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लोकल रूट पर थमे बसों के चक्के, बे-बस हुए ग्रामीण… जिम्मेदार मौन,

locationबूंदीPublished: Apr 15, 2018 01:41:10 pm

Submitted by:

Suraksha Rajora

यात्रियों की जेब हो रही ढीली

Bundi Buses running on the local route of the premises closed
बूंदी. आगार की लोकल रूट पर चलने वाली बसें बंद कर दी गई है। ऐसे में यात्रियों को अपनी जेब जहां अधिक ढीली करनी पड़ रही है, वहीं परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है। करीब 5 महीनों से आ रही परेशानी के बारे में रोडवेज स्टाफ की कमी, इनकम और बस कम होने की दलील देकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
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रोडवेज के सूत्रों के अनुसार बूंदी डिपो की तीनों बसें कंडम हो चुकी हैं, साथ ही स्टॉफ की भी कमी है। जिसके चलते आधी गाडिय़ां चल नहीं पा रही। जबकि यह रूट पहले से आवंटित है। बावजूद इसके बंद कर दिया गया। बूंदी देवली, नैनवां इन्द्रगढ़, वाया इंटूदा-जहाजपुर चल रही तीनों लोकल बसों में एक भी नहीं चल रही है।
इन रूटों पर आ रही परेशानी

सबसे ज्यादा परेशानी बड़ानयागांव के रूट पर बनी हुई है। महिला यात्री का किराया करीब 44 रुपए है, लेकिन इस रूट पर बस नहीं चलने से निजी वाहनों से बूंदी से बड़ानयागांव तक जाने में 80 से 90 रुपए अधिक खर्च करने पड़ रहे हैं।

लोकल रूट पर बसें बंद होने से करीब 25 ग्रामीण क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं। इनमें चतरगंज, तालाबगांव, सथूर, ठीकड़-बासनी, देवा का खेड़ा सहित ग्रामीण रूट पर यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन रूट पर बसें नहीं मिलने से लोग टैक्सियों में लटककर सफर कर रहे हैं।
जोखिम में डाल रहे जान

स्कूल-कॉलेजों और दफ्तरों में जाने वाले लोगों को सुबह के समय व वापसी पर कोई बस से नहीं मिलने के कारण यात्रियों को मजबूरन ठूंस-ठूंसकर भरे ऑटो रिक्शा में जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ रहा है। लोगों ने बताया कि इन लोकल बसों के नहीं चलने से यहां पर जीप सहित अन्य वाहन जो नियमों का पालन नहीं करते यही नहीं, कई वाहन अवैध रूप से सवारियों को भी ढोते हुए नजर आ रहे हैं।जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना का खतरा बना हुआ है।
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कई बार अधिकारियों को बस सर्विस बढ़ाने की मांग की गई, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। बसों के रूट बंद होने से क्षेत्र के लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बसें बंद होने के कारण सबसे ज्यादा गरीब जनता को परेशानी उठानी पड़ रही है।
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महिला यात्री कोटा निवासी मनभर सेन ने बताया कि उसे बड़ानयागांव जाना था। कोटा से बैठी महिला यात्री को बाद में पता चला कि बड़ानयागांव तक कोई बस नहीं चलती। बूंदी उतरने के बाद उसने बायपास से पहले ऑटो का सहारा लिया फिर टैक्सी से बड़ानयागांव पहुंची। तेज गर्मी में परेशानी भरे सफर के बाद उसे किराया भी तिगुना देना पड़ा।
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यह समस्या मनभर की नहीं बल्कि सैकड़ों यात्रियों की है जिन्होंने अपने गंतव्य तक रोडवेज बसों की सुविधा नहीं मिल रही है। रोडवेज कर्मचारियों का कहना है कि कोटा-बूंदी की 4 गाडिय़ां चलती है जिसे देवली तक जोड़ा जाए तो लोगों को सहुलियत होगी।
रिक्त पदों ने बढ़ाई मुसीबत

ड्यूटी ऑफिसर दुर्गालाल नागर,ने बताया की बूंदी डिपो में 134 कंडक्टर, 122 ड्राइवर हैं। जबकि 40 कंडक्टर और 26 ड्राइवर की पोस्ट खाली है। यात्री भार कम है और इनकम नहीं मिल रही। मुख्यालय के आदेश के बाद से ही लोकल रूट पर बसों को बंद कर दिया गया है।

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