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सरकारी तंत्र की लापरवाही, लाखों का बजट हो गया लैप्स…यहां आगंनबाडी केन्द्रो के ऐसे हालात…

जिले के आगंनबाड़ी केन्द्रो में विकास को रफ्तार देने लिए मिला सात लाख से अधिक का बजट सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण लैप्स हो गया

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बूंदी. जिले के आगंनबाड़ी केन्द्रो में विकास को रफ्तार देने लिए मिला सात लाख से अधिक का बजट सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण लैप्स हो गया। दरअसल यह इसी वित्तीय वर्ष 2017-18 का मामला है। लोच शील कोष की राशि के लिए आया बजट था जो सीडीपीओं की लारवाही के चलते लैप्स हो गया।

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यह बजट आंगनबाड़ी केन्द्रो की जरूरत व स्टेशनर सहित कई जरूरी सामग्री व केन्द्र के विकास को लेकर था। जिले के प्रति आंगनबाड़ी केन्द्र को एक हजार सालाना मिलता है। इसके लिए के. पाटन के 245 व तालेड़ा क्षेत्र के 333आगंनबाड़ी केन्द्रों के लिए शामिल 705000 बजट था जिसमें से आगंनबाड़ी लोचशील कोष की करीब 339000 रूपए काम में नही लिए गए।

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जिले में करीब 1206 आगंनबाड़ी केन्द्र है जिससे आधे ज्यादा भवन किराए सें संचालित है। केन्द्रों की जरूररत को लेकर प्रति सालाना एक हजार रूपए का बजट आता है, लेकिन विभाग की अनदेखी कहें या कंजूसी लाखों का बजट विकास में खर्च न होकर लैप्स हो गया।

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