
टाइगर रिजर्व में विचरण करते बाघ ( फाइल फोटो- पत्रिका)
Ramgarh Tiger Reserve:बूंदी। जिले में स्थित रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के चारों ओर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ईको-सेंसिटिव जोन (ESZ) घोषित करने के लिए ड्राफ्ट अधिसूचना जारी कर दी है। यह ड्राफ्ट आम सुझावों और आपत्तियों के लिए 60 दिनों तक खुला रहेगा, जिसमें प्रस्तावित क्षेत्र में आने वाले 184 गांवों के निवासी अपनी राय दर्ज कर सकते हैं।
रामगढ़ विषधारी को 22 मई 2022 को देश का 52वां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। इसमें दो मुख्य कोर क्षेत्र शामिल हैं। रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (कोर-1) और नेशनल चंबल सेंक्चुअरी का एक हिस्सा (कोर-2)। प्रस्तावित ESZ में रामगढ़ अभयारण्य के आसपास 89 गांव और चंबल सेंक्चुअरी के आसपास 95 गांव शामिल किए गए हैं।
मसौदे के अनुसार, रामगढ़ अभयारण्य की सीमा से एक किलोमीटर तक ईएसजेड फैला होगा, जबकि नेशनल चंबल सेंक्चुअरी की सीमा से यह क्षेत्र एक किलोमीटर से लेकर 14.79 किलोमीटर तक फैलेगा। टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट में बताया कि रामगढ़ क्षेत्र के ईको-सेंसिटिव जोन को ही टाइगर रिजर्व का बफर ज़ोन माना जाएगा। हालांकि जेटपुर और लुहारपुर की ओर कोई ईएसजेड प्रस्तावित नहीं किया गया है क्योंकि यह क्षेत्र रणथंभौर टाइगर रिजर्व की प्रस्तावित ईएसजेड सीमा से सटा हुआ है।
कुल मिलाकर 1,215.96 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को ईएसजेड घोषित किया जाना प्रस्तावित है, जिसमें रामगढ़ क्षेत्र के चारों ओर 930.47 वर्ग किमी और चंबल क्षेत्र के चारों ओर 285.49 वर्ग किमी शामिल हैं। इस क्षेत्र में संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कुछ गतिविधियों पर नियंत्रण रहेगा, जैसे कि टाइगर रिजर्व की सीमा से एक किलोमीटर के दायरे में होटल और रिसॉर्ट्स के नए निर्माण की अनुमति नहीं होगी।
अधिकारियों ने बताया कि यह टाइगर रिजर्व 1,501.89 वर्ग किमी में फैला हुआ है और कोटा से करीब 35 किमी दूर स्थित बूंदी शहर के नजदीक है। यह क्षेत्र रामगढ़ महल, विषधारी मंदिर और रामेश्वर महादेव मंदिर जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का घर है। यहां रणथंभौर से आने वाले बाघों की आबादी को स्थान मिलता है, जिससे यह प्रजनन के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र बनता है। साथ ही यह रणथंभौर और मुकुंदरा हिल टाइगर रिजर्व को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण वन्यजीव कॉरिडोर भी है।
रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के बीच से बहती मेज नदी इस क्षेत्र की जीवनरेखा मानी जाती है। साथ ही, मौसमी नालों के कारण पूरे वर्ष जल उपलब्ध रहता है। यहां अनेक प्रकार के सूक्ष्म और विविध आवास मौजूद हैं, जो इस क्षेत्र को वनस्पति और वन्यजीवों की दृष्टि से समृद्ध बनाते हैं।
Updated on:
06 Jun 2025 09:55 pm
Published on:
06 Jun 2025 09:50 pm
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