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टाइगर रिजर्व में बढ़ा प्रे बेस, नजर आने लगी राज्य पशु चिंकारा की चौकड़ियां

रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन भीमलत व कालदां वन क्षेत्र में राज्य पशु चिंकारा सहित सभी वन्यजीवों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है।

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बूंदी

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pankaj joshi

Sep 10, 2025

टाइगर रिजर्व में बढ़ा प्रे बेस, नजर आने लगी राज्य पशु चिंकारा की चौकड़ियां

गुढ़ानाथावतान क्षेत्र में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के कालदां जंगल में विचरण करते राज्य पशु चिंकारा।

बूंदी. गुढ़ानाथावतान. रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन भीमलत व कालदां वन क्षेत्र में राज्य पशु चिंकारा सहित सभी वन्यजीवों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है। वन विभाग ने कालदां की तलहटी में शाकाहारी वन्यजीवों के लिए बिशनपुरा के निकट तीन सौ बीघा वनभूमि पर विलायती बबूल हटाकर सिल्वी पॉश्चर घास का मैदान बनाना शुरू कर दिया है।

इसी प्रकार भीमलत व बांका-भोपातपुरा वन क्षेत्र में भी घास के मैदान विकसित करने का काम चल रहा है। भीमलत क्षेत्र की बाणगंगा नदी के उद्गम स्थल का प्राकृतिक सौंदर्य काफी समृद्ध व लोगों को आकर्षित करने वाला है। अब यहां पर चिंकारा हरिणों की उपस्थिति से जंगल का रोमांच बढ़ गया है। यहां वन विभाग ने लव-कुश वाटिका के साथ इस क्षेत्र को भी विकसित करने का काम शुरू कर दिया है।

यहां बहने वाली बाणगंगा नदी के उद्गम स्थल तक रास्ता बनाने का काम पूरा हो चुका है तथा शीघ्र ही यहां पर्यटकों की पहुंच आसान बनाने की योजना है। जिले में तीन जगहों पर सफारी शुरू करने की स्वीकॄति मिली थी, जिनमें यह क्षेत्र भी शामिल है। भीमलत नाले के दोनों किनारों पर रास्ते बनाने का काम पूरा हो गया हें। यह प्राकृतिक पर्यटक स्थल टाइगर रिजर्व की भोपतपुरा रेंज में आता है। यहां चिंकारा के अलावा भालू, पेंथर, भेड़िया, नीलगाय, गिद्ध सहित वन्यजीवों व पक्षियों की कई प्रजातियां मौजूद है।

बनेंगे वन्यजीवों के नए ठिकाने
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बूंदी-चित्तौड़ मार्ग स्थित दक्षिण-पश्चिमी छोर पर बहुत बड़ा उपरमाल का पठार है, जो मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से रामगढ़ को जोड़ता है। यह घास का मैदान व झाड़ीदार क्षेत्र बूंदी व चित्तौड़ के मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा काफी ऊंचा उठा हुआ होने से इसे उपरमाल के पठार के नाम से जाना जाता है, जो दक्षिणपूर्वी पठार का हिस्सा है। भीलवाड़ा व बूंदी जिले का यह क्षेत्र टाइगर रिजर्व के कोर प्रशासन के नियंत्रण में आता है और वर्तमान में यहां रास्ते बनाकर सुरक्षा बढ़ाने से वन्यजीवों की गतिविधियां दिन में ही देखी जा सकती है।

विभाग जल्दी ही यहां जंगल सफारी भी शुरू करने जा रहा है। वन क्षेत्र में कालदां, मूंदेड़, भालाकुई व बाणगंगा के जंगलों में मानवीय गतिविधियां बहुत कम है जहां चिंकारा व अन्य वन्यजीवों की संया लगातार बढ़ रही है। टाइगर रिजर्व के इस बफर क्षेत्र में बहने वाली बाणगंगा व मांगली बारहमासी नदियां हैं इसी प्रकार इस इलाके में गरड़दा, मंडोल, भीमलत व अभयपुरा बांध चिंकारा हरिणों के लिए अच्छे आश्रयस्थल सिद्ध हो रहे है। इस क्षेत्र में जिले से लुप्तप्राय: भेड़ियों का दिखाई देना अच्छा संकेत इसके अलावा यहां गीदड़, जंगली सूअर, सेही, रोझ अदि भी अच्छी तादात में मौजूद है।