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Monsoon 2025: अतिवृष्टि लील गई 57% खरीफ की फसलें, खेत बन गए तालाब, किसान परेशान

Rajasthan News: नैनवां में हुई अतिवृष्टि से उड़द, सोयाबीन और अन्य खरीफ फसलें पूरी तरह गल गई हैं। खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है, जिससे फसलें इतनी सड़ गई हैं कि उनका चारा के रूप में भी उपयोग नहीं हो सकता।

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फोटो: पत्रिका

Bundi Weather Update: बूंदी के हिण्डोली उपखंड क्षेत्र में हुई जोरदार बारिश के चलते खरीफ की फसल में काफी तादाद में फसल खराब हुई है।जिस पर राज्य सरकार द्वारा दिए सर्वे के निर्देश पर राजस्व विभाग ने खरीफ की फसल का अनुमानित नुकसान 57 फीसदी माना है। फाइनल सर्वे की रिपोर्ट जल्द आने वाली है।

जानकारी के अनुसार इस बार जून माह में ही बारिश का दौर शुरू हो गया। जुलाई, अगस्त, सितंबर के प्रथम सप्ताह तक भी जारी है। यहां पर भी रिकॉर्ड बारिश से जनजीवन प्रभावित रहा। किसानों द्वारा खेतों में बोई गई खरीफ की फसल उड़द, सोयाबीन, धान, मक्का, ज्वार , एवं सब्जियों काफी मात्रा में खराब हो गई है। खेतों में अब तक की पानी भरा हुआ है। जिस फसलें सभी नष्ट होने के कगार पर है। गत दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा सभी जिला कलेक्टरों को खरीफ की फसल का खराबे का सर्वे के निर्देश दिए थे। जिस पर अधिकारियों ने प्रथम स्तर पर अनुमानित फसल खराबा 57 फीसदी बताया है।

तेजी से हो रहा हैं सर्वे

राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि खरीफ की फसल अतिवृष्टि से खराब हुई जिसका सर्वे हुई पटवारी, कृषि पर्यवेक्षक दिन भर खेतों पर रहकर सर्वे कर रहे हैं। जिनकी फाइनल रिपोर्ट शीघ्र ही आने वाली है। उसके बाद फाइनल रिपोर्ट पर नुकसान और अधिक हुआ है, उसकी सूचना राज्य सरकार को भिजवाई जाएगी।

उड़द व सोयाबीन में सर्वाधिक खराबा

राजस्व विभाग व कृषि विभाग की अधिकारियों की माने तो सर्वाधिक खराबा उड़द व सोयाबीन फसलों में हुआ। इसके अलावा मक्का, ज्वार, सब्जियों सहित फसलों में भी व्यापक नुकसान हुआ है। इस बार रिकॉर्ड बारिश दर्ज चुकी है। अतिवृष्टि से फसलों में व्यापक नुकसान हुआ है। जिन किसानों की फसल 33 फीसदी से अधिक खराब हुई हैं। उन सभी किसानों को राज्य सरकार मुआवजा देगी। जिनके मकान गिरे हैं, पशुओं की मौत हो गई है।

उनको भी राज्य सरकार आर्थिक मदद देगी। जो किसान सर्वे से वंचित रहे हैं वो आवेदन के साथ नाम जुड़वाएं। पीड़ित किसानों को राहत मिल सकेगी।

प्रभुलाल सैनी, पूर्व कृषि मंत्री।

राज्य सरकार से मिले निर्देश पर खेतों में सर्वे किया जा रहा है।बैठक में अनुमानित नुकसान 57 फीसदी से अधिक माना है ।।इसके अलावा कृषि पर्यवेक्षक, पटवारी खेतों पर जाकर सर्वे कर रहे हैं। उनकी फाइनल रिपोर्ट आने पर वास्तविक सर्वे राज्य सरकार को भिजवाया जाएगा।आपदा से अन्य नुकसान हुआ है ,उन किसानों को राहत मिलेगी।

रतनलाल मीणा, तहसीलदार हिण्डोली

नैनवां में उड़द और सोयाबीन की भारी क्षति, खेतों में पानी

नैनवां में हुई अतिवृष्टि से उड़द, सोयाबीन और अन्य खरीफ फसलें पूरी तरह गल गई हैं। खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है, जिससे फसलें इतनी सड़ गई हैं कि उनका चारा के रूप में भी उपयोग नहीं हो सकता।

उपखंड नैनवां असिंचित क्षेत्र होने के कारण अधिकतर किसानों ने उड़द और सोयाबीन की बुवाई की थी। इस वर्ष उपखंड में 69,550 हेक्टर में खरीफ की बुवाई हुई, जिसमें 29,214 हेक्टर में उड़द और 27,950 हेक्टर में सोयाबीन की बुवाई शामिल थी। बुवाई के बाद डीएपी और यूरिया खाद भी डाली गई थी, लेकिन अतिवृष्टि ने फसलें बर्बाद कर दी।

समीधी के किसान आशाराम मीणा, भोमपुरा के रामावतार गुर्जर, दलेलपुरा के शोजीलाल मीणा और बबूली के रामप्रकाश नागर ने बताया कि अत्यधिक बरसात के कारण खेत कई दिनों तक पानी में डूबे रहे। खानपुरा, दुगारी, भजनेरी, फुलेता, रजलावता, मोडसा, डोकुन, गुढ़ादेवजी, डोडी, बांसी, समीधी और गभीरा ग्राम पंचायतों में कई दिनों तक खेतों में बाढ़ का पानी जमा रहा। बाढ़ के पानी के साथ उड़द और सोयाबीन के पौधे बह गए।

फुलेता के सरपंच आशाराम बैरवा, दुगारी के रामलाल खींची और बांसी के सत्यप्रकाश शर्मा ने बताया कि गांवों में शत-प्रतिशत फसल नष्ट हो गई। नैनवां के सहायक कृषि अधिकारी खुशराज नागर ने बताया कि उपखंड में कुल 69,550 हेक्टर में खरीफ की बुवाई हुई थी, जिसमें सबसे अधिक 57,164 हेक्टर में उड़द और सोयाबीन की बुवाई की गई। पूरे उपखंड में अतिवृष्टि से लगभग 75 प्रतिशत फसलें नष्ट हो चुकी हैं।

लगातार बरसात से खेतों में फसल नष्ट

नोताडा क्षेत्र में लगातार हुई बरसात व बाढ़ के हालातों से किसानों को मकानों के अलावा खेतों में भी नुकसान पहुंचा है। खेतों में सोयाबीन, उड़द, मक्का की फसलो की अधिक बरसात होने व खेतों में पानी भरा रहने की वजह से फसलें नष्ट हो चुकी है। वहीं नोताडा देवनारायण बाग के निकट खेतों में अभी भी बरसाती पानी भरा हुआ है। धान की फसल तक नजर नहीं आ रही है। रेबारपुरा निवासी शंकरलाल रैबारी ने बताया की लगातार हुई बरसात व मेज नदी, खेडीया खाळ में बाढ़ के हालातों के चलते उड़द, सोयाबीन व मक्का की फसलें नष्ट हो चुकी है। जिन खेतों में फसल नहीं डूबी उनमें भी ज्यादा बरसात के चलते फसलों की जड़ें गल गई जिसके चलते फलाव नहीं आ पाया।

लगातार बरसात के चलते क्षेत्र में धान, सोयाबीन, उड़द, मक्का, तिल्ली आदि फसलों में काफी नुकसान देखा गया है। जिसको लेकर खराबे की रिपोर्ट तैयार करके जिला कलक्टर को भेजी जा चुकी है।

लालचंद मीणा, वरिष्ठ कृषि पर्यवेक्षक देईखेड़ा

यह तालाब नहीं खेत है

बूंदी के हिण्डोली के अशोकनगर से बड़ा नयागांव के बीच 2 महीने से बारिश का पानी भरा हुआ है। यहां पर बड़ा नयागांव के तालाब और अन्य स्थान का बारिश का पानी बहकर खेतों में होता हुआ अशोक नगर से एक नाले से हाइवे क्रास होकर नाले से निकलता था।

करीब एक दशक से पानी की निकासी के लिए नाला बने नाले को रोक दिया गया है, जिससे पानी का निकासी नहीं होने से पानी खेतों में भरा रहता था। गत दिनों सांसद दामोदर अग्रवाल ने भी मौके पर पहुंचे, उन्होंने भी पानी की निकासी के लिए जिला परिषद के मुय कार्यकारी अधिकारी को निर्देश दिए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में यहां के किसान व ग्रामीण परेशान हैं।