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हाड़ौती का पहला मामला- न्यायालय में झूठी गवाही देने वाले के खिलाफ न्यायाधीश ने पेश किया परिवाद…

न्यायाधीश द्वारा झूठी गवाही देने वाले के खिलाफ न्यायालय में परिवाद देने का हाड़ौती का यह पहला मामला है।

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judge presented false testimony against the person who gave false

बूंदी. न्यायालय में झूठी गवाही व मिथ्या साक्ष्य देने के मामले में शुक्रवार को मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के न्यायाधीश अजीत कुमार हिंगड ने मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट बूंदी में परिवाद पेश किया। उन्होंने पूर्व के साक्ष्य के विरुद्ध मिथ्या साक्ष्य देने के आरोप में भारतीय दंड संहिता १९३ के आरोप में परिवाद पेश किया है। जिसे न्यायालय ने विचरण के लिए स्वीकार किया है।न्यायाधीश द्वारा झूठी गवाही देने वाले के खिलाफ न्यायालय में परिवाद देने का हाड़ौती का यह पहला मामला है। जिसमें खुद न्यायाधीश ने इसे गंभीरता से लेकर गवाह के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रयास किया है।

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लोक अभियोजक भूपेंद्र सहाय सक्सेना ने बताया कि मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण न्यायालय में पूर्व में क्षतिपूर्ति प्राप्ति के लिए तीन प्रकरण पेश हुए थे। इन तीनों प्रकरणों में लिखा था कि ट्रैक्टर चालक के द्वारा उतावलेपन से ट्रैक्टर चलाकर मोटरसाइकिल को टक्कर मारी थी। दुर्घटना में पप्पूलाल की मौत हो गई थी। वहीं कालूलाल व नृसिंह गंभीर घायल थे। इस प्रकरण में गवाह देई निवासी श्योजीलाल न्यायालय के समक्ष पेश हुआ। जिसमें उसने शपथ पत्र पर अंकित किया कि वह मोटरसाइकिल पर जा रहा था। उसके सामने ट्रैक्टर ने टक्कर मारी। उसने ट्रैक्टर नम्बर बताए व चालक का नाम सोहनलाल मीणा बताया था।

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इसके विपरीत इसी प्रकरण में गवाह श्योजीलाल न्यायिक मजिस्ट्रेट नैनवां के समक्ष आपराधिक प्रकरण में गवाह के रूप में पेश हुआ। जहां उसने शपथ पत्र में कहा कि उसने ट्रैक्टर चालक को नहीं देखा था। ट्रैक्टर वहां से चला गया था। ट्रैक्टर के नम्बर भी नहीं देखे। ऐसे में नैनवां न्यायालय ने गवाह को पक्षद्रोही घोषित किया था। ऐसे में न्यायाधीश द्वारा दिए गए परिवाद में बताया कि गवाह श्योजी लाल ने बंूदी मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण व नैनवां न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष अलग-अलग बयान दिए। जो विपरीत प्रकृति के हैं, और वह झूठ बोल रहा है।

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न्यायालय में मिथ्या साक्ष्य देने के आधार पर आरोपी के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई में मिथ्या साक्ष्य देने की आपराधिक कार्रवाई के लिए परिवाद पेश किया गया है।
तो सोच समझकर बोलेंगे न्यायालयों में कई मामलों में गवाह अपने बयानों को बदल लेता है। गवाहों के बयान बदलने से सही न्याय का निर्णय होने में परेशानी आती है। वहीं पीडि़त को नुकसान पहुंचने की संभावना होती है।

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ऐसे में गवाह बयान बदलकर चला जाता है, लेकिन उसके खिलाफ कानून होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करता। ऐसे में न्यायालय में झूठ बोलने वालों की जबान पर अंकुश लगना जरूरी है। जिले में खुद न्यायाधीश ने झूठी गवाही देने वाले के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत की है। ऐसे में अब न्यायालय में झूठ बोलने वालों को सोच समझकर बोलना होगा।