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Gangaur Festival: इजरायल तक पहुंची बूंदी गणगौर की गूंज…गणगौर मनाने दौड़ी आई लिखेल…

गौरी मेम ने देसी ठाठ में पूजी गणगौर, कई परम्पराओं को समेटे इस पर्व की उत्सुकता सात संमदर पार भी देखने को मिलती है।

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Bundi Gangaur echoed to Israel.festival celebrated traditional heritag

बूंदी. अंचल का प्रसिद्घ लोकपर्व गणगौर लोक परम्पराओं हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजे हुए यह उत्सव उत्साह से लबरेज है। कई परम्पराओं को समेटे इस पर्व की उत्सुकता सात संमदर पार भी देखने को मिलती है। यही वजह है कि पर्यटन नगरी बूंदी में आने वाले विदेशी सैलानी इस पर्व से खूद को जोड़ ही लेते है।

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इजरायल की लिखेन में भी यही उत्साह देखने को मिला। गणगौर पर्व पर अल सुबह ही उठने के बाद हॉटल संचालक से पहले पर्व से जुड़ी परम्पराएं जानी और परम्परागत वेशभूषा में तैयार होकर महिलाओं के साथ सामुहिक रूप से सम्मिलित होकर ईसर गणगौर की पूजा की। लिखेन इस बीच सभी महिलाओं के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी। लोक संस्कृति की बिखरती छटा में घुले गणगौर के गीतो पर जमकर ठुमके भी लगाए।

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शहरभर में मंगलवार को गणगौर पर्व की धूम रही। महिलाओं व युवतियों ने गणगौर का पूजन कर सुख समृद्धि की कामना की। बालिकाआें ने भी योग्य वर की चाह में व्रत किया। पूजा अर्चना कर खीर पूड़ी व अन्य पकवानों के साथ गुणे पापंड़ी का भोग लगाया।

गीतों में झलकी संस्कृति, सौलह श्रृंगार प्रतियोगिता में उत्साह-

गौर गौर गोमती ईसर पूजे पार्वती..रानी पूजे राज ने मै म्हाके स्वांग ने...तू कुण की बेटी छै...ईसर जी तो पैचो बांधे गौर बाई पेच संवारे...भंवर मान पूजन दो गणगौर, सरीखे गीतो में लोक संस्कृति की झलक दिखाई दी। मोका था रॉयल राजपूत क्लब की ओर से गणगौर उत्सव का। केसरी सिंह नगर में आयोजित गणगौर उत्सव शाही अंदाज में मनाया गया।

16 अंक का रहा महत्व-

गणगौर पूजा में 16 अंक का विशेष महत्व है। पूजा के अंतिम दिन भी गणगौर को आटे से बने 16 मीठे मोदक चढ़ाते है इसके साथ ही सुहाग पिटारी, पकवान, चुडिय़ा, चुनरी, मठरी सहित सभी पकवान उपहार और पूजा की सामग्री 16-16 की संख्या में अर्पित कर सुहागिनों और युवतियों ने गणगौर का आशीष लेते है।