scriptजंगल की जद से आजाद नहीं हुआ बूंदी का आबादी क्षेत्र | Population area of Bundi not free from forest JD | Patrika News
बूंदी

जंगल की जद से आजाद नहीं हुआ बूंदी का आबादी क्षेत्र

202 बीघा जमीन का मामला, इस जमीन पर 800 से अधिक बने हुए हैं घर, खसरा संख्या २ का इंतकाल वन विभाग ने अपने नाम खोलने का किया आवेदन

बूंदीDec 02, 2017 / 01:13 pm

Suraksha Rajora

Population area of Bundi not free from forest JD

Population area of Bundi forest


बूंदी. जंगल की जद में आए बूंदी शहर के आबादी क्षेत्र की परेशानी फिर से बढ़ गई है। वन विभाग ने शहर के खसरा संख्या २ (२०२ बीघा) की जमीन का इंतकाल उनके नाम खोलने का आवेदन यहां तहसील कार्यालय में प्रस्तुत कर दिया है। जबकि इस खसरे पर करीब आठ सौ से अधिक घर बने हुए हैं। अब वन विभाग के इस इंतकाल खोलने के दावे के बाद नगर परिषद ने भी हाथ खींच लिए। खसरा संख्या २ पर बसे लोगों के पट्टे, रजिस्ट्री, खरीद-फरोख्त एवं विकास कार्यों आदि पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। हालांकि पूरे मामले की पड़ताल में जुटे अधिकारियों ने बताया कि इस खसरे को वर्ष १९७२ में जिला कलक्टर आबादी विस्तार के लिए आवंटित कर चुके हैं। जानकारी के अनुसार इस खसरे में सर्वाधिक हिस्सा नवजीवन संघ, रजतगृह कॉलोनी, संजय नगर, जनता कॉलोनी एवं श्योपुरिया की बावड़ी का बताया गया है।
Read More: बूंदी के गुड की मिठास अब दूर-दूर तक फैल रही, खेतो में फैलने लगी गुड की महक-


शुरू हुआ सर्वे
वन भूमि से आबादी को बाहर निकालने की प्रक्रिया यहां जिला प्रशासन ने शुरू कर दी बताई। नगर परिषद के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि डि-नोटिफाई कराए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
यह भी पढ़ें

अनूठी शादी अब सूना नही रहेगा बाबुल का आगंन, ससुराल जाने से पहले बेटी लगा गई पौधे


टीम गठित
इसके लिए टीम गठित की गई, जिसमें बूंदी उपखंड अधिकारी, नगर परिषद आयुक्त, सहायक वन संरक्षक, नायब तहसीलदार, पटवारी, कानूनगो, क्षेत्रीय वन अधिकारी एवं वन विभाग के सर्वेयर को शामिल किया गया है।
यह भी पढ़ें

बरसों से सूखे बरड़ में बहेगी गंगा, ९ ग्राम पंचायतों ५९ गांवो की बदलेगी तस्वीर


यूं बढ़ी परेशानी
जानकार सूत्रों ने बताया कि शहर के नैनवां रोड से जैतपुर तक, जयपुर रोड से फूलसागर मोड़ तक, रीको औद्योगिक क्षेत्र, रजतगृह कॉलोनी, नवजीवन संघ कॉलोनी, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई), बहादुर सिंह सर्किल, बायपास, बालचंद पाड़ा (परकोटे का भीतरी हिस्सा) अभयारण्य की सीमा में बताए गए थे। इसे बाहर निकालने के लिए बूंदी ने लंबा संघर्ष किया। इसी वर्ष आबादी क्षेत्र को रामगढ़ से मुक्ति का नोटिफिकेशन जारी हुआ। इस नोटिफिकेशन में खसरा संख्या २ को वन भूमि दर्शा दिया। इसी को आधार बनाकर वन विभाग ने इस जमीन का इंतकाल उनके नाम खोलने का आवेदन प्रस्तुत किया बताया।
यह भी पढ़ें

मिठास घोलने को तैयार बूंदी का अमरूद, राजस्थान की हर जुबां पर बढ़ चढ़ कर बोलता है इसका स्वाद-


प्रत्यावर्तन के लिए सौंप चुके जमीन
बूंदी की 357.81 हैक्टेयर भूमि अभयारण्य की जद में थी। इसके प्रत्यावर्तन के लिए राजस्थान वन्यजीव बोर्ड को मई 2013 में प्रस्ताव भेजे गए थे। आबादी क्षेत्र को बाहर निकालने के लिए जवाहर सागर अभयारण्य से लगी धनेश्वर की भूमि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को देने के लिए मंजूरी दी थी। मुकुंदरा हिल्स प्रशासन ने जमीन लेने के लिए स्वीकृति दी। बाद में जमीन कम होने पर अन्यत्र भी जमीन संभलाई गई।
यह भी पढ़ें

बाल सुरक्षा की खुली पोल, इंतजाम की बात तो दूर पुलिस जवानों ने आयोग की टीम से सीधे मुहं तक नही की बात-


विकास अटकाने की मंशा तो नहीं
डायवर्जन के प्रस्तावों और राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की शर्तों को पूरा करने के बाद सुप्रीम कोर्ट की एम्पावर्ड कमेटी ने आबादी को अभयारण्य सीमा से मुक्त करने पर मुहर लगाई थी। तब बूंदी शहर का 357.81हैक्टेयर हिस्सा अभयारण्य की सीमा में होने से यहां के कई विकास कार्य अटके हुए थे। इसके बाद नोटिफिकेशन जारी हुआ और वनविभाग ने अपनी सीमा में चारदीवारी करने का काम भी शुरू कर दिया। ऐसे में अचानक फिर से इसे वन भूमि में बताए जाने के कायदों को जानकार लोगों ने सिर्फ बूंदी के विकास को अटकाए जाने की मंशा बताया है।
Read More: सर्द रातों में होने वाली आपराधिक वारदातों से ऐसे निपटेगी पुलिस

विधायक अशोक डोगरा का कहा कि रामगढ़ विषधारी अभयारण्य से आबादी को निकालने की अधिसूचना जारी हो गई। अब बताया जा रहा है कि इसे वन भूमि दर्शा दिया गया। जबकि खसरा संख्या २ को जिला कलक्टर वर्ष १९७२ में ही आबादी विस्तार के लिए आवंटित कर चुके। वन विभाग पूरे मामले को फिर से उलझाना चाह रहा है। इसे लेकर जिला कलक्टर से चर्चा की है। जल्द कोई रास्ता निकालेंगे। नगर परिषद, आयुक्त दीपक नागर ने बताया कि वन विभाग की आपत्ति के बाद दुबारा डि-नोटिफाई के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी। सर्वे कर रहे हैं। पूरे मामले का निस्तारण होने के बाद ही पट्टे जारी हो सकेंगे। विकास कार्यों पर भी फिलहाल रोक ही रहेगी। एसीएफ विजय पाल सिंह पूरे मामले से उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया। वन क्षेत्र से मुक्त होने तक सब काम अवैध ही माने जाएंगे।


Home / Bundi / जंगल की जद से आजाद नहीं हुआ बूंदी का आबादी क्षेत्र

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो