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योग की मृगमरीचिका ने आकर्षित किया बूंदी की लाडली को… जीवन का आनंद छोड़ वैराग्य प्राप्त करेगी देव अमृता

हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गांव की बेटी बनी साध्वी गंगा को साक्षी मान सन्यास धर्म पालन का लिया संकल्प योग स्वामी रामदेव केे सानिध्य में करेगी प्रचार

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बूंदी. जिले की चांदन हेली गांव में जन्मी एक २२ वर्षीय युवती ने रविवार को हरिद्वार के हर की पौड़ी स्थित वीआईपी घाट पर पतंजलि योगपीठ योग ऋषि स्वामी रामदेव सहित कई संतों के सानिध्य में सन्यास का संकल्प लिया। संसार के सभी सुखों को त्याग कर संन्यासी के रूप में राष्ट्र सेवा, जनसेवा करने का संकल्प लिया। सन्यासी के रूप में साध्वी का नाम बदलकर देव अमृता रखा गया है।

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बूंदी जिले के खटकड़ धोरमनाथ आश्रम के महंत महेश नाथ योगी ने साध्वी देव अमृता को पतंजली योग पीठ भेजा था। जहां पतंजली योग पीठ वेदिक कन्या गुरुकुलम में बीते पांच साल से वेद शास्त्र का अध्ययन कर रही थी। उन्होंने यहां रहकर योग शास्त्र, अष्टाध्याई, महाभाष्य, संस्कृत वेद, उपनिषद् ज्ञान प्राप्त किया। बूंदी में १२वीं पास करने के बाद संस्कृत व्याकरण से बी.ए किया।

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आचार्य की उपलब्धि मिल गई है, वो आचार्य कोठी में आ गई। इसके बाद उन्होंने सन्यास लेने का निर्णय लिया। जिसके तहत रविवार को हरिद्वार में हर की पौड़ी में गंगा माता को साक्षी मानते हुए सन्यास धर्म का पालन करने का संकल्प लिया। इसके साथ ही गेरुआं वस्त्र धारण करके राष्ट्र की सेवा का प्रण लिया।

माता पिता से लिया आशीर्वाद

साध्वी बनी युवती को पूर्व में माता पिता ने सेना योगी नाम दिया था। परिवार में पिता दुर्गा शंकर योगी, माता राम प्यारी, दो भाई व तीन बहनें थी। जिसमें सबसे छोटी साध्वी बनी सेना योगी थी। सन्यास धारण करने से पहले देव अमृता ने माता, पिता, बड़े भाई राजेश योगी, छोटे भाई मनीष योगी सहित सभी से आशीर्वाद लिया। बाद में पतंजलि योगपीठ योग ऋषि स्वामी रामदेव, आचार्य बालकिशन, दीदी मां ऋतंभरा सहित कई संतों के सानिध्य में सन्यास का संकल्प लिया।

राजस्थान से एकमात्र है, देश विदेश में करेगी प्रचार

बूंदी जिले के योग प्रचारक राजेश योगी ने बताया की साध्वी बनी बूंदी की बेटी राजस्थान से एकमात्र सन्यास की दीक्षा लेने वाली प्रथम बहन है। जिसने ब्रह्मचर्य से कम उम्र में ही सीधे संदेश की दीक्षा लेकर अपने जीवन को राष्ट्रवाद भगवान की सेवा में समर्पित कर दिया। साध्वी योग व धर्म के प्रचार के लिए स्वामी रामदेव के सानिध्य में देश विदेश जाएगी।

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उन्होंने बताया कि सन्यास एक बहुत बड़ी परिकल्पना है, इसके लिए बहुत तप, त्याग, तपस्या, स्वाध्याय की आवश्यकता होती है। इन सभी मार्गों से गुजरते हुए अंतिम मार्ग सन्यास का मार्ग है। जो सन्यास ले लेता है वह दुनिया के सभी काम , क्रोध, मद, मोह, लोभ को त्याग कर केवल सत्य व भगवान की प्रतिष्ठा को स्थापित करने के लिए ही तत्पर रहता है। साध्वी देव अमृता गुरु नाम से ही लोगों के जीवन में भगवान के अमृत का प्रचार करने का काम करेगी।