
बूंदी. मई में दो धर्म के प्रमुख त्यौहार इस बार एक साथ आ रहे हैं। 3 साल बाद हिंदुओं का अधिक मास आ रहा है तो मुस्लिमों का पवित्र रमजान माह 11 दिन पहले शुरू हो जाएगा। करीब 30 साल बाद ऐसा मौका आएगा कि रमजान फिर से इसी तिथि के आसपास शुरू होंगे।पूजा व इबादत के इस संयोग में दोनों धर्म के लोग एक साथ पर्व मनाएंगे। अधिक मास में मंदिरों-आश्रमों में लोग पूजा-पाठ, जप-अनुष्ठान और कथा-प्रवचन करेंगे तो रमजान में मस्जिदों में नमाज व इबादत के साथ दुआ का दौर चलेगा।
अधिक मास 16 मई से शुरू होकर 13 जून तक चलेगा।रमजान माह चांद दिखने पर 17 मई से शुरू होगा। इस बार रमजान में अकीदतमंदो को सब्र का इम्तिहान अधिक देना पड़ेगा। तेज गर्मी में नोतपा के बीच शुरू होगें रमजान में इस बार मौसम भी रोजेदारों के सब्र का इम्तिहान लेगा।
हर तीसरे वर्ष अधिकमास का संयोग-
पुरुषोत्तम मास में मांगलिक कार्यो पर ब्रेक रहेगा, लेकिन धार्मिक अनुष्ठान आदि कार्य किए जा सकेंगे। ज्येष्ठ वाला अधिकमास दस वर्ष बाद होगा, इससे पहले 2007में ज्येष्ठ में अधिकमास का योग ? बना था। 1 मई से 28 जून तक ज्येष्ठ मास रहेगा। ज्योतिष गणना के अनुसार सौर मास 12 और राशियां भी 12 होती है। जब दो पक्षों में संक्रान्ति नहीं होती तब अधिकमास होता है। अधिकमास शुक्ल पक्ष से प्रारम्भ होकर कृष्ण पक्ष में समाप्त होता है। हर तीसरे वर्ष अधिकमास का संयोग बनता है।
क्या और कब होता है अधिकमास
ज्योतिषाचार्य अमित जैन के अनुसार व्रत-पर्वोत्सव में चंद्र माह की गणना को आधार माना जाता है। चंद्रमास 354 दिनों का जबकि सौरमास 365 दिन का होता है। इस कारण हर साल 11 दिन का अंतर आता है, तो तीन वर्ष में एक माह से कुछ ज्यादा हो जाता है। 32 माह 16 दिन और चार घड़ी के अंतर से अधिकमास आता है। चंद्र और सौर मास के अंतर को पूरा करने के लिए धर्मशास्त्रों में अधिकमास की व्यवस्था की गई है।
रमजान महीना, 15 घंटे का होगा सबसे लंबा रोजा-
मुकद्दस माह रमजान के लिए कम समय शेष रह गया है। चांद नजर आने के बाद पहला रोजा 17 मई को हो सकता है। वर्ष 2017 में रमजान की शुरुआत 28 मई से हुई थी। रमजान महीने में तीस रोजे होते हैं। करीब 30 साल बाद ऐसा मौका आएगा कि रमजान फिर से इसी तिथि के आसपास शुरू होंगे।
उलेमा के मुताबिक गर्मियों में दिन बड़े होते हैं। ऐसे में रोजे का समय भी इस दौरान सबसे अधिक रहता है। इस साल रमजान माह का सबसे अधिक समय का रोजा 15 घंटे 02 मिनट का होगा। अलग-अलग जगहों के हिसाब से समय में कुछ बदलाव हो सकता है।
जानकारों के मुताबिक अभी शाबान का महीना चल रहा है। इसके खत्म होने के बाद रमजान माह शुरू होगा। चांद नजर आने के साथ ही तरावीह की नमाज शुरू हो जाएगी। अगले दिन रोजा रखा जाएगा।
गुनाहों से बचने की सीख
पूर्व शहर वफ्फ कमेटी सदस्य असलम ने बतााया कि ये महीना हमें गुनाहों से बचने और भलाई के रास्ते पर चलने की सीख देता है। पूरे माह के रोजे फर्ज हैं। रोजे के मायने केवल भूखे प्यासे रहना नहीं है। बल्कि खुद को हर उस बात से रोकना है, जिससे किसी को तकलीफ न पहुंचे। जुबान से किसी की बुराई या ऐसी बात न बोले जो किसी को बुरी लगे। हाथों से ऐसे काम न करे जो किसी को तकलीफ पहुंचाए। पैरों से चल उन जगहों पर न जाए जहां गुनाह हो रहे हैं।
रोजे में अगर इन बातों की पाबंदी नहीं की तो ये भूखे प्यासे रहने के जैसा ही होगा। ऐसे में जरूरी है कि इबादत में ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारे। तेज गर्मी में इस बार रोजे होगें लेकिन खुदा की इबादत करने वाले गर्मी के कारण रोजे नही छोड़ेगें। इस माह में खुदा बंदो का इम्तिहान लेता है, बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक रोजे रखते है।
सामूहिक इफ्तार के लिए कई जगह होंगे इंतजाम
रमजान माह शुरू होते ही शहर की फिजा भी बदल जाएगी। जगह-जगह सामूहिक इफ्तार होंगे। कई लोग लोग आपस में मिलकर इसका आयोजन करते हैं। यह महीना एकता की भी मिसाल पेश करता है।
Published on:
01 May 2018 08:14 pm
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