का टापरा, धनातरी, अधेड़, गुमानपुरा, नमाना, भरता बावड़ी, लक्ष्मीपुरा, डोरा, गादेगाल, सांवलपुरा, भवरिया कुआं सहित अनेक गावों से लोग दड़ा महोत्सव में पहुंचे।
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एकता, सद्भावना का प्रतीक

कस्बे में आयोजित होने वाला दड़ा महोत्सव हर वर्ग के खिलाड़ी बड़े जुनून से इस खेल को खेलते हैं। खेलने के दौरान अनेक खिलाड़ी नीचे गिर जाते हैं,लेकिन तुरंत मदद करते हुए उठा देते है। यह खेल एक दूसरे में आपसी भाईचारा, विश्वास, प्रेम, सद्भाव का विकास करता हैं।

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