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सफाई की जग हंसाई… ये दीवारें बोलती तो क्या कहती…

सरकार के दफ्तर में ही सफाई की जग हंसाई हो रही है।

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paan gutakon kee peekon se laal government offices

बूंदी- बेजान दीवारें बोल नही सकती मगर इन पर थुकने वाले तो समझदार लोग है। अस्पताल हो या बस स्टेंड, नगर पालिका हो या परिषद, हर जगह सरकारी दीवारें पान- गुटकों की पीको की पेटिंग बन गई। सरकार के दफ्तर में ही सफाई की जग हंसाई हो रही है। कहीं कार्यलयों में पीकदान रखें है, तो कहीं नही लेकिन लोगो का क्या मुंह में गुटका दबाया और कहीं भी थूक दिया।

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पान गुटकों की पीकों से लाल सरकारी दफ्तरों के हर कोने नजर आते है, दीवारों पर स्पष्ट लिखा है दिवारों को गंदा न करें। लेकिन आमजन को इनसे कोई सरोकार नही उन्हें तो चलते राह थुकंने की आदत है, अब चाहे वो सडक़ हो या सरकारी कार्यालय का कोना। पत्रिका टीम ने जब सरकारी कार्यालयों का जायजा लिया तो हर एक दीवार का कोना पान-गुटका पीक की भेंट चढ़ा मिला। सबसे ज्यादा जिला अस्पताल के हाल खराब मिले इसे साथ ही जिला कलेक्ट्रेट के अंदर विभिन्न्र कार्यालयों में यहीं हाल नजर आए।


यह गंदगी बीमार न कर दें-

गंदगी और पीकदान में तब्दिल रोडवेज बस स्टेंड के हाल तो सबसे बूरे है। यहां यात्रियों के लिए बना प्रतिक्षालय गंदगी का अम्बार लगा है। अव्यवस्थाओं के चलते न सिर्फ यात्रियों बल्कि कर्मचारियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बूंदी बस डीपो के मुख्य द्वार से ही निकलना यात्रियों के लिए दुभर हो गया है, मुख्य गेट के कोने को लोगो ने खुले शौचालय में तब्दिल कर दिया ऐसे में यात्रियों को बदबु का सामना करना पड़ता है।

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प्रतिक्षालय का हाल तो ओर बूरा है दीवारें गुटका पान की पीको से रंगी है, अपने गन्तव्य की ओर जाने के लिए यात्री बस का इंतजार करते हुए यहां समय गुजारते है लेकिन उनका सामना पहले गंदगी से होता है। श्वान और मवेशियों का जमघट यहां आम बात है। उनके बीच ही यात्रियों की खाना खाने की मजबूरी है।